।। राजेंद्र कुमार।।
आम नागरिकों की सुरक्षा के लिहाज से उत्तर प्रदेश की छवि कुछ खास अच्छी नहीं रही है, परंतु बीते ढाई वर्षो में राज्य की कानून-व्यवस्था में आश्चर्यजनक गिरावट आयी है. यूपी के हर जिले में हत्या, बलात्कार, डकैती, अपहरण जैसे गंभीर अपराधों में उफान है. पुलिसवालों से लेकर नेताओं तक की सरेआम हत्या के मामले सामने आ रहे हैं. दबंगों को दबंगई की छूट-सी मिली हुई है. लोकसभा चुनावों के बाद गंभीर अपराधों में और तेजी दिख रही है. राज्य अराजकता की ओर जाता लग रहा है.
पिछले दिनों बदायूं जिले में दो बहनों की रेप के बाद हत्या की घटना से उत्तर प्रदेश की बदहाल कानून-व्यवस्था की सच्चई पूरे विश्व के सामने आ गयी. राज्य का हाल ऐसा है कि इसे उत्तर प्रदेश की जगह लोग व्यंग्य में ‘अपराध प्रदेश’ कहने लगे हैं, पर सूबे की अखिलेश सरकार इस पर गंभीर नहीं दिख रही. बसपा सहित तमाम विपक्षी दल इस स्थिति के लिए सपा नेताओं की दबंगई और अखिलेश सरकार के नकारेपन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. मुख्यमंत्री राज्य में निवेश आकर्षित करने के लिए सम्मेलन कर रहे हैं, पर यह नहीं सोच रहे कि खराब माहौल में निवेश करेगा कौन?
अपनी आलोचना से तिलमिलाये युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आत्ममंथन करने के बजाय दोष मीडिया पर मढ़ रहे हैं कि वह यूपी में अपराध को बढ़ा-चढ़ा कर दिखा रहा है. उनका दावा है कि सरकार ने अपराध की हर घटना पर त्वरित कार्रवाई की है. लेकिन मुख्यमंत्री के इस बयान से देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह सहमत नहीं हैं. वह कहते हैं कि यूपी में गंभीर अपराध की कई घटनाएं हुई हैं जिन पर सरकार से रिपोर्ट मांगी गयी और यूपी की कानून-व्यवस्था पर मंत्रलय की नजर है. उन्होंने यूपी को हालात सुधारने की सलाह दी है.
पूर्व सांसद तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया के अनुसार यूपी में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं और राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते प्रशासनिक अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.
रोज 15 हत्याएं
पूरे राज्य में सत्तारूढ़ दल से जुड़े दबंगों का हौसला बुलंद है. पुलिस इन पर कार्रवाई करने से बच रही है. पुलिस की इस कार्यप्रणाली के चलते ही ढाई साल में 150 से ज्यादा छोटे-बड़े सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं. मुजफ्फरनगर जैसा भीषण दंगा भी हुआ जिसमें बीस हजार से अधिक लोग अपना गांव छोड़ने को मजबूर हुए. यूपी में हर दिन बलात्कार की दस और हत्या की 15 घटनाएं हो रही हैं. इसके अलावा डकैती, अपहरण और छेड़खानी जैसे अपराध भी बढ़ रहे हैं.
पुलिस का यादवीकरण
अपराध क्यों नहीं रुक रहे, इस पर भाजपा के प्रवक्ता विजय पाठक कहते हैं कि अखिलेश ने कानून- व्यवस्था को बेहतर करने की जगह पार्टी का वोट बैंक मजबूत करने और पुलिस बल का ‘यादवीकरण’ करने का प्रयास किया. पाठक के इस आरोप में सच्चाई है. यूपी के 1504 थानों में से 60 प्रतिशत में यादव अधिकारियों को थानाध्यक्ष बनाया गया. मुलायम सिंह के परिवार के प्रभाव वाले जिलों में यादव पुलिस अफसरों का बोलबाला है. यही नहीं यूपी के 75 जिलों में से 20 जिलों में पुलिस अधीक्षक यादव बनाये गये. डीआइजी और आइजी के पदों पर भी यादव अधिकारी लाये गये. गौरतलब है कि बसपा शासनकाल में मायावती ने भी थाने-चौकियों में दलित अधिकारियों की तैनाती कर पुलिस बल पर अपनी पकड़ बनाने का प्रयास किया था.
2000 इनामी अपराधी फरार
यूपी में दस हजार रु पये के 1879 इनामी अपराधी अभी फरार हैं. जबकि 263 ऐसे अपराधी फरार हैं, जिन पर दस हजार रुपये से लेकर पांच लाख रुपये का इनाम है. अरुण कुमार जैसे पुलिस के बड़े अफसर ने जब इन्हें पकड़ने के निर्देश दिये तो उन्हें हटा दिया गया. ढाई सालों में डीएसपी जिया उलहक, इंस्पेक्टर गोविंद सिंह, एसएचओ राजेंद्र द्विवेदी सहित एक दर्जन से अधिक पुलिसवालों की हत्या दबंग कर चुके हैं. थाने-चौकी पर हमला कर अपराधियों को छुड़ा ले जाने की करीब सवा सौ घटनाएं हो चुकी हैं.
जेलों में बढ़ रहीं हिंसक घटनाएं
सूबे की जेलों को भी अब असुरक्षित कहा जाने लगा है. ढाई साल में यहां की जेलों में मारपीट की 50 से अधिक घटनाएं हुईं. इनमें सौ से अधिक कैदी और जेलकर्मी घायल हुए. आधा दर्जन से अधिक कैदियों की मौत भी हुई. वाराणसी में डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की हत्या जेल में बंद एक अपराधी ने करायी थी. फिर भी कारागार महकमा जेलों में सुधार करने संबंधी प्रस्तावों पर ध्यान नहीं दे रहा.
जल्द बदलाव दिखेगा : अखिलेश
राजनाथ सिंह तथा पीएल पुनिया के बयानों पर अखिलेश यादव ने टिप्पणी करने से मना कर दिया. वह कहते हैं कि कौन क्या कह रहा है, इस पर ध्यान देने के बजाय मैं यूपी की कानून-व्यवस्था को बेहतर करने पर ध्यान दे रहा हूं. दबंगई करनेवाले जेल में होंगे. कानून तोड़नेवाले को छोड़ा नहीं जायेगा, फिर चाहे वह किसी बड़े दल से जुड़ा हो या समाज में बड़ी प्रतिष्ठा रखता हो. सभी पुलिस अफसरों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं. मुख्यमंत्री ने सूबे के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) को भी बदल दिया है. मुख्यमंत्री का दावा है कि जल्दी ही यूपी में बदलाव दिखेगा.
यूपी में आपराधिक घटनाएं
हत्या 4937
लूट 3368
बलात्कार 2801
डकैती 516
आगजनी 344
1 जनवरी 2013 से 15 जनवरी 2014 के बीच