जैगुआर एक्स एफ 2.2
जैगुआर एक्स एफ चलाने निकला, तो जेहन में यही सवाल था कि इस सेगमेंट में जो पैमाना तीनों जर्मन कारों ने सेट किया है, जो आदत जर्मन कारों ने ग्राहकों में डाल दी है, उसमें जैगुआर की क्या कुछ नया करने की क्षमता है? जैगुआर की जिस कार को लेकर निकला वह 2.2 लीटर डीजल […]
जैगुआर एक्स एफ चलाने निकला, तो जेहन में यही सवाल था कि इस सेगमेंट में जो पैमाना तीनों जर्मन कारों ने सेट किया है, जो आदत जर्मन कारों ने ग्राहकों में डाल दी है, उसमें जैगुआर की क्या कुछ नया करने की क्षमता है? जैगुआर की जिस कार को लेकर निकला वह 2.2 लीटर डीजल इंजन से लैस एक ऑटोमैटिक कार थी. इससे पहले इसमें 3 लीटर वाला विकल्प तो था, लेकिन जैगुआर ने कोशिश की अपनी कार को छोटे इंजन से लैस करके और कीमत को कम करके उन तीनों महारथियों से टक्कर लेने की, जो इस सेगमेंट में राज कर रहे थे, यानी मर्सिडीज, बीएमडबल्यू और ऑडी.
ब्रिटिश चीजों को लेकर हिंदुस्तानियों का लगाव कुछ ज्यादा ही होता है. अब चाहे इसे गुलाम मानसिकता कहें, अभिजात्य वर्ग में ट्रांजिशन का रास्ता कहें या फिर ये मान लें कि कुछ चीजें होती ही हैं लगाव लायक. ऐसे में वो ब्रिटिश ना भी हों, लेकिन हो सकता है वो हमें अच्छी लगें. जैगुआर कारों के बारे ऐसी ही कुछ दुविधा मुङो घेरे रहती है. क्या ये ब्रिटिश ब्रांड है, जिसे हिंदुस्तानी इतने लगाव से देखते हैं! या फिर हिंदुस्तानी कंपनी टाटा ने जैगुआर लैंडरोवर को खरीद रखा है इसलिए देखते हैं! या फिर इसलिए कि ये कारें वाकई इतनी खास और खूबसूरत दिखती हैं! हो सकता है कि तीनों वजहों का कॉम्बिनेशन हो, जो मुङो ग्रेटर नोएडा के पास बन रही सड़क के किनारे खड़े नौजवानों से बात करके यह मालूम चला. वे युवा जानते थे कि यह जैगुआर कार है. यह भी जानते थे कि कार के बोनट पर एक शेरनुमा निशान बना रहता है. और यह भी कि ये ऑडी बीएमडब्ल्यू से अलग टाइप की कार है.
इन नौजवानों और अपने सवालों से मिलने के बाद मैं यह देखने निकला कि जिस जैगुआर पर इतनी चर्चा हो रही थी, वह दरअसल चलाने में है कैसी! और क्या यह कार
सफल होगी उस कोशिश में, जहां पर कंपनी यानी जैगुआर की नजर है.
यह जैगुआर एक्स एफ 2.2 थी. इसे चलाने निकला तो जेहन में यही सवाल था कि इस सेगमेंट में जो पैमाना तीनों जर्मन कारों ने सेट किया है, जो आदत जर्मन कारों ने ग्राहकों में डाल दी है, उसमें जैगुआर की क्या कुछ नया करने की क्षमता है? जैगुआर की जिस कार को लेकर निकला वो 2.2 लीटर डीजल इंजन से लैस एक ऑटोमैटिक कार थी. इससे पहले इसमें 3 लीटर वाला विकल्प तो था, लेकिन जैगुआर ने कोशिश की अपनी कार को छोटे इंजन से लैस करके और कीमत को कम करके उन तीनों महारथियों से टक्कर लेने की, जो इस सेगमेंट में राज कर रहे थे. यानी मर्सिडीज, बीएमडबल्यू और ऑडी.
एक्स एफ मोटे तौर पर सबसे सस्ती जैगुआर कारें हैं. भारत में एक्स एफ फिलहाल तीन इंजन विकल्पों के साथ मौजूद हैं. एक तो 2 लीटर पेट्रोल इंजन का विकल्प है, दूसरा, 2.2 लीटर डीजल इंजन का विकल्प है और तीसरा 3 लीटर डीजल इंजन के विकल्प के साथ है.
एक्स एफ पेट्रोल जहां 48.6 लाख की है, वहीं एक्स एफ 2.2 डीजल 48.9 लाख रुपये की है. 3 लीटर डीजल विकल्प सबसे महंगी 54.9 लाख रुपये की है. और एक्सएफ 2.2 के जरिये इसी प्राइस बैंड को कम करने की कोशिश की थी जैगुआर ने.
हालांकि, छोटे इंजन के बावजूद ताकत और प्रदर्शन में कोई कमी नहीं कह सकते हैं. काफी तेज-तर्रार है, और हैंडलिंग के मामले में अपने सेगमेंट के मुताबिक प्रदर्शन जरूर करती है. हां स्टीयरिंग और सस्पेंशन के मामले में इसे स्पोर्ट्स कार जैसी नहीं कहेंगे, क्योंकि इसमें ज्यादा तरजीह आराम को ही दी गयी है. जर्मन कारों की हैंडलिंग की आदत में यह थोड़ा अलग लगेगा, क्योंकि उनकी हैंडलिंग का स्तर थोड़ा ज्यादा स्पोर्टी लगता है. लेकिन फिर भी यह एक अलग मूड की कार है. कार को अंदर से भी देखें, तो मौजूदा विकल्पों के मुकाबले थोड़ा पुराना डिजाइन लगता है, जैसे कि बहुत हाइटेक नहीं लगेगा. फिनिश में एक शाही टच है, लेकिन आजकल यंग होते ग्राहकों के लिए अपटूडेट लुक नहीं कहेंगे. एक मुद्दा यह भी है कि जिनके पास पैसे हैं, वह खर्च करने के लिए नया विकल्प जरूर ढूंढ़ रहे हैं. जर्मन ब्रांडों से एक तरह से थकान भी कह सकते हैं, क्योंकि उनके लिए जैगुआर एक विकल्प हो सकती है. यह कार महंगी है, लेकिन खूबसूरत है और ब्रांड तो ब्रिटिश है ही.
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सुजुकी की इनाजूमा की नयी कीमत
यह उन नौजवानों के लिए एक बड़ी खबर है, जो थोड़ा हट के वाले सेगमेंट के शौकीन हैं. मोटरसाइकिलों के जो प्रेमी हैं और शौकीन भी या जिन्हें बड़ी मोटरसाइकिलों का शौक है, उनके लिए खबर आकर्षक ही है, क्योंकि अब 250 सीसी सेगमेंट की मोटरसाइकिलों में एक नयी हलचल देखने को मिली है. यह हलचल है उसी मोटरसाइकिल से जुड़ी, जिसे हाल में मैंने चलाया था और आप सभी को जिसके बारे में बताया भी था. यह है सुजुकी की इनाजूमा, जिसके बारे में एक ही मुद्दा मुङो खटक रहा था और वह था इसका मूल्य. लगता है सुजुकी ने कीमत से जुड़ी ये बात सुनी और समझी है. कंपनी ने अपनी इनाजूमा की कीमत सीधे एक लाख रुपये कम कर दी है. सोचिए एक लाख. जो मोटरसाइकिल साल की शुरुआत में 3 लाख 10 हजार के आसपास उतारी गयी थी, उसे अब कंपनी ने 2 लाख 10 हजार के लगभग कर दिया है. सुजुकी के इस नये कदम से अचानक मार्केट में कई तरह के समीकरण बदल सकते हैं.
कंपनी ने देखा था कि शुरुआती महीनों में इनाजूमा को लेकर ज्यादा गर्मजोशी नहीं थी और कंपनी को बिक्री नहीं मिल रही थी. इसकी सबसे बड़ी वजह उसकी कीमत ही थी, तो कंपनी ने अपनी रणनीति बदली है. इस सेगमेंट में, जिसमें जरूरी नहीं कि केवल 250 सीसी इंजन हो, कीमत के हिसाब से भी, जिस तरीके से प्रोडक्ट आ रहे हैं और जितने विकल्प बढ़ रहे हैं, कंपनी को लगा कि इस कॉम्पिटिशन में देरी करना खतरे से खाली नहीं है. हालांकि ऐसा नहीं कि केवल कीमत कम करने से ही ग्राहक इसकी ओर आयेंगे, क्योंकि इससे सस्ती केटीएम 390 ने सेगमेंट को हिला रखा है. लेकिन यह भी है कि सुजुकी की रिफाइनमेंट और शांत राइड खास तरीके के राइडरों के लिए पसंदीदा हो सकती है और नयी कीमत से कम से कम ऐसे ग्राहकों पर सुजुकी ध्यान दे सकती है.
सुजुकी मोटरसाइकिल कंपनी भारत में अब तक बहुत आक्रामक नहीं रही है. कम से कम जिस तरीके का आक्रामक रुख बाकी जापानी मोटरसाइकिल कंपनियों का रहा है, वैसा नहीं रहा है. इस बार के कदम से लग रहा है कि सुजुकी का मूड थोड़ा बदला है. कंपनी ने फैसला जल्दी लिया है, जो बहुत जरूरी था भारत जैसे तेज मोटरसाइकिल बाजार के लिए.
कॉम्पिटिशन को तेजी से समझना और तेज प्रतिक्रिया बताता है कि आप वाकई तैयार हैं या नहीं हैं. सुजुकी ऐसे ही कुछ संकेत दे रही है.