बग़दाद की सड़कों पर शिया लड़ाकों की परेड
इराक़ में ताक़तवर माने जाने वाले मौलवी मुक़्तदा अल सद्र के वफ़ादार हज़ारों शिया लड़ाकों ने राजधानी बग़दाद की सड़कों पर परेड निकाली है. इसकी वजह से जातीय तनाव बढ़ गया है. देश के कई इलाक़ों में सेना और सुन्नी जेहादियों के बीच लड़ाई भी जारी है. आख़िर कहां से मिल रही है जेहादियों को […]
इराक़ में ताक़तवर माने जाने वाले मौलवी मुक़्तदा अल सद्र के वफ़ादार हज़ारों शिया लड़ाकों ने राजधानी बग़दाद की सड़कों पर परेड निकाली है. इसकी वजह से जातीय तनाव बढ़ गया है. देश के कई इलाक़ों में सेना और सुन्नी जेहादियों के बीच लड़ाई भी जारी है.
आख़िर कहां से मिल रही है जेहादियों को ताक़त
मुक़्तदा अल सद्र की मेहदी सेना वही है जिसने इराक़ में अमरीका से कई साल तक लड़ाई लड़ी थी. बग़दाद जैसी परेड इराक़ के कुछ अन्य शहरों में भी निकाली गई है.
संवाददाताओं का कहना है कि परेड के बहाने इस शक्ति प्रदर्शन को इराक़ी सरकार परेशान करने वाले घटनाक्रम के तौर पर लेगी.
वहीं देश के अधिकतर हिस्सों में सुन्नी अतिवादी अपना नियंत्रण स्थापित कर चुके हैं.
शनिवार को अधिकारियों ने स्वीकार किया कि जेहादी समूह आईएसआईएस के नेतृत्व में चरमपंथियों ने सीरिया से लगने वाली सीमा पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक ठिकाने पर क़ब्ज़ा कर लिया है जो क़ायम कस्बे के निकट है. यहां एक दिन चली लड़ाई में 30 सैनिक मारे गए.
विश्लेषकों का कहना है कि सीमा पर इस जगह को अपने नियंत्रण में लेने से आईएसआईएस के चरमपंथियों को हथियार और अन्य साज़ो-सामान हासिल करने में मदद मिल सकती है.
वैसे इराक़ में हज़ारों शिया नागरिक भी आईएसआईएस से लड़ने के लिए आगे आए हैं.
दरअसल देश के सर्वोच्च शिया अधिकारी ग्रांड अयातुल्लाह अली अल-सिस्तानी ने उनसे लड़ने का आह्वान किया था.
उत्तरी इराक़ के इरबिल शहर में मौजूद बीबीसी संवाददाता जिम मुइर का कहना है कि शिया लड़ाकों की परेड देखने में प्रभावशाली थी, लेकिन इससे केवल जातीय तनाव बढ़ेगा क्योंकि यह सारा घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब सरकार देश को एकजुट रखने के लिए अतिवादियों से पहले से ही जूझ रही है.
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