।। दक्षा वैदकर ।।
बारहवीं पास करने के बाद अब स्टूडेंट्स कॉलेज जाने की तैयारी कर रहे हैं. इस लेवल पर आने के बाद वे अकसर बहुत कंफ्यूज हो जाते हैं कि कौन-सा कोर्स करें. एक तरफ पैरेंट्स कहते हैं कि फलां कोर्स में एडमिशन ले लो, इससे बहुत सैलरी वाली जॉब मिलेगी, दूसरी तरफ फ्रेंड्स कहते हैं कि फलां कॉलेज बहुत अच्छा है. वहां मजा भी आयेगा. ऐसा ही कुछ मेरी कॉलोनी की प्रिया के साथ है.
उसने हिंदी मीडियम से बारहवीं पास की थी. वह पढ़ाई में औसत थी. उसकी दो सहेलियां, जो क्लास में टॉप आती थीं, बीएससी आइटी करने की सोच रही थीं. प्रिया को भी लगा कि जहां सहेलियां जा रही हैं, मैं भी वही कोर्स चुन लूं. नये कॉलेज में जाने से डर भी नहीं लगेगा, क्योंकि सहेलियों का साथ होगा.
आखिरकार उसने एडमिशन ले लिया. कॉलेज की फीस बहुत ज्यादा थी, लेकिन पैरेंट्स ने जैसे-तैसे भर दी. जब पढ़ाई शुरू हुई, तो प्रिया को पता चला कि उसने क्या चुन लिया है. आठ मोटी-मोटी बुक्स उसे साल भर में पढ़नी थी. सभी इंगलिश में थी. उसकी सहेलियों की इंगलिश अच्छी थी, सो उन्हें पढ़ने में दिक्कत नहीं आ रही थी. आखिरकार परीक्षा भी नजदीक आ गयी. उसने दिन-रात एक कर दिये, लेकिन फिर भी दो सब्जेक्ट में फेल हो गयी. पापा ने हिम्मत बंधाई, तो उसने दो सब्जेक्ट की सप्लीमेंट्री एग्जाम देने के बजाय पूरा इयर रिपीट करने का सोचा. वह नहीं चाहती थी कि मार्क्सशीट में सप्लीमेंट्री से पास होने का जिक्र आ जाये. इस बार उसने और मन लगा कर पढ़ाई की और पास हो गयी.
अब वह सेकेंड इयर में पहुंच चुकी थी. फिर से नयी आठ मोटी बुक्स थी. एक बार फिर प्रिया दो सब्जेक्ट में फेल हो गयी. उसके सब्र का बांध टूट गया था. उसने आत्महत्या की कोशिश की. वह बच गयी. अब उसे समझ आ गया था कि उसने सहेलियों की देखा-देखी अपनी क्षमता से बिल्कुल गलत कोर्स का चुनाव किया था. बाद में प्रिया ने अपनी पसंद का सब्जेक्ट चुन कर नये सिरे से पढ़ाई शुरू की और देखते ही देखते वह ग्रेजुएट भी हो गयी. प्रिया अभी एक कंपनी में अच्छी सैलरी पा रही है.
बात पते की..
– बच्चों, कभी भी अपने दोस्तों की देखा-देखी किसी भी कोर्स का चुनाव न करें. अपनी क्षमताओं, पसंद-नापसंद पर भी गौर करें.
– एकांत में बैठ कर सोचें कि वह कौन-सा विषय है, जिसे आप बड़े चांव से पढ़ते हैं. कभी बोर नहीं होते. बस उसी कोर्स में आपका कैरियर छुपा है.