कनाडा ने दी सऊदी अरब की युवती को शरण

सऊदी अरब की एक युवती को कनाडा ने शरण दी है. ये युवती इस्लाम और अपने परिवार को छोड़ने की वजह से चर्चा में आईं थीं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पत्रकारों को बताया, ‘कनाडा हमेशा से दुनिया भर में मानवाधिकारों और महिला अधिकारों के पक्ष में खड़ा रहा है. जब संयुक्त राष्ट्र ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2019 9:50 AM

सऊदी अरब की एक युवती को कनाडा ने शरण दी है. ये युवती इस्लाम और अपने परिवार को छोड़ने की वजह से चर्चा में आईं थीं.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पत्रकारों को बताया, ‘कनाडा हमेशा से दुनिया भर में मानवाधिकारों और महिला अधिकारों के पक्ष में खड़ा रहा है. जब संयुक्त राष्ट्र ने हमसे अपील की कि हम अल-क़ुनन को अपने देश में शरण दें तो हमने उसे तुरंत स्वीकार कर लिया.’

18 साल की रहफ़ मोहम्मद अल-क़ुनन अपने परिवार के साथ कुवैत की यात्रा पर थीं जहां से उन्होंने ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए फ़्लाइट पकड़ी थी. ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के लिए उन्हें बैंकॉक होकर जाना था लेकिन बैंकॉक एयरपोर्ट पर उन्हें कुछ अधिकारियों ने रोक लिया था.

मोहम्मद अल-क़ुनन को उनके परिवार के पास वापस भेजने की कोशिशें की जा रही थीं लेकिन वे वापस लौटना नहीं चाहती थीं. उन्होंने खुद को बैंकॉक एक होटल के कमरे में बंद कर लिया था.

इसके बाद मोहम्मद अल-क़ुनन ने ट्विटर के माध्यम से लोगों के साथ अपनी कहानी साझा की और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया और कई संगठनों का ध्यान उनकी ओर गया.

उन्हें संयुक्त राष्ट्र की ओर से रिफ़्यूजी की मान्यता भी दे दी गई है.

यूएनएचसीआर ने कनाडा के फ़ैसले का स्वागत किया है. संयुक्त राष्ट्र में शरणार्थी मामलों के आयुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा, ‘बीते कुछ दिनों में उनकी(अल क़ुनन) समस्या ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. इससे दुनियाभर के लाखों शरणार्थियों की हालत पर भी कुछ रोशनी ज़रूर पड़ी है.’

दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणा

रहफ़ मोहम्मद अल-क़ुनन ने बीबीसी को बताया था कि उन्होंने इस्लाम त्याग दिया है और वे ऑस्ट्रेलिया जाकर पढ़ाई और नौकरी करना चाहती हैं.

उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब में उनके लिए अपने सपने पूरे कर पाना संभव नहीं था.

अल-क़ुनन की कहानी सामने आने के बाद बहुत सी महिलाओं ने उन्हें अपने लिए प्रेरणा मानना शुरू कर दिया है.

सारा नाम की एक सऊदी महिला ने बीबीसी से कहा कि रहफ़ मोहम्मद अल-क़ुनन उनके लिए एक प्रेरणा हैं.

सारा ने साथ ही कहा, ‘ऐसा करने वाली अल-क़ुनन कोई पहली या आखिरी लड़की नहीं हैं. हम अपनी आज़ाद ज़िंदगी चाहते हैं. मेरा पासपोर्ट हमेशा मेरे पिता के पास रहता है. हमने कभी आज़ादी का स्वाद नहीं चखा.’

‘अल-क़ुनन ने जो किया उससे भले ही कोई क्रांति ना आई हो लेकिन लड़कियां इस बारे में ट्वीट कर रही हैं. हालांकि ट्वीट करने वाली तमाम लड़कियां या तो भागी हुई हैं या फिर मेरी तरह फ़ेक आईडी का इस्तेमाल कर रही हैं. हम अब और अधिक गार्डियनशिप नहीं चाहतीं.’

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