लंदन : पश्चिमी अंटार्कटिका में वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के रहस्य को जानने के लिए पहली बार बर्फ की चादर में गर्म पानी का इस्तेमाल कर दो किलोमीटर की गहराई तक सफलतापूर्वक खुदाई की है. इस उपलब्धि पर उनका कहना है कि इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि गर्म जलवायु में इस क्षेत्र की स्थिति क्या होगी. ब्रिटिश अंटार्कटिका सर्वे (बीएएस) के वैज्ञानिकों के नेतृत्व वाली 11 व्यक्तियों की टीम पिछले 12 हफ्तों से रटफोर्ड आइस स्ट्रीम में शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान में काम कर रही है.
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बीएएस ने एक बयान में कहा कि 63 घंटे तक लगातार चले ड्रिलिंग अभियान के बाद 8 जनवरी को टीम ने बर्फ की सतह से 2,152 मीटर नीचे तलछट तक छिद्र करने में सफलता पायी. वैज्ञानिकों ने बोरहोल के जरिये कई उपकरणों को बर्फ की गहराई में पहुंचाया, जो चारों ओर के वातावरण के आधार पर बर्फ के भीतर पानी के दबाव, बर्फ के तापमान और अंदरुनी हलचल का पाता लगायेंगे.
‘बीमिश’ नामक इस परियोजना की तैयारी 20 साल पहले हुई थी और 2004 में भी इसको लेकर प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी थी. बीएएस के प्रमुख वैज्ञानिक एंडी स्मिथ ने कहा कि मैंने लंबे समय तक इस पल का इंतजार किया है और मुझे खुशी है कि हमने आखिरकार अपना लक्ष्य हासिल कर लिया.
बीएएस में फिजिकल ओशनोग्राफर कीथ मेकिन्सन ने बताया कि हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इन ग्लेशियरों के नीचे गहराई में तलछट पर कितनी फिसलन है और इस तरह से वे किस दर से पिघलकर समुद्र में जा मिलेंगे. इससे हमें अधिक सटीक तरीके से यह तय करने में मदद मिलेगी कि पश्चिमी अंटार्कटिका से बर्फ पिघलने पर भविष्य में समुद्र का जलस्तर कितना बढ़ेगा.