दुनिया की सबसे बड़ी मक्खी की कहानी जो दशकों तक नदारद रही
साल 2012 में दक्षिण भारतीय फ़िल्म मक्खी रिलीज़ हुई थी इस फ़िल्म का मुख्य किरदार एक ऐसी मक्खी थी जो साधारण मक्खियों से अलग है. एक ऐसी ही रियल लाइफ़ मक्खी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जो असाधारण है. दुनिया की सबसे बड़ी मक्खी को खोज लिया गया है. इसका आकार […]
साल 2012 में दक्षिण भारतीय फ़िल्म मक्खी रिलीज़ हुई थी इस फ़िल्म का मुख्य किरदार एक ऐसी मक्खी थी जो साधारण मक्खियों से अलग है. एक ऐसी ही रियल लाइफ़ मक्खी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जो असाधारण है.
दुनिया की सबसे बड़ी मक्खी को खोज लिया गया है. इसका आकार एक इंसान के अंगूठे जितना बड़ा है. दशकों पहले ये मक्खी गायब हो गई थी और अब इसे इंडोनेशिया के आईलैंड में पाया गया है.
लंबे वक़्त से जारी खोज के बाद अब जंगल विभाग के जानकारों को इस प्रजाति की अकेली ज़िंदा मादा मक्खी मिली है. इसका नाम ‘वैलेस-जाइंट बी’ है. इसका नाम प्रकृतिवादी और खोजकर्ता रसेल वैलेस के नाम पर रखा गया है.
1981 में कई वैज्ञानिकों ने इस मक्खी के स्रपैसिमेन को देखा था और उसके बाद इस प्रजाति को नहीं देखा गया.
इस साल जनवरी में जानकारों की एक टीम इंडोनेशिया के जंगलों में इस मक्खी की खोज में निकली.
इसकी पहली तस्वीर लेने वाले क्ले बोल्ट ने बताया, ‘ये बिलकुल हैरान करने वाला था, हमें लगता था कि ये प्रजाति अब विलुप्त हो चुकी है. हम देख पाए कि ये कितनी ख़ूबसूरत और बड़ी है. जब ये उड़ती है तो इसके पंखों की तेज़ आवाज़ आपके कानों में आती है.’
वैलेस मक्खी में क्या खास है?
- लगभग ढाई इंच (6 सेमी) के पंखों के साथ ‘वैलेस- जाइंट बी’ दुनिया की सबसे बड़ी मक्खी है.
- ये मादा मक्खी दीमक के टीले में अपना घोंसला बनाती है, दीमक से बचाने के लिए ये अपने बड़े जबड़ों का इस्तेमाल कर ये पेड़ से निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ को इकट्ठा करती है और इससे अपने घोंसले की हिफ़ाज़त करती है.
- ये तराई इलाकों के जंगलों में पायी जाती है.
- वैलेस ने चार्ल्स डार्विन के साथ ‘इवॉल्यूशन के सिद्धांत’ पर काम किया था, उन्होंने इस मक्खी के बारे में बताया था कि ये ‘एक बड़े काले हड्डे जैसे कीड़े की तरह है जिसके जबड़े बेहद बड़े हैं.’
ये मक्खी इंडोनेशिया के उत्तरी मॉल्यूकश आईलैंड पर पाई गई है. उम्मीद है कि इस क्षेत्र के जंगलों में कई ऐसी कीड़ों की प्रजातियां मिल जाएं जो दुनिया से लगभग विलुप्त होने की कागार पर हैं.
वर्तमान समय में ऐसे कीड़ों के व्यापार के लिए कोई क़ानूनी सुरक्षा नहीं है.
पर्यावरण समूह ग्लोबूल वाइल्ड लाइफ़ कंज़र्वेशन ने ‘विलुप्त प्रजातियों’ की खोज के लिए एक अभियान चलाया है और ये खोज इसी अभियान का हिस्सा है.
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