18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए ख़त्म करना कितना आसान

Getty Imagesभारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसादसुप्रीम कोर्ट में इस हफ़्ते संविधान के अनुच्छेद 35-ए को दी गई चुनौती पर सुनवाई हो सकती है. कहा जा रहा है कि भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा ज़िले में सीआरपीएफ़ के एक काफ़िले पर हमले और 40 से ज़्यादा जवानों के मारे जाने […]

Undefined
कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए ख़त्म करना कितना आसान 6
Getty Images
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद

सुप्रीम कोर्ट में इस हफ़्ते संविधान के अनुच्छेद 35-ए को दी गई चुनौती पर सुनवाई हो सकती है.

कहा जा रहा है कि भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा ज़िले में सीआरपीएफ़ के एक काफ़िले पर हमले और 40 से ज़्यादा जवानों के मारे जाने के बाद मोदी सरकार का रुख़ इस अनुच्छेद पर बदल सकता है.

हालांकि इस पर सरकार ने आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा है.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा है कि 35-ए पर सुनवाई में जल्दबाजी नहीं करने का जो उसका रुख़ था उसमें कोई बदलाव नहीं आया है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर अभी सुनवाई नहीं करे क्योंकि यहां अभी कोई चुनी हुई सरकार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35-ए के ख़िलाफ़ कई याचिकाएं दाख़िल की गई हैं. ‘वी द सिटिज़न्स’ नाम के एक एनजीओ ने भी एक याचिका दाख़िल की है.

35-ए से जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार मिला हुआ है. जम्मू-कश्मीर से बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां अचल संपत्ति नहीं ख़रीद सकता है. इसके साथ ही कोई बाहरी व्यक्ति यहां की महिला से शादी करता है तब भी संपत्ति पर उसका अधिकार नहीं हो सकता है.

Undefined
कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए ख़त्म करना कितना आसान 7
Getty Images
शेख अब्दुल्ला की गोद में उनकी पोती और सामने खड़े उनके परिवार के बच्चे

अनुच्छेद 35-ए

1954 में राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के आदेश से अनुच्छेद 35-ए को भारतीय संविधान में जोड़ा गया था. ऐसा कश्मीर के महाराजा हरि सिंह और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के बाद किया गया था. इस अनुच्छेद को संविधान में शामिल करने से कश्मीरियों को यह विशेषाधिकार मिला कि बाहरी यहां नहीं बस सकते हैं.

राष्ट्रपति ने यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 370 (1) (d) के तहत दिया था. इसके तहत राष्ट्रपति जम्मू-कश्मीर के हित में कुछ ख़ास ‘अपवादों और परिवर्तनों’ को लेकर फ़ैसला ले सकते हैं. इसीलिए बाद में अनुच्छेद 35-ए जोडा गया ताकि स्थायी निवासी को लेकर भारत सरकार जम्मू-कश्मीर के अनुरूप ही व्यवहार करे.

जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय

भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय में ‘द इन्स्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ को क़ानूनी दस्तावेज़ माना जाता है. तीन जून, 1947 को भारत के विभाजन की घोषणा के बाद राजे-रजवाड़ों के नियंत्रण वाले राज्य निर्णय ले रहे थे कि उन्हें किसके साथ जाना है.

उस वक़्त जम्मू-कश्मीर दुविधा में था. 12 अगस्त 1947 को जम्मू-कश्मीर महाराज हरि सिंह ने भारत और पाकिस्तान के साथ ‘स्टैंड्सस्टिल अग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर किया. स्टैंड्सस्टिल अग्रीमेंट मतलब महाराजा हरि सिंह ने निर्णय किया जम्मू-कश्मीर स्वतंत्र रहेगा. वो न भारत में समाहित होगा और न ही पाकिस्तान में.

Undefined
कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए ख़त्म करना कितना आसान 8
Getty Images
फ़ारूक अब्दुल्ला

पाकिस्तान ने इस समझौते को मानने के बाद भी इसका सम्मान नहीं किया और उसने कश्मीर पर हमला कर दिया. पाकिस्तान में जबरन शामिल किए जाने से बचने के लिए महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को ‘इन्स्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ पर हस्ताक्षर किया.

‘इन्स्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा होगा लेकिन उसे ख़ास स्वायत्तता मिलेगी. इसमें साफ़ कहा गया है कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर के लिए केवल रक्षा, विदेशी मामलों और संचार माध्यमों को लेकर ही नियम बना सकती है.

अनुच्छेद 35-ए 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के बाद आया. यह ‘इन्स्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ की अगली कड़ी थी. ‘इन्स्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ के कारण भारत सरकार को जम्मू-कश्मीर में किसी भी तरह के हस्तक्षेप के लिए बहुत ही सीमित अधिकार मिले थे.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने द हिन्दू में लिखे एक आलेख में कहा है कि इसी कारण अनुच्छेद 370 लाया गया. अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विेशेष राज्य का दर्जा दिया गया. इसमें कहा गया है कि संसद के पास जम्मू-कश्मीर के लिए संघीय सूची और समवर्ती सूची के तहत क़ानून बनाने के सीमित अधिकार हैं.

Undefined
कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए ख़त्म करना कितना आसान 9
Getty Images

ज़मीन, भूमि पर अधिकार और राज्य में बसने के मामले सबसे अहम हैं. भूमि जम्मू-कश्मीर का विषय है. प्रशांत भूषण का कहना है कि अनुच्छेद 35-ए भारत सरकार के लिए जम्मू-कश्मीर में सशर्त हस्तक्षेप करने का एकमात्र ज़रिया है. इसके साथ ही यह भी साफ़ कहा गया है कि संसद और संविधान की सामान्य शक्तियां जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होंगी.

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी क़ानून है कि कोई बाहरी यहां सीमित ज़मीन ही ख़रीद सकता है. प्रशांत भूषण मानते हैं कि हिमाचल और उत्तराखंड के ये क़ानून पूरी तरह से असंवैधानिक और देश के किसी भी हिस्से में बसने के मौलिक अधिकार का हनन है.

प्रशांत भूषण ने अपने आलेख में कहा है कि चूंकि जम्मू-कश्मीर भारत में इसी शर्त पर आया था इसलिेए इसे मौलिक अधिकार और संविधान की बुनियादी संरचना का हवाला देकर चुनौती नहीं दी जा सकती है. उनका मानना है कि यह भारत के संविधान का हिस्सा है कि जम्मू-कश्मीर में भारत की सीमित पहुंच होगी.

प्रशांत भूषण का मानना है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में पूरी तरह से कभी विलय नहीं हुआ और यह अर्द्ध-संप्रभु स्टेट है. यह हिन्दुस्तान के बाक़ी राज्यों की तरह नहीं है. अनुच्छेद 35-ए ‘इन्स्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ का पालन करता है और इस बात की गारंटी देता है कि जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता बाधित नहीं की जाएगी.

Undefined
कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए ख़त्म करना कितना आसान 10
Getty Images

अनुच्छेद 35-ए को संविधान में ग़लत तरीक़े से जोड़ा गया?

कई लोग मानते हैं कि अनुच्छेद 35-ए को संविधान में जिस तरह से जोड़ा गया वो प्रक्रिया के तहत नहीं था. बीजेपी नेता और वकील भूपेंद्र यादव भी ऐसा ही मानते हैं. संविधान में अनुच्छेद 35-ए को जोड़ने के लिए संसद से क़ानून पास कर संविधान संशोधन नहीं किया गया था.

संविधान के अनुच्छेद 368 (i) अनुसार संविधान संशोधन का अधिकार केवल संसद को है. तो क्या राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का यह आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर का था? भूपेंद्र यादव मानते हैं कि राष्ट्रपति का यह फ़ैसला विवादित था.

तो क्या अनुच्छेद 35-ए निरस्त किया जा सकता है क्योंकि नेहरू सरकार ने संसद के अधिकारों की उपेक्षा की थी? 1961 में पांच जजों की बेंच ने पुरानलाल लखनपाल बनाम भारत के राष्ट्रपति मामले में अनुच्छेद 370 के तहत राष्ट्रपति के अधिकारों पर चर्चा की थी.

कोर्ट का आकलन था कि राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 के तहत उसके प्रवाधानों में परिवर्तन कर सकता है. हालांकि इस फ़ैसले में इस पर कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा गया है कि क्या राष्ट्रपति संसद को बाइपास कर ऐसा कर सकता है. यह सवाल अब भी बना हुआ है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

>

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें