एक तरफ पश्चिम में प्राचीन सभ्यता का जब अंत हो रहा था तो दूसरी ओर पूरब में गणित अपनी नई ऊंचाइयां छू रहा था.
समुद्री रास्ते का पता करना हो या दिन का समय निकालना हो, गणित इन सब में अपना अहम किरदार निभाता और यही कारण है कि प्राचीन सभ्यता बहुत हद तक इस पर निर्भर थी.
गणित की यात्रा मिस्र, मेसोपोटामिया और ग्रीस से शुरू हुई लेकिन इन सभ्यताओं के पतन के बाद पश्चिम में इसकी प्रगति रुक गई.
हालांकि, पूरब में इसकी यात्रा एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई थी.
प्राचीन चीन में, गणित बेहद महत्वपूर्ण विषय था. इसकी मदद से ही हज़ारों मीलों तक फैली ‘ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइन’ खड़ी हुई.
शाही अदालती मामलों को चलाने में नंबरों का महत्वपूर्ण स्थान बन गया था.
प्रणय की गणितीय योजना
उस दौरान कैलेंडर और ग्रहों की चाल पर सम्राट अपने सभी निर्णय लेते, यहां तक कि उनके दिन और रात की योजनाएं भी इसी के आधार पर बनाई जाती थीं.
शाही मंत्री यहां तक सुनिश्चित करते कि सम्राट बड़ी संख्या में मौजूद अपने हरम की सभी महिलाओं के साथ एक निश्चित अवधि के अंतराल पर रात बिताएं.
यह गणित के ज्यामितीय अनुक्रम या गुणोत्तर श्रेणी पर आधारित होता था. कहा जाता है कि चीन के सम्राट को 15 दिनों के दौरान 121 महिलाओं के साथ सोना पड़ता था.
• महारानी
• 3 वरिष्ठपत्नियां
• 9 पत्नियां
• 27 हरमदासी
• 81 दासियां
महारानी से लेकर दास-दासियों पांच समूह अपने पिछले समूह से तीन गुना बड़ा था. गणितज्ञों को यह सुनिश्चित करना था कि सम्राट इनमें से प्रत्येक के साथ एक निश्चित अवधि के दरम्यान सो सकें. लिहाजा उन्होंने रोस्टर बनाया ताकि हरम की प्रत्येक महिलाओं को 15 दिनों के बाद सम्राट के साथ सोने का मौका मिल सके.
शारीरिक शक्ति और दमखम
पहली रात महारानी के लिए रखा जाता तो दूसरी रात तीन वरिष्ठ पत्नियों के लिए और इसके बाद नौ पत्नियों का नंबर आता.
फिर नौ की संख्या में बारी-बारी से 27 हरमदासियों का. इस तरह से छह रातें बीततीं.
इसके बाद नंबर आता नौ-नौ की संख्या में 81 दासियों का. और इस तरह से 15 दिनों में सभी 121 महिलाओं के साथ सम्राट रात गुजारते.
रोस्टर यह भी तय करता था कि पूर्णिमा के आसपास के दिनों में सम्राट सर्वोच्च दर्जे की महिला के साथ सो सकें.
प्राचीन अवधारणा के मुताबिक ऐसे समय में महिलाओं का ‘यिन’, यानी उनकी जनन क्षमता अपने चरम पर होती है और मान्यता थी कि इस दौरान महिलाएं ‘यांग’, यानी पौरुष बल का सामना करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में होती थीं.
सम्राट तो शासक थे, लिहाजा उनमें शारीरिक दमखम का होना तो लाजमी था. लेकिन यह भी स्पष्ट था कि दमखम की ज़रूरत सबसे अच्छा शाही उत्तराधिकारी पाने के लिए भी उतना ही ज़रूरी है.
गणित दरबार को चलाने के लिए ही इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था बल्कि राज्य को चलाने में भी अपना अहम किरदार निभा रहा था.
नंबरों में है रहस्यमय शक्तियां!
प्राचीन चीन सख्त क़ानून, व्यापक टैक्स व्यवस्था, वजन और मुद्रा की एक प्रामाणिक व्यवस्था के साथ एक विशाल और बढ़ता साम्राज्य था.
वहां पश्चिम में दशमलव प्रणाली के अपनाये जाने से 1,000 साल पहले से इस्तेमाल किया जा रहा था. इतना ही नहीं 19वीं सदी की शुरुआत में जो गणितीय समीकरण पश्चिम में दिखने शुरू हुए थे, चीन सदियों से इनके इस्तेमाल कर रहा था.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, चीन में देवता माने जाने वाले येलो सम्राट ने यह मानते हुए कि संख्याओं का आलौकिक महत्व है, 2800 ईसा पूर्व में गणित की रचना की थी.
आज भी चीन में यह विश्वास किया जाता है कि संख्याओं में रहस्यमय शक्तियां हैं.
विषम संख्याएं पुरुषों के लिए और सम संख्याएं महिलाओं के लिए मानी जाती हैं.
नंबर 4 से किसी भी कीमत पर, सभी बचना चाहते हैं. नंबर 8 सौभाग्य का अंक है.
प्राचीन चीन में आकृतियां भी नंबरों के इस्तेमाल से बनाई जाती थीं, उन्होंने सुडोकू के शुरुआती संस्करण को भी विकसित किया था.
छठी शताब्दी के चीन में खगोल विज्ञान के जरिए ग्रहों की गति की गणना करने में थ्योरम (प्रमेय) का इस्तेमाल किया जा रहा था.
आज भी इसका व्यवहारिक उपयोग इंटरनेट की क्रिप्टोग्राफ़ी में किया जा रहा है.
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