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हर बार कैसे बढ़ जाती है सांसद व विधायकों की संपत्ति

राजनीतिक चंदे के लिए कर चोरी से अर्जित धन राशि के इस्तेमाल पर रोक लगाना जरूरी राजीव कुमार, राज्य समन्वयक एडीआर लोकसभा चुनाव प्रक्रिया में सुधार व राजनीति में सादगी के लिए उच्चतम न्यायालय ने पिछले दिनों एक ऐतिहासिक फैंसला सुनाया. न्यायालय ने चिंता जतायी है कि सांसद व विधायकों की संपत्ति इतनी कैसे बढ़ […]

राजनीतिक चंदे के लिए कर चोरी से अर्जित धन राशि के इस्तेमाल पर रोक लगाना जरूरी
राजीव कुमार, राज्य समन्वयक एडीआर
लोकसभा चुनाव प्रक्रिया में सुधार व राजनीति में सादगी के लिए उच्चतम न्यायालय ने पिछले दिनों एक ऐतिहासिक फैंसला सुनाया. न्यायालय ने चिंता जतायी है कि सांसद व विधायकों की संपत्ति इतनी कैसे बढ़ जाती है, यह जनता को जानने का अधिकार है.
फैसले के मुताबिक उम्मीदवारों को अब स्वयं, पत्नी व आश्रितों की संपत्ति के साथ आय का जरिया भी बताना होगा. फैसले के तहत अब से नामांकन परची में एक कॉलम होगा जिसमें आश्रितों की कमायी के जरिया को भी दर्शाना होगा. अब वे चल–अचल संपत्ति के साथ ही अपने तथा अपने आश्रितों के आय के माध्यम का भी उल्लेख करना होगा.
साथ ही पिछले पांच वर्षों में कुल आय को वर्ष वार दर्शाना भी जरूरी हो जायेगा. किसी भी सांसद या विधायक के आय से अधिक संपत्ति माफिया राज का रास्ता माना जाता है. जिसका असर राजनेताओं के भ्रष्टाचार पर पड़ता है. चुनाव आयोग को यह जानकारी देनी होगी कि उन्हें या उनके आश्रितों के किसी सदस्य की कंपनी को कोई सरकारी टेंडर मिला है या नहीं. यह व्यवस्था अब लोकसभा, राज्य सभा, विधानसभा के साथ पंचायत के चुनाव में भी लागू होगा.
याचिका के मुताबिक 26 लोकसभा एवं 11 राज्य सभा के सदस्यों के साथ ही 257 विधायकों की संपत्ति मे दो चुनावों के बीच 500 गुणा तक की असाधारण वृद्वि देखी गयी थी. पूर्व व्यवस्था के अनुसार अब तक अपनी, पत्नी व तीन आश्रितों की चल –अचल संपत्ति की देनदारी बतानी होती थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में एडीआर के अध्ययन में यह ज्ञात हुआ कि 113 सांसदों की संपत्ति में सौ गुना और 26 सांसदों की संपत्ति में पांच सौ गुना वृद्वि हुई है. इनमें 113 सांसदों ने पेशा बतौर समाज सेवा, राजनीति एवं सामाजिक कार्य बताया था.
आश्रितों में आठ की पत्नियां गृहिणी थी, लेकिन उनकी संपत्ति करोड़ों में थी. जाहिर है ये सभी आय के माध्यम नहीं हो सकते हैं. मतदाताओं को जानने का अधिकार है कि आखिर इनकी संपति दिन-दुनी रात चौगुणी कैसे बढ़ रहीं है. अदालत के आदेश के तहत उम्मीदवारों को न सिर्फ आय के माध्यम बताने होंगे बल्कि पत्नी, बेटा, बहू, बेटी दामाद की आय के साथ उनके जरिये की भी घोषणा करनी होगी.
सर्वविदित है कि बेहिसाब संपत्ति की घोषणा करने के साथ ही यह गोपनीय रहा करता था कि उनकी बेहिसाब संपत्ति का सोर्सेज क्या है? 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में 160 ऐसे उम्मीदवरों की आय का विवेचना की गयी थी जिनकी 2010 में संपत्ति 84.41 लाख थी, लेकिन 2015 में उनकी संपत्ति में औसतन 199 प्रतिशत वृद्वि देखी गयी.

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