China ने पाकिस्तानी आतंकी मसूद को फिर बचाया, अमेरिका से बिगड़ सकते हैं रिश्ते
न्यूयॉर्क/नयी दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र में में पाकिस्तान के खूंखार आतंकवादी मसूद अजहर को बचाने के लिए चली गयी चीन की चाल से अमेरिका बौखला गया है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने स्पष्ट कहा कि चीन खुद मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाले देशों के संघ में शामिल है. वहीं, अमेरिकी दूतावास के एक […]
न्यूयॉर्क/नयी दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र में में पाकिस्तान के खूंखार आतंकवादी मसूद अजहर को बचाने के लिए चली गयी चीन की चाल से अमेरिका बौखला गया है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने स्पष्ट कहा कि चीन खुद मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाले देशों के संघ में शामिल है. वहीं, अमेरिकी दूतावास के एक प्रवक्ता ने कहा कि मसूद के संगठन जैश-ए-मोहम्मद को संयुक्त राष्ट्र पहले ही आतंकी संगठन घोषित कर चुका है. ऐसे में चीन ने अजहर को अपने संरक्षण में रखा है और उसे एक वैश्विक आतंकवादी घोषित के प्रयास के विरोध में वीटो करता रहा है. प्रवक्ता ने कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए हम चीन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, इसमें हमारे परस्पर हित हैं. लेकिन, मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की राह में चीन का रोड़ा बनना क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के खिलाफ है.
पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की भारत की कोशिश को झटका लगने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वह निराश है. वहीं, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई नहीं होगी, पाकिस्तान के साथ किसी तरह की बातचीत नहीं होगी. दूसरी तरफ, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार की विदेश नीति पर करारा प्रहार किया. कहा : मोदी की विदेश नीति ‘कूटनीतिक आपदाओं’ का सिलसिला है.
उल्लेखनीय है कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘1267 अल कायदा सैंक्शंस कमेटी’ के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने लाया था. 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर 40 जवानों को मार डाला था. हमले की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया था.
अल कायदा सैंक्शंस कमेटी के सदस्यों के पास प्रस्ताव पर आपत्ति जताने के लिए 10 कार्य दिन का वक्त था. यह अविध बुधवार को (न्यूयॉर्क के) स्थानीय समय दोपहर तीन बजे (भारतीय समयनुसार बुधवार रात साढ़े 12 बजे) खत्म होनी थी. संयुक्त राष्ट्र में एक राजनयिक ने समयसीमा खत्म होने से ठीक पहले चीन ने प्रस्ताव पर ‘तकनीकी रोक’ लगा दी. राजनयिक ने कहा कि चीन ने प्रस्ताव की पड़ताल करने के लिए और वक्त मांगा है. यह तकनीकी रोक छह महीनों के लिए वैध है और इसे आगे तीन महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है.
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने निराशा जतायी. मंत्रालय ने कहा, ‘हम निराश हैं. लेकिन हम सभी उपलब्ध विकल्पों पर काम करते रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाये.’ मंत्रालय ने कहा कि हम प्रस्ताव लाने वाले सदस्य राष्ट्रों के प्रयास के लिए आभारी हैं. साथ में सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों और गैर सदस्यों के भी आभारी हैं, जिन्होंने इस कोशिश में साथ दिया.
मंत्रालय ने चीन का नाम लिये बिना कहा कि कमेटी अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं कर सकी, क्योंकि एक सदस्य देश ने प्रस्ताव रोक दिया. बीते 10 साल में संयुक्त राष्ट्र में अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने का यह चौथा प्रस्ताव था. कमेटी आम सहमति से निर्णय करती है.
संयुक्त राष्ट्र में नियुक्त भारत के राजदूत एवं स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने एक ट्वीट में कहा, ‘बड़े, छोटे और कई…1 बड़े देश ने रोक दिया, फिर से…1 छोटा सिग्नल @आतंक के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र. कई देशों का आभार (बड़े और छोटे) जो अभूतपूर्व संख्या में इस कवायद में शामिल हुए.’ ज्ञात हो कि सारी नजरें चीन पर थी, क्योंकि वह पहले भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की भारत की कोशिशों में रोड़ा अटका चुका है.
कार्रवाई से पहले पाक से कोई बातचीत नहीं : स्वराज
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान जब तक अपनी जमीन से चल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता, तब तक भारत की उससे कोई बातचीत नहीं हो सकती. ‘इंडियाज वर्ल्ड : मोदी गवर्नमेंट्स फॉरेन पॉलिसी’ पर बातचीत में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आईएसआई और अपनी सेना पर नियंत्रण करने की जरूरत है, जो बार-बार द्विपक्षीय रिश्तों को बर्बाद करने पर तुले हैं.
स्वराज से भारत द्वारा बालाकोट में की गयी भारतीय हवाई कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी पलटवार के बारे में भी सवाल पूछा गया, इस पर उन्होंने कहा कि भारत ने खासतौर पर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने को निशाना बनाया. उन्होंने कहा, ‘जैश की तरफ से पाकिस्तानी सेना ने हम पर हमला क्यों किया? आप न सिर्फ जैश को अपनी जमीन पर पाल रहे हैं, बल्कि उन्हें वित्त पोषित कर रहे हैं और जब पीड़ित देश प्रतिरोध करता है, तो आप आतंकी संगठन की तरफ से उस पर हमला करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘अगर इमरान खान (पाकिस्तानी प्रधानमंत्री) इतने उदार हैं और राजनय हैं, तो उन्हें हमें मसूद अजहर सौंप देना चाहिए.’ विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते हो सकते हैं, बशर्ते पड़ोसी देश ‘अपनी जमीन पर आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करे’.
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर कसा तंज
कांग्रेस ने मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की कोशिश में चीन के अड़ंगा डालने के बाद भाजपा सरकार पर हमला बोला. कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति ‘कूटनीतिक आपदाओं’ का सिलसिला है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में यह एक दुखद दिन है. फिर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को चीन-पाक गठजोड़ ने आघात पहुंचाया है. सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘56 इंच की ‘हगप्लोमेसी’ (गले मिलने की कूटनीति) और झूला-झुलाने के खेल के बाद भी चीन-पाकिस्तान का जोड़ भारत को ‘लाल-आंख’ दिखा रहा है. एक बार फिर एक विफल मोदी सरकार की विफल विदेश नीति उजागर हुई.’
10 साल में चौथी बार चीन ने की चालबाजी
- 2009 : मुंबई हमले के बाद पहली बार मसूद अजहर पर प्रतिबंध का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किया गया.
- 2016 : भारत ने सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा, जिसे चीन ने रोक दिया.
- 2017 : अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से प्रस्ताव पारित किया, इस पर चीन ने वीटो कर दिया.
- 2018 : फ्रांस के प्रस्ताव का ब्रिटेन व अमेरिका ने समर्थन किया, लेकिन बीजिंग ने फिर डाला अड़ंगा.
मसूद पर प्रतिबंध लगता तो…
- संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी सदस्य देश की यात्रा पर रोक लग जाती.
- उसकी सारी चल-अचल संपत्ति जब्त कर ली जाती.
- संयुक्त राष्ट्र से जुड़े देश के लोग किसी तरह से मसूद अजहर की मदद नहीं कर पाते.
- कोई भी देश इस आतंकी संगठन को हथियार मुहैया नहीं करा पाता.
- पाकिस्तान को भी मजबूरन मसूद की गतिविधियों पर रोक लगानी पड़ती.
मसूद अजहर क्यों बना नासूर
संसद, पठानकोट एयरबेस, उरी सैन्य शिविर, पुलवामा समेत जम्मू-कश्मीर में कई अन्य जगह पर हमले का साजिशकर्ता है. वर्ष 1999 में एयर इंडिया के विमान आइसी814 का अपहरण कर आतंकवादी कंधार ले गये. 184 लोगों की जान के बदले में तत्कालीन सरकार को मसूद अजहर को छोड़ना पड़ा था.
इसलिए भारत से चिढ़ा हुआ है चीन
- एशिया में भारत से मुकाबले और OBOR प्रोजेक्ट में चीन को पाक की जरूरत.
- मुस्लिम देशों और गुटनिरपेक्ष देशों के संगठन में पाक देता है चीन का साथ.
- भारत-अमेरिका की दोस्ती बर्दाश्त नहीं, इसलिए मसूद जैसे मुद्दे में उलझाना है चीन का मकसद.
- तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के भारत में शरण से भी चिढ़ता है यह ड्रैगन देश.