चीन-पाकिस्तान की पहली रणनीतिक वार्ता में छाया रहा पुलवामा आतंकी हमले का मुद्दा
बीजिंग : पाकिस्तान और चीन के बीच पहली रणनीतिक वार्ता का केंद्र बिंदु पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान के बीच तनाव रहा. बीजिंग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुजारिश की कि वह आतंकवाद से लड़ने के लिए इस्लामाबाद की प्रतिबद्धता को ‘उचित नजरिये’ से देखे. पुलवामा हमले के बाद देश से संचालित होने वाले […]
बीजिंग : पाकिस्तान और चीन के बीच पहली रणनीतिक वार्ता का केंद्र बिंदु पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान के बीच तनाव रहा. बीजिंग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुजारिश की कि वह आतंकवाद से लड़ने के लिए इस्लामाबाद की प्रतिबद्धता को ‘उचित नजरिये’ से देखे. पुलवामा हमले के बाद देश से संचालित होने वाले आतंकी संगठनों पर लगाम कसने के लिए पाकिस्तान भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहा है.
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गौरतलब है कि 14 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन हमलावर ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें 40 जवानों की मौत हो गयी थी. जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकी समूहों में से एक है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादियों की सूची में डालने की कोशिश को चौथी बार बीजिंग द्वारा अटकाने के कई दिनों बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी के बीच बैठक हुई.
बैठक के बाद यी ने कहा कि चीन पाकिस्तान की संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और गरिमा को बनाये रखने के लिए उसका समर्थन करता है. पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी कोशिशों की सराहना करते हुए यी ने कहा कि चीन और पाकिस्तान द्वारा अपने वतन में हाल में आतंकवाद को रोकने के लिए उठाये गये कड़े उपायों की सराहना करता है. हम आतंकवाद रोधी अभियान चलाने में पाकिस्तान का पूरी तरह से सहयोग करेंगे.
वहीं, संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कुरैशी ने कहा कि हमने पुलवामा घटना से उपजी स्थिति पर भी चर्चा की. संवाददाता सम्मेलन में दोनों पक्षों ने चुनिंदा सवाल के ही जवाब दिये. पुलवामा हमले में जैश-ए-मोहम्मद की हिस्सेदारी के साथ-साथ चीन द्वारा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से अज़हर को वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करने के लिए लाये गये प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन द्वारा अटकाने का संदर्भ प्रेस के साथ बातचीत के दौरान गायब था.
कुरैशी ने कहा कि जैसा वांग यी ने सुझाया है कि दोनों पक्षों को सयंम बरतना चाहिए. मेरे ख्याल से दुनिया ने यह देखा कि पाकिस्तान ने संयम बरता और जिम्मेदारी से काम किया. उन्होंने यह भी कहा कि हमेशा से हमारे लंबित मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत के लिए तैयार रहा है. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि हमने पाकिस्तान-भारत रिश्तों पर इस (पुलवामा) घटना के प्रभावों पर चर्चा की. साथ में, विभिन्न स्तरों पर होने वाले तनाव तथा क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता पर इसके प्रभावों पर भी चर्चा की.
उन्होंने कहा कि मैंने हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए और पाकिस्तान की ओर से उठाये गये कदमों के बारे में वांग ने जानकारी दी. पाकिस्तान उस भूमिका की सराहना करता है, जिसमें चीन ने इन मुश्किल समय में पाकिस्तान के साथ खड़ा होकर एक बार फिर निभायी थी. कुरैशी ने पत्रकार वार्ता में कश्मीर के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि उन्होंने यी को कश्मीर में तेजी से खराब होती स्थिति के बारे में भी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतिक्रिया से बचना चाहिए, जो क्षेत्र में तनाव पैदा करे.
अपनी टिप्पणी में यी ने कहा कि चीन और पाकिस्तान ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमति जतायी. उन्होंने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वह पाकिस्तान द्वारा बरसों से आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए की गयी प्रतिबद्धताओं को उचित नजरिये से अपनायें. हम समझते हैं कि शांतिपूर्ण और स्थिर दक्षिण एशिया क्षेत्रीय देशों का आम हित है और दुनिया तथा चीन की आकांक्षाओं को पूरा करता है.
उन्होंने कहा कि चीन पाकिस्तान की ओर से स्थिति को शांत करने के लिए किये गये प्रयासों की प्रशंसा करता है. हम पाकिस्तान और भारत दोनों से अपील करते हैं कि वह संयम बरते और अपने मतभेदों को बातचीत के जरिये शांतिपूर्ण तरीके से हल करें. संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के नियमों का वास्तविक तरीके से पालन करना चाहिए. यी ने कहा कि हम पाकिस्तान की राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार उसके विकास के रास्तों के स्वतंत्र चयन का दृढ़ता से समर्थन करते हैं और समृद्धि के लिए उसके प्रयासों का समर्थन करता है और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में पाकिस्तान की अधिक से अधिक रचनात्मक भूमिका का समर्थन करता है.
इससे पहले कुरैशी ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग किशान से मुलाकात की थी. किशान ने कुरैशी से कहा था कि चीन अवसरों को भुनाने और चुनौतियों से निपटने में पाकिस्तान का समर्थन करता है और स्थिर विकास को प्राप्त करने के लिए अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को ठीक से संभालता है. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, कुरैशी ने उपराष्ट्रपति से कहा कि पाकिस्तान, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में चीन की रचनात्मक भूमिका की सराहना करता है.
पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद पर लगाम कसने के लिए उठाये गये कदमों के बारे में पूछने पर कुरैशी ने ज्यादातर अल कायदा और ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवटमेंट से संबंध आतंकवादियों पर कार्रवाई के बारे में बात की, जो चीन के शीजिआंग में सक्रिय हैं. उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बारे में कोई बात नहीं की, जो भारत में हमले करते हैं. चीन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाता रहा है.