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बाहरी नहीं, कृष्ण की नगरी से दैवीय संबंध है मेरा : हेमा मालिनी

मथुरा: विरोधी भले ही उन पर ‘बाहरी’ होने का आरोप लगा रहे हों लेकिन मथुरा से सांसद हेमा मालिनी का कहना है कि वह वृंदावनवासी है और उनका कृष्ण की नगरी से दैवीय संबंध है साथ ही लोगों को यह नहीं भूलना चाहिये कि वह सिर्फ सांसद नहीं है. सपा, बसपा और रालोद के महागठबंधन […]

मथुरा: विरोधी भले ही उन पर ‘बाहरी’ होने का आरोप लगा रहे हों लेकिन मथुरा से सांसद हेमा मालिनी का कहना है कि वह वृंदावनवासी है और उनका कृष्ण की नगरी से दैवीय संबंध है साथ ही लोगों को यह नहीं भूलना चाहिये कि वह सिर्फ सांसद नहीं है. सपा, बसपा और रालोद के महागठबंधन ने यहां आगामी लोकसभा चुनाव को ‘बृजवासी बनाम बाहरी’ का मुकाबला करार दिया है क्योंकि हेमा का घर मुंबई में है.

पिछले लोकसभा चुनाव में रालोद के जयंत चौधरी को 3, 30, 743 वोट से हराने वाली हेमा ने कहा ,‘‘मुझे पता है कि मैं इतने बड़े, पूरे शहर को खुश नहीं कर सकती लेकिन मैंने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया है और आगे भी करती रहूंगी.’

पिछले दो दशक से भाजपा की स्टार प्रचारक रहीं अभिनेत्री ने कहा ,‘ हां, मेरा मुंबई में घर है तो इससे किसी को क्या दिक्कत है. मेरा यहां भी घर है और मैं वृंदावनवासी हूं. मेरा इस शहर से दैवीय संबंध है. मैने पूरी जिंदगी राधा और मीरा का किरदार मंच पर निभाया है और जब मेरे नाम का ऐलान हुआ तब भी मैं मंदिर में ही थी.”

उन्होंने कहा ,‘ पिछले पांच साल में मैं 250 से ज्यादा बार यहां आई हूं. लोगों को समझना होगा कि मैं सिर्फ सांसद नहीं हूं और बतौर अभिनेत्री तथा नृत्यांगना भी मुझे अपने हुनर का ध्यान रखना है. वैसे भी यहां मेरे चौबीसों घंटे रहने की जरूरत नहीं है. मैं दस दिन में आकर काम कर जाती हूं.’

लंबे समय से राजनीति में रहने के बावजूद हेमा खुद को पक्का राजनेता नहीं मानतीं और ना ही उनकी मंत्री बनने की कोई ख्वाहिश है हालांकि उन्होंने मोदी केबिनेट में शामिल महिला मंत्रियों की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा ,‘ मैं मथुरा तक ही खुद को सीमित रखना चाहती हूं. कई बार मुझसे पूछा जाता है कि आप मंत्री बनना नहीं चाहतीं तो मुझे अजीब लगता है. मंत्री बनना एक पूर्णकालिक जिम्मेदारी है. मोदी जी की केबिनेट में महिला मंत्रियों का प्रदर्शन उम्दा रहा है और मुझे उन पर गर्व है लेकिन यह कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है.’

हेमा के नाम की चर्चा फतेहपुर सीकरी जैसी दूसरी लोकसभा सीटों के लिये भी हुई लेकिन उन्होंने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि स्थानीय भाजपा में कोई अंतर्कलह है. उन्होंने कहा ,‘ कोई अंदरूनी लड़ाई नहीं है और पार्टी के कार्यकर्ता मेरा बहुत सम्मान करते हैं. वे मेरे साथ है और मुझे यकीन है कि इस बार जीत का अंतर पहले से अधिक होगा.’

पिछले पांच साल में हेमा सबसे ज्यादा व्यथित तब हुईं जब लोगों ने उनके काम पर सवाल उठाया लेकिन उन्होंने कहा कि वह अपने काम से ही जवाब देंगी. उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे बहुत दुख होता है जब कोई पूछता है कि आपने क्या काम किया. पहले दो साल कठिन थे क्योंकि मुझे संवाद की दिक्कत आई. लेकिन आखिरी दो साल में केंद्र और राज्य सरकार की मदद से मैंने सारे काम कराये. बृज तीर्थ विकास परिषद के तहत कई परियोजनायें स्वीकृत हो गई हैं जिन्हें पूरा करने के लिये मुझे रूकना ही है.’

नामांकन पत्र दाखिल करते समय उन्होंने इसे अपना आखिरी चुनाव बताया था लेकिन इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अभी उनका ध्यान वर्तमान पर है. उन्होंने कहा ,‘ मैं अगले पांच साल का पूरा इस्तेमाल करना चाहती हूं. भविष्य के बारे में पांच साल बाद बात करेंगे. देखते हैं कि मुझमें कितनी ऊर्जा रहती है.’ चुनाव प्रचार के लिये अपने परिवार के आने की संभावना के बारे में पूछने पर हेमा ने कहा ,‘ धरमजी आयेंगे या नहीं, अभी कह नहीं सकती. मैं चाहती थी कि ऐशा आये लेकिन वह मां बनने वाली है.”

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