।। दक्षा वैदकर ।।
मेरे एक मित्र का किसी से झगड़ा हो गया. झगड़े को लेकर वह थोड़ा परेशान हो गया. उसने सोचा कि उस व्यक्ति से फेसबुक पर बात कर, इस झगड़े को सुलझा लिया जाये. जब उसने फेसबुक पर उससे चैट करने की कोशिश की, तो पता चला कि दोस्त ने उसे अपनी फ्रेंड लिस्ट से ब्लॉक कर दिया है. मेरे मित्र को इस बात से धक्का लगा.
वह दिनभर इन्हीं विचारों में गुढ़ता रहा कि सामनेवाले की हिम्मत इतनी बढ़ गयी कि मुङो अनफ्रेंड करे. वह गुस्से व दुख से भर गया. उसे इतना ज्यादा अपमानित महसूस हुआ कि उसने अपना फेसबुक अकाउंट ही डिलीट कर दिया. दोस्तों ने पूछा कि फेसबुक से क्यों गायब हो? लेकिन उसने जवाब नहीं दिया.
एक दिन फेसबुक पर जब परिवार के लोगों के साथ चर्चा छिड़ी, तो किसी ने उससे पूछा ‘तुम क्या करते हो, जब कोई फेसबुक चैट पर आकर तुम्हें परेशान करता है या झगड़ा करता है?’ दोस्त ने बिना देर किये कहा, ‘जिससे भी मेरी चैट पर नहीं बनती, बहस होती है, उसे मैं तुरंत ब्लॉक कर देता हूं.’ सामनेवाले ने पूछा, ‘जिन्हें तुम्हें अनफ्रेंड करते होगे या ब्लॉक करते होगे, उन्हें तो बहुत बुरा लगता होगा.’ दोस्त ने कहा, ‘इसमें मैं क्या कर सकता हूं. मुङो जो पसंद नहीं आयेगा, उसे ब्लॉक करना मेरा हक है.’ सामनेवाले ने कहा, ‘जब तुम किसी को ब्लॉक करना अपना हक समझते हो, तो सामनेवाले के ब्लॉक करने पर इतना गुस्सा क्यों आया कि अपना अकाउंट ही डिलीट कर दिया?’
दोस्त को उसकी गलती समझ आयी. वह अब जान गया था कि हर इनसान को उसकी जिंदगी जीने का, अपनी पसंद के मुताबिक दोस्त चुनने का हक है. आप किसी से जबरदस्ती दोस्ती नहीं कर सकते. किसी ने अगर आपको अपनी फ्रेंड लिस्ट से ब्लॉक कर दिया है या आपसे बात करना बंद कर दिया है, तो इसमें बुरा मानने जैसी कोई बात नहीं है. इसे अपना अपमान नहीं समझना चाहिए. हम भूल जाते हैं कि दरवाजे की कुंडी दोनों तरफ से लगती है. अगर सामनेवाले ने अपनी तरफ से दरवाजा बंद कर दिया है, तो आपके पास भी कुंडी लगाने का ऑप्शन है.
बात पते की..
– हर बात को दिल से न लगाएं. किसी ने शादी पर नहीं बुलाया, किसी ने चाय का नहीं पूछा, तो दुखी न हों. ये सामनेवाली की मर्जी है. आप खुश रहें.
– कोई भी आपका अपमान तब तक नहीं कर सकता है, जब तक आप खुद न चाहें. लोग आपकी मर्जी के मुताबिक नहीं चलते, उनकी अपनी सोच है.