लखनऊ : कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली वीवीआईपी सीट ‘रायबरेली’ पर एक बार फिर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी मैदान में हैं. इस बार सोनिया का मुकाबला पूर्व कांग्रेसी नेता और अब भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह से होगा. इस लोकसभा सीट से गांधी परिवार के फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी तो चुनाव जीत ही चुके है पिछले 2004 लोकसभा से यह सीट यूपीए अध्यक्ष और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास है.
Earlier visuals: Sonia Gandhi filed her nomination from Raebareli. Rahul Gandhi, Priyanka Gandhi Vadra & Robert Vadra also present. #IndiaElections2019 pic.twitter.com/i1CKJBawC9
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 11, 2019
रायबरेली सीट पर इस लोकसभा चुनाव में पांचवें चरण में छह मई को मतदान है. कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी ने गुरुवार को अपने पुत्र कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पुत्री कांग्रेस महासचिव सोनिया गांधी के साथ नामांकन पत्र दाखिल किया . इस बार कांग्रेस नेता सोनिया गांधी का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के दिनेश प्रताप सिंह से होगा. दिनेश सिंह को कभी गांधी परिवार का करीबी माना जाता था. वह कांग्रेस से ही विधानपरिषद सदस्य भी रह चुके हैं लेकिन पिछले साल उन्होंने कांग्रेस को झटका देते हुये भाजपा का दामन थाम लिया और भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें सोनिया गांधी के खिलाफ टिकट थमा दिया.
अगर इतिहास के पुराने पन्नों को खंगालें तो 1957 से 2014 तक केवल तीन बार यह सीट कांग्रेस के पास नहीं रही है. पहली बार इमरजेंसी के बाद 1977 में राजनारायण ने इंदिरा गांधी को हराया था जबकि 1996 और 1998 के चुनाव में यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गयी थी. इसके अलावा हर बार इस सीट पर कांग्रेस का ही परचम लहराया है. अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों और 3 उपचुनावों में कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की. 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा-सपा-रालोद गठबंधन ने राहुल और सोनिया के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है. लोकसभा सीट रायबरेली जिले की 5 विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है.
रायबरेली लोकसभा सीट में छह विधानसभा सीटें आती हैं,ये सीटें हैं बछरावां, हरचन्दपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहार. 2014 के चुनाव में कांग्रेस की सोनिया गांधी को पांच लाख 26 हजार 434 वोट मिले थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वन्दी भाजपा के अजय अग्रवाल एक लाख 73 हजार 721 वोट मिले थे. अग्रवाल को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. अब तक इस सीट पर हुए कुल 19 लोकसभा चुनावों (16 चुनाव तथा तीन उपचुनाव) में 16 बार गांधी-नेहरू परिवार या उनके करीबियों का कब्जा रहा है . 1996- 1998 में जब गढ़ डगमगाया और भाजपा ने इस पर कब्जा किया तो फिर सोनिया गांधी को गढ़ बचाने को यहां से उतरना पड़ा. इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1967, 1971 और 1980 का लोकसभा चुनाव जीती थीं जबकि नेहरू परिवार की शीला कौल 1989 और 1991 का लोकसभा चुनाव जीती थी.