रांची : पहले चरण में राज्य की तीन सीटों पर लोकसभा चुनाव होना है. वर्तमान में तीनों सीटें भाजपा के पास है. भाजपा ने इस चुनाव में भी पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है. पलामू से वर्तमान सांसद बीडी राम, लोहरदगा से केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत और चतरा से सुनील सिंह एक बार फिर से मैदान में हैं. राजनीतिक नफा-नुकसान और समीकरण को तौलते हुए भाजपा ने इन सीटों पर किसी का टिकट नहीं काटा. हालांकि दिल्ली में पलामू और चतरा सीट को लेकर खूब एक्सरसाइज हुआ. तरह-तरह की अटकलें लगी. चतरा सीट को होल्ड पर भी रखा गया, लेकिन फिर सुनील सिंह को ही मौका मिला.
उपचुनाव में जीत के बाद सुखदेव की पार्टी में बढ़ी साख
इधर, यूपीए नये खिलाड़ियों के साथ मैदान में है. यूपीए के घटक दल कांग्रेस और राजद के खाते में ये सीटें गयी थी़ं लोहरदगा से कांग्रेस ने विधायक सुखदेव भगत को मौका दिया़ सुखदेव भगत का लोहरदगा उपचुनाव में जीत के बाद पार्टी में साख बढ़ा है. वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे़ कांग्रेस ने पुराने चेहरे रामेश्वर उरांव को मौका नहीं दिया़ रामेश्वर उरांव लगातार दो बार लोहरदगा सीट से हारे. पिछले चुनाव में वह भाजपा के सुदर्शन भगत से कांटे की टक्कर में लगभग सात हजार वोट से हारे थे.
राजद में बदल दिया उम्मीदवार
उधर, पलामू में राजद ने यूपीए गठबंधन के तहत मिली सीट पर अपना उम्मीदवार बदल दिया. पिछले लोकसभा चुनाव में पलामू से झाविमो के उम्मीदवार रहे घुरन राम को राजद ने इस बार उम्मीदवार बनाया है, जबकि पिछली बार राजद ने मनोज कुमार भुइयां को मौका दिया था़ वह दो लाख वोट के साथ दूसरे स्थान पर थे.
चतरा की बदली तस्वीर
वहीं चतरा में यूपीए की तस्वीर बदली है. 14 लोकसभा सीट में चतरा एकमात्र सीट है, जहां यूपीए के दलों के बीच फ्रैंडली फाइट है. यह सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी, लेकिन इस सीट पर राजद ने सुभाष यादव को इस बार उम्मीदवार बनाया. इस सीट पर कांग्रेस ने भी प्रत्याशी दिया है. कांग्रेस ने बरही के विधायक मनोज यादव को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर भी कांग्रेस का चेहरा बदल गया है. पिछली बार इस सीट से वर्तमान राज्यसभा सांसद धीरज साहू चुनाव लड़े थे. पिछले चुनाव में धीरज साहू को एक लाख 17 हजार से अधिक वोट आये थे. इस बार कांग्रेस और राजद के प्रत्याशी आमने-सामने होंगे़ सीट पर यूपीए के अंदर जोरदार सेंधमारी होगी. ऐसे में भाजपा को राहत मिलेगी.
चमरा के मैदान में नहीं रहने से बदला गणित
लोहरदगा सीट से इस बार झामुमो विधायक चमरा लिंडा चुनाव मैदान में नहीं हैं. यूपीए ने राहत की सांस ली है. चुनाव में चमरा के उतरने के बाद लोहरदगा में चुनावी गणित बदल जाती. पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में चमरा लिंडा एक लाख 36 हजार से अधिक वोट ला चुके थे. वहीं 2009 में वह दूसरे स्थान पर थे. चमरा उस चुनाव में एक लाख 44 हजार वोट लाकर सिर्फ आठ हजार वोट से भाजपा के सुदर्शन भगत से हार गये थे. उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर उरांव तीसरे स्थान थे. ऐसे में चमरा यूपीए के लिए परेशानी के सबब बने हुए थे. चमरा लिंडा तृणमूल कांग्रेस व निर्दलीय चुनाव लड़ कर भी चौंकाते रहे हैं. इस चुनाव में सुदर्शन भगत व कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत आमने-सामने होंगे. संघर्ष तीखा होगा़ वोटों का ध्रुवीकरण तेज रहेगा. यूपीए-एनडीए जिसने भी वोटों की गोलबंदी अपने पक्ष में की, वहीं बाजी मारेंगे.