बंगाल लोकसभा चुनाव में हिंदी भाषा-भाषी फैक्टर अहम

कोलकाता से अजय विद्यार्थी बांग्ला भाषा बहुल प्रदेश पश्चिम बंगाल के लोकसभा चुनाव में हिंदी भाषा-भाषी फैक्टर अहम भूमिका निभाते हैं. राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में लगभग 12 सीटों पर हिंदी भाषा-भाषियों के वोट उम्मीदवारों की जीत-हार तय करते हैं. कई संसदीय क्षेत्रों में हिंदी भाषियों की बड़ी जनसंख्या के मद्देनजर राजनीतिक दल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2019 7:40 AM
कोलकाता से अजय विद्यार्थी
बांग्ला भाषा बहुल प्रदेश पश्चिम बंगाल के लोकसभा चुनाव में हिंदी भाषा-भाषी फैक्टर अहम भूमिका निभाते हैं. राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में लगभग 12 सीटों पर हिंदी भाषा-भाषियों के वोट उम्मीदवारों की जीत-हार तय करते हैं. कई संसदीय क्षेत्रों में हिंदी भाषियों की बड़ी जनसंख्या के मद्देनजर राजनीतिक दल इन वोटरों को लुभाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं.
हाल में हिंदी भाषा-भाषी बहुल आसनसोल संसदीय क्षेत्र में ‘ एक बिहारी, सब पर भारी’ जैसे नारे भी लगाये गये, जबकि अन्य हिंदी बहुल संसदीय क्षेत्र बैरकपुर में ‘हिंदी बनाम बंगाली’ रंग देने की बात भी सामने आयी है. हिंदी मतदाताओं को ही ध्यान में रखकर हिंदी बहुल इलाकों में तृणमूल और भाजपा दोनों पार्टियों ने रामनवमी का उत्सव धूमधाम से पालन किया. चैती छठ पूजा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यवासियों को छठ पूजा की शुभकामनाएं हिंदी में दीं, तो कार्तिक छठ पूजा पर राज्य सरकार दो दिनों के अवकाश की घोषणा कर चुकी है. इससे पहले सुश्री बनर्जी हिंदी भाषियों द्वारा आयोजित दीपावली प्रीति सम्मेलन में शामिल होती थीं.
कई सीटों पर हार-जीत की भूमिका निभाते हैं हिंदी भाषा-भाषी
प बंगाल में कई ऐसी हैं जहां बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोगों है और हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. इनमेें आसनसोल, बैरकपुर, श्रीरामपुर, उत्तर कोलकाता, हावड़ा, दमदम, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्आर, दुर्गापुर-बर्दवान, जादवपुुर व दार्जिलिंग आदि प्रमुख संसदीय क्षेत्र हैं. एक अनुमान के अनुसार हिंदी बहुल संसदीय क्षेत्र में लगभग 35 % हिंदी भाषा-भाषी मतदाता हैं.
राज्य में हिंदीभाषियों का प्रतिनिधित्व नगण्य
एक तिहाई संसदीय क्षेत्रों में बड़ा फैक्टर होने के बावजूद राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों में हिंदी भाषियों का प्रतिधिनित्व लगभग नगण्य ही हैं. केवल बैरकपुर लोकसभा केंद्र से भाजपा और तृणमूल दोनों ने ही हिंदी भाषी उम्मीदवार क्रमश: अर्जुन सिंह और दिनेश त्रिवेदी को उतारा है. भाजपा ने इसके अतिरिक्त कृष्णनगर संसदीय क्षेत्र से हिंदी भाषा-भाषी कल्याण चौबे को उम्मीदवार बनाया है, जबकि आसनसोल से तृणमूल ने मुनमुन सेन को उम्मीदवार बनाया है.
हिंदीभाषियों को होना होगा संगठित : सीताराम शर्मा
बंगाल में हिंदी भाषियों के प्रतिनिधित्व पर अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष सीताराम शर्मा का कहना है कि प बंगाल में हिंदी भाषा-भाषियों की बड़ी जनसंख्या है, लेकिन जनसंख्या के अनुपात में उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. इसके लिए हिंदी भाषियों को संगठित होना होगा.उन्होंने कहा कि बंगाल में मतदान का प्रतिशत औसत 75 से 80 फीसदी है,लेकिन प्राय: ही देखा जाता है कि हिंदी बहुल क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम होता है.

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