प्रतिबंध हटते ही मायावती हुई मुखर, योगी के साथ-साथ चुनाव आयोग पर भी लगाये आरोप
लखनऊ : भड़काऊ भाषण के मामले में प्रतिबंध हटते ही बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर चुनाव आयोग की पाबंदी का खुला उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इसके लिए आयोग पर सवाल उठाये. मायावती ने ‘ट्वीट’ किया, ‘चुनाव आयोग की पाबंदी का खुला उल्लंघन करके उत्तर प्रदेश […]
लखनऊ : भड़काऊ भाषण के मामले में प्रतिबंध हटते ही बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर चुनाव आयोग की पाबंदी का खुला उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इसके लिए आयोग पर सवाल उठाये.
मायावती ने ‘ट्वीट’ किया, ‘चुनाव आयोग की पाबंदी का खुला उल्लंघन करके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहर-शहर और मंदिरों में जाकर एवं दलित के घर बाहर का खाना खाने आदि का ड्रामा करके तथा उसे मीडिया में प्रचारित-प्रसारित करवाकर चुनावी लाभ लेने का गलत प्रयास लगातार कर रहे हैं, लेकिन आयोग उनके प्रति मेहरबान है, क्यों?’ उन्होंने कहा ‘अगर ऐसा ही भेदभाव और भाजपा नेताओं के प्रति चुनाव आयोग की अनदेखी और गलत मेहरबानी जारी रहेगी तो फिर इस चुनाव का स्वतंत्र तथा निष्पक्ष होना असम्भव है. इन मामलों में जनता की बेचैनी का समाधान कैसे होगा? भाजपा नेतृत्व आज भी वैसी ही मनमानी करने पर तुला है जैसा वह अब तक करता आया है, क्यों?’
गौरतलब है कि ‘अली-बजरंग बली’ वाली टिप्पणी करने पर चुनाव आयोग ने योगी पर गत 16 अप्रैल सुबह छह बजे से अगले 72 घंटे तक किसी भी चुनाव सम्बन्धी गतिविधि में हिस्सा लेने पर पाबंदी लगा दी थी. योगी ने बुधवार को अयोध्या में एक दलित व्यक्ति के घर में भोजन किया था. उसके बाद वह बलरामपुर पहुंचे और मां पाटेश्वरी देवी के दर्शन करने के अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी. उनके इस कार्यक्रम को मीडिया में प्रमुखता से प्रसारित भी किया गया था. योगी पर पाबंदी की अवधि शुक्रवार को खत्म होगी. इस बीच, योगी के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने मायावती के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा ‘किसी के व्यक्तिगत निमंत्रण पर उसके घर भोजन करना, व्यक्तिगत आस्था के तहत पूजन-दर्शन करना आयोग के निर्देशों का उल्लंघन कैसे हो सकता है?
लिखा हुआ भाषण पढ़ती हैं तो आयोग के आदेश की प्रति भी पढ़िए.’ मायावती ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि आज दूसरे चरण का मतदान है और भाजपा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी तरह घबराये लगते हैं, जैसे पिछले लोकसभा चुनाव में हार के डर से कांग्रेस व्यथित तथा व्याकुल थी. इसकी असली वजह सर्वसमाज के गरीबों, मजदूरों और किसानों के साथ—साथ उनकी दलित, पिछड़ा तथा मुस्लिम विरोधी संकीर्ण सोच तथा कर्म है.
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