भोपाल : भाजपा की शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस के विज्ञापन ‘‘चौकीदार चोर है’ के आडियो एवं वीडियो प्रसारण पर रोक लगा दी है. भाजपा की शिकायत पर निर्वाचन आयोग की राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणन तथा अनुवीक्षण समिति द्वारा इस विज्ञापन के प्रसारण पर रोक लगाई गयी है.
निर्वाचन आयोग के संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मध्यप्रदेश के राजेश कौल ने बुधवार को जारी आदेश में कहा, ‘‘लोकसभा निर्वाचन-2019 के अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रसारित करवाये जा रहे विज्ञापन शीर्षक- ‘चौकीदार चोर है’ को राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणन तथा अनुवीक्षण समिति द्वारा 14 अप्रैल 2019 के आदेश क्रमांक 9264 द्वारा निरस्त किया गया है. अत: इसके प्रसारण पर रोक लगाई जाए.’ इससे पहले भाजपा ने निर्वाचन आयोग को इस संबंध में की गयी शिकायत में कहा था कि इस विज्ञापन में ‘‘चौकीदार’ के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया है तथा यहां चौकीदार से आशय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है. भाजपा ने कहा कि इस विज्ञापन से व्यक्ति विशेष को निशाने पर लिया गया है.
भाजपा ने कहा कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दायर एक याचिका को मंजूर किया है. भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को 22 अप्रैल तक उत्तर देने का निर्देश दिया है. मध्यप्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष विजेश लुनावत ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी असत्य और अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. गांधी ने इन आरोपों को लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत रूप से पेश किया है.
हमने निर्वाचन आयोग को बताया है कि जैसा राहुल गांधी प्रधानमंत्री के खिलाफ व्यक्तिगत आरोप लगा रहे हैं ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कुछ नहीं कहा है.’ वहीं दूसरी और प्रदेश कांग्रेस की मीडिया शाखा की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा कि वह निर्वाचन आयोग के विज्ञापन पर रोक लगाने के निर्णय के खिलाफ अपील करेगें. ओझा ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि निर्वाचन आयोग ने इस विज्ञापन अभियान को पहले स्वीकृति दी थी और बाद में इस पर रोक लगा दी है.
इस संबंध में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल बृहस्पतिवार शाम को आयोग को ज्ञापन सौंपने जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि इस विज्ञापन में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है और इसमें किसी का नाम भी नहीं लिया गया है. उन्होंने सवाल किया कि चुनाव आयोग ने पहले इसकी अनुमति क्यों दी थी और बाद में बिना कोई उचित कारण बतायें इस पर रोक लगा दी.