‘फ्लोटिंग वोटर’ ही कम अंतर से जीत-हार के प्रमुख नायक

महेंद्र तिवारी : लोकसभा चुनाव में हार को जीत में बदलने में ‘फ्लोटिंग वोटर’ अहम भूमिका निभा सकते हैं. कम अंतर यानी 3 से 5 फीसदी फ्लोटिंग वोटर नतीजे में बड़ा बदलाव कर सकते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में उप्र में आधा दर्जन सीटें ऐसी थीं, जिसे भाजपा पांच प्रतिशत से कम वोटों के अंतर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 27, 2019 2:44 AM

महेंद्र तिवारी : लोकसभा चुनाव में हार को जीत में बदलने में ‘फ्लोटिंग वोटर’ अहम भूमिका निभा सकते हैं. कम अंतर यानी 3 से 5 फीसदी फ्लोटिंग वोटर नतीजे में बड़ा बदलाव कर सकते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में उप्र में आधा दर्जन सीटें ऐसी थीं, जिसे भाजपा पांच प्रतिशत से कम वोटों के अंतर जीती थीं.

इसी तरह 10 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत-हार का अंतर 10 प्रतिशत से कम था. विश्लेषक तो पहली बार के वोटर से लेकर निजी लाभ-हानि और सरकारों के परफार्मेंस का मूल्यांकन कर मत देने वालों को भी इसी वर्ग में गिन रहे हैं.
ऐसे मतदाताओं की तादाद लगातार बदल रही है और राजनीतिशास्त्री इसे राजनीति के लिए बेहतर संकेत मानते हैं. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के समाजशास्त्री डॉ विवेकानंद नायक कहते हैं, उप्र की सियासत जाति पर केंद्रित नजर आती है, मगर फर्स्ट टाइम वोटर के पैमाने अलग हैं.
यह व्यक्ति विशेष की ओर जा सकता है. प्रत्याशी यदि फिल्मी दुनिया से है या उसे कोई दूसरा प्रत्याशी पसंद आ गया तो वह परिवार से अलग अपना वोट दे सकता है. वह कहते हैं- पिछली बार फर्स्ट टाइम वोटर का झुकाव नरेंद्र मोदी की ओर था. एक ऐसा वर्ग भी है, जो जिसे जीतते देखता है, उसके साथ हाे जाता है.
जानें कौन होते हैं फ्लोटिंग वोटर
वोट किसे देना है, यह तय करने में अंतिम समय तक अनिर्णय की स्थिति में रहने वाले मतदाता इस श्रेणी में आते हैं. इनके लिए पार्टी या विचारधारा अहम नहीं. जिस पार्टी के प्रचार से प्रभावित हो जाएं या जिसे जीतता हुआ आंक लें, उधर चले जाते हैं. पार्टी की लीडरशिप या प्रत्याशी से प्रभावित होकर उसके साथ जा सकते हैं.आसपास के प्रभावशाली लोग जिधर जाते हैं, ये भी वही राह अपना सकते हैं.
फर्स्ट टाइम वोटर पर ज्यादा जोर
पीएम मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव में भी फर्स्ट टाइम वोटर को अपने अभियान के केंद्र में रखा था और इस चुनाव में भी वे यही अपील कर रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव युवाओं को जोड़ने पर लगातार फोकस कर रहे हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती ने युवाओं को पार्टी की ओर आकृष्ट करने के लिए अपने युवा भतीजे आकाश आनंद को साथ-साथ मंच पर ले जाना और आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है.
6 सीटों पर 5 फीसदी से भी कम रहा जीत-हार का अंतर
रामपुर 2.44
संभल 0.49
सीतापुर 4.94
कन्नौज 1.79
बस्ती 3.20
गाजीपुर 3.29
6 सीटें ऐसी, जहां जीत-हार का अंतर 5 से 10 प्रतिशत
सहारनपुर 5.45
आजमगढ़ 6.58
लालगंज 7.0
कुशीनगर 9.0
कैसरगंज 9.29
इलाहाबाद 6.95

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