भारत में बुलेट ट्रेन: सपना या हक़ीक़त?
के सी जैना पूर्व चेयरमैन, रेलवे बोर्ड रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन केसी जैना का मानना है कि हमने मालभाड़े को तरजीह न देकर यात्री भाड़े को तवज्जो दी, इसीलिए भारतीय रेल की हालत खराब हुई है. उन्हें मौजूदा बजट में उम्मीद दिखती है. उनका कहना है कि नई सरकार को मौक़ा देना चाहिए ताकि […]
रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन केसी जैना का मानना है कि हमने मालभाड़े को तरजीह न देकर यात्री भाड़े को तवज्जो दी, इसीलिए भारतीय रेल की हालत खराब हुई है. उन्हें मौजूदा बजट में उम्मीद दिखती है. उनका कहना है कि नई सरकार को मौक़ा देना चाहिए ताकि वह अपने वादे पूरे कर सके.
बीबीसी से बातचीत में केसी जैना ने कहा, ”मुझे बजट से उम्मीद है क्योंकि सरकार ने इस कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं घोषित किया है, जो हर साल होता रहा है. क़रीब एक लाख 82000 करोड़ लागत के पिछले प्रोजेक्ट ही अधूरे पड़े हैं.”
क्या भारत बुलेट ट्रेन के लिए तैयार है?
लोगों को लगता है कि हम इन्हीं ट्रैक पर बुलेट ट्रेन चलाएंगे. ऐसा नहीं हो सकता. उसके लिए ख़ास इंजन, डिब्बे, ट्रैक और मूलभूत ढांचा चाहिए. दूसरे, अभी तक केवल ताईवान ने निजी पैसे से ट्रेन चलाई है और वह कामयाब रहा है. भारत भी ऐसा कर सकता है. पर देखना होगा कि निवेश कौन और कितना करता है. हमारे पास तकनीकी क्षमता है.
एफ़डीआई और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की बात कितनी व्यावहारिक है?
हर चीज़ के लिए वो पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी पर निर्भर हो गए हैं. पिछले पांच साल से ऐसी कोशिशें कामयाब नहीं रही हैं. पिछले रेल बजट में पीपीपी के ज़रिए 60 हजार करोड़ मिलने थे, पर नहीं मिले. देखना है कि यह सरकार क्या करती है.
एफ़डीआई पर पहले नहीं सोचा गया. मैं यूके की एक कंपनी का चेयरमैन हूं इसलिए हमें भी इसका इंतज़ार है.
रेलवे की खराब हालत की वजह नौकरशाही है या राजनीति?
भारतीय रेल की खराब हालत की वजह उसकी वित्तीय हालत है. पिछले पांच साल में हमने क़रीब 700 से ज़्यादा यात्री ट्रेनें चलाईं. उसी रूट पर मालगाड़ियां भी चलती हैं. हालत यह है कि एक ट्रेन दिल्ली से निकलती है पर समय सारिणी के मुताबिक़ मुग़लसराय नहीं पहुंच पाती.
हमें अपनी क्षमता बढ़ाने पर ज़ोर देना चाहिए था, पर पैसे की कमी से नहीं कर पाए. हमने मालभाड़े को तरजीह न देकर यात्री भाड़े को तवज्जो दी, इसलिए भारतीय रेल की यह हालत हुई है. जबकि रेलवे को आमदनी मालभाड़े से होती है. खर्च के बराबर हम आमदनी नहीं कर रहे क्योंकि हम मालभाड़े का लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे.
यात्री भाड़े का रेलवे के भविष्य पर कितना असर?
मालभाड़े की दर से यात्री किराए पर सब्सिडी देना ठीक नहीं. हमारे मालभाड़े की दर दुनिया में सबसे ज़्यादा है. हमने जबरन यात्री किराए को नीचे रखा है. जितना हम मालभाड़ा बढ़ाएंगे, वह बढ़ता जाएगा और किसी दिन रेल का ट्रैफ़िक सड़क पर चला जाएगा.
दूसरे, जब तक अलग रेल बजट का सिलसिला चलेगा और जब तक हम अलग रेल टैरिफ़ अथॉरिटी नहीं बनाते और उसे राजनीति से मुक्त नहीं करते, तब तक यह चलता रहेगा.
(बीबीसी संवाददाता विनीत खरे से बातचीत पर आधारित)
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