धर्मेंद्र प्रसाद गुप्त
साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले अभी चल रहा लोकसभा चुनाव विधायकों के लिए सेमीफाइनल से कम नहीं है. लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक के बावजूद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपना पूरा दमखम लगा रखा है. भाजपा में टिकट की खातिर अंदरूनी कलह की जो परिस्थितियां बनी है, भीतरघात से शीर्ष नेतृत्व चिंतित था. समय रहते रघुवर दास ने संभावित संकट का काट निकाल लिया. उन्होंने अपने नेताओं को संदेश दिया, जो कारगर साबित होता दिख रहा है. हाल ही में गिरिडीह जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा हुई थी. कार्यक्रम से कुछ दिनों पूर्व श्री दास ने एक तैयारी बैठक में विधायकों को साफ शब्दों में चेताया. कहा कि उनके क्षेत्र में बीजेपी या गठबंधन के प्रत्याशी को बढ़त नहीं मिली, तो विधानसभा चुनाव के वक्त उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं यानी उनका टिकट काटा जा सकता है. मुख्यमंत्री की ये बातें अपने विधायकों, नेताओं व कार्यकर्ताओं को कितना बांधे रखेगी, यह वक्त तय करेगा. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि इस संदेश ने विधायकों की बेचैनी बढ़ा दी है.
धनबाद : धनबाद लोकसभा का चुनाव इस दफे कई मायनों में रोचक बन गया है. वर्ष 2014 का इलेक्शन रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले पार्टी प्रत्याशी पशुपतिनाथ सिंह के सामने पूर्व क्रिकेटर तथा तीन बार सांसद रह चुके कांग्रेस के कीर्ति झा आजाद हैं. मैदान में उनके उतरने से धनबाद के पुराने कांग्रेसियों के साथ-साथ महागठबंधन के नेताओं में भी सरगर्मी आ गयी है. दोनों दलों ने अपने विधायकों व नेताओं को विजय पताका फहराने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है. दोनों दल लगातार एक-दूसरे को घेरने में जुटे हैं. ग्राउंड लेवल के अलावा सोशल मीडिया पर भी राजनीतिक वार जारी है. ऐसे में भाजपा के पीएन सिंह की राह थोड़ी मुश्किल नजर आती है. हालांकि श्री सिंह अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं. उन्हें अबकी भी मोदी लहर का सहारा मिलने की पूरी उम्मीद है. इन सबके बीच पार्टी नेतृत्व पिछले लोकसभा चुनाव के जैसे प्रदर्शन की रणनीति पर काम कर रहा है. भाजपा के जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह कहते हैं- हमारी आंतरिक संरचना पूरी तरह दुरुस्त है. बूथ लेवल के कार्यकर्ता वरीय नेताओं के साथ घर-घर घूम रहे हैं. हमारे विधायक व प्रत्याशी पीएन सिंह स्वयं जनसंपर्क में जुटे हैं.
धनबाद लोकसभा में विधानसभा की छह सीटें हैं. इनमें से पांच पर भाजपा व एक सीट पर मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का कब्जा है. चंदनकियारी से झाविमो के टिकट पर जीते सूबे के मंत्री अमर बाउरी बाद में भाजपा में चले गये. बोकारो से बिरंची नारायण, धनबाद से राज सिन्हा, सिंदरी से फूलचंद मंडल और झरिया से संजीव सिंह विधायक हैं. वहीं प बंगाल से सटे निरसा से मासस के अरूप चटर्जी एमएलए हैं. देश की कोयला राजधानी कहे जाने वाले धनबाद लोकसभा क्षेत्र में दो बड़े शहर धनबाद और बोकारो आते हैं. यहां बाहरियों की संख्या अत्यधिक है. पार्टी नेताओं का इन वोटों पर अधिक दारोमदार है. इस्पात नगरी बोकारो के वोटरों पर कीर्ति आजाद भी डोरे डाल रहे हैं, क्योंकि यहां वह नौकरी कर चुके हैं. वहीं भाजपा शहरी वोटरों को अपने पाले में लाने की खातिर हर तरह की जतन कर रही है. बोकारो सेक्टर-9 में रहने वाले सुशील कुमार पांडेय किस प्रत्याशी को चुनेंगे, इसके सवाल पर मुस्कुरा देते हैं. श्री पांडेय कहते हैं कि इसे राज ही रहने दें. जाते-जाते सुशील पांडेय कह जाते हैं कि हमारे लिये विकास ही मुद्दा है. बहरहाल, चुनावी गणित का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह 23 मई को ही पता चल सकेगा.