।। दक्षा वैदकर ।।
पिछले दिनों जी टीवी सिने स्टार की खोज का नया सीजन शुरू हुआ. इसमें एक्टर, सिंगर आयुष्मान खुराना तीन जजों में से एक जज बने. आधे शो के दौरान परिणिती चोपड़ा जज थी, तो आधे शो में आयुष्मान. जज की कुरसी पर बैठने से पहले उन्होंने सभी को कहा, ‘आज मैं यहां आ कर कितना खुश हूं, इसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते. यह मेरे लिए एक सपना है, क्योंकि 2004 में मैंने भी यहां स्टार बनने के लिए ऑडिशन दिया था और मैं उसमें फेल हो गया था.
उस वक्त मुङो बहुत बुरा लगा था. मैं रातभर सोया नहीं था. बस रोता रहा था, लेकिन फिर मैंने मेहनत करने की ठानी. खुद पर और काम किया और आखिरकार आज मैं इस मुकाम पर आ गया हूं कि इस शो को जज करूं.’ आयुष्मान ने यह भी कहा कि आज जब मैं अपने उस ऑडिशन का वीडियो देखता हूं, तो खुद पर हंसता हूं. सोचता हूं कि मेरा रिजेक्ट होना ही सही था, क्योंकि उस वक्त सचमुच मुझमें बहुत कमियां थी. उस रिजेक्शन ने ही मुङो खुद को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित किया. कभी-कभी रिजेक्शन भी जरूरी होता है. रिजेक्शन आपको हिला देता है. आपको कहता है कि दोबारा तैयारी करो और पहले से ज्यादा मेहनत करो.
दोस्तों, यह तो सिर्फ एक उदाहरण हमारे सामना आया है, लेकिन दुनिया में ऐसे हजारों उदाहरण भरे पड़े हैं, जो बताते हैं कि किस तरह रिजेक्शन की वजह से लोगों ने सफलता हासिल की. ये हमें सीख देते हैं कि फेल होने से दुखी मत हो. यह मत सोचो कि दुनिया खत्म हो गयी है. अब कुछ नहीं हो सकता. सारे रास्ते बंद हो चुके हैं. ये रिजेक्शन, फेलियर आपको दोबारा तैयारी करने को कहता है. इसके अंदर छिपी इस बात को पहचानो और दोबारा मेहनत में जुट जाओ. किसी ने सच ही कहा है कि जो व्यक्ति कभी गिरा नहीं, वह कभी चला ही नहीं. जो दौड़ने की कोशिश करता है, वही इनसान तो गिरता है. इसलिए दोस्तों दौड़ो, भागो. गिरने के डर से रुको नहीं. गिर जाओ, तो उठने में डरो नहीं. दोबारा दोगुनी मेहनत व तैयारी के साथ दौड़ो ताकि अब की बार दुनिया देखती रह जाये.
बात पते की..
– कई सफल लोग हैं, जो आपको बतायेंगे कि वे फेल हुए, लोग उन पर हंसे, वे दुखी हो कर रोये. साथ ही वे बतायेंगे कि उन्होंने दोबारा मेहनत की.
– परीक्षा हो या रिएलिटी शो, हारना जीवन का एक हिस्सा है. इसको अपनी जिंदगी का अंतिम सत्य मान कर कोई गलत कदम न उठा लें.