कूलिंग थेरेपी शिशुओं के लिए वरदान

स्मिथ मुंदसद स्वास्थ्य संवाददाता, बीबीसी न्यूज़ जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे नवजात शिशुओं को कूलिंग थेरेपी देने से उन्हें सेरेब्रल पॉल्सी जैसी बीमारी से बचाया जा सकता है. प्रसिद्ध शोध पत्रिका न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के एक अध्ययन में यह पता चला है. इस शोध के अनुसार स्कूल जाने की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2014 9:44 PM

जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे नवजात शिशुओं को कूलिंग थेरेपी देने से उन्हें सेरेब्रल पॉल्सी जैसी बीमारी से बचाया जा सकता है.

प्रसिद्ध शोध पत्रिका न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के एक अध्ययन में यह पता चला है. इस शोध के अनुसार स्कूल जाने की उम्र में इन बच्चों का आईक्यू (इंटेलीजेंस कोशेंट) भी बेहतर होता है.

कूलिंग थेरेपी में नवजात शिशु को एक खास मैट पर तीन दिन तक 33 डिग्री सेंटीग्रेड पर रखा जाता है. इससे उनका दीर्घकालिक मानसिक क्षति से बचाव होता है.

ब्रिटेन में हर 500 में से एक नवजात शिशु को जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी का सामना करता है.

ऑक्सीजन की कमी के कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं. इससे बच्चों के दिमाग़ को क्षति पहुंच सकती है, यहां तक कि कई बार उनकी मौत का ख़तरा भी रहता है.

कुछ समय पहले तक इस बीमारी का कोई स्वीकार्य तरीका नहीं था.

जीवित रहने की संभावना

साल 2009 में 300 से अधिक नवजात शिशुओं पर एक अध्ययन हुआ. उन्हें कूलिंग ट्रीटमेंट या थेरेप्युटिक हाइपोथर्मिया दिया गया.

इसके बाद पाया गया कि 18 महीने के शिशुओं में होने वाली मस्तिष्क की क्षति कम की जा सकती है.

कूलिंग थेरेपी वाले 45 फ़ीसदी नवजात शिशुओं में मस्तिष्क से जुड़ी कोई असामान्यता नहीं मिली. जबकि सामान्य उपचार वाले 28 फ़ीसदी बच्चों में दिमाग़ से जुड़ी असामान्यता पाई गई.

इसी तरह सामान्य थेरेपी वाले 36 फ़ीसदी बच्चों की तुलना में कूलिंग थेरेपी वाले केवल 21 फ़ीसदी नवजात शिशुओं में ही सेरेब्रल पॉल्सी पाई गई.

शोधकर्ताओं के मुताबिक़ अब अगला क़दम यह देखना होगा कि हाइपोथर्मिया के इलाज और सामान्य जीवित रहने की संभावना कैसे बढ़ाई जा सकती है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Next Article

Exit mobile version