मित्रों,
सौर ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा के दूसरे स्नेतों के बारे में आप जानते होंगे. इस पर लगातार चर्चा हो रही है. हजारोंगांवों में अब तक बिजली नहीं पहुंची है. राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत जिन गांवों तक बिजली के तार पहुंच भी रहे हैं, वहां पावर नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में सौर ऊर्जा से उम्मीद बंध रही है. देश के कई राज्यों में इस पर अच्छा काम हुआ है. भारत में करीब 25-30 सालों से इस पर काम हो रहा है. इसके लिए अगल मंत्रलय और विभाग हैं. केंद्र और राज्य सरकार ने अक्षय ऊर्जा स्नेतों के विस्तार के लिए एजेंसियां भी बहाल की है.
दुनिया के कुछ देशों ने तो इसे ही बिजली का मुख्य स्नेत बनाया है. भारत में करीब पांच साल से केंद्र सरकार ने इस पर अपना ध्यान केंद्रित किया है. बिहार में कृषि रोड मैप बनाया गया है. इसमें 2017 तक ज्यादा से ज्यादा किसानों को सोलर पंप की सुविधा दी जाती है, ताकि बिजली की कमी से होने वाली परेशानी और जेनेरेटर से होने वाले प्रदूषण से निबटा जा सके. इसमें किसानों को केंद्र और राज्य सरकारें 90 फीसदी सब्सिडी दे रही है. इसी तरह झारखंड में भी योजना चल रही हैं. सबसे अहम भारत सरकार की योजनाएं हैं. केंद्र सरकार ने 2009 में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा योजना शुरू की. इस योजना के दयारे में हमारे गांव-पंचायत भी आते हैं. केंद्र की अक्षय ऊर्जा योजना में राष्ट्रीय बायोमास कुक स्टोव योजना, सोलर लाइट वितरण कार्यक्रम, देसी सौर लालटेन आदि शामिल हैं.
इनका लाभ गांव-पंचायत के लोगों को मिलना है. इन योजनाओं का लाभ किसे, कितना और कैसे मिलना है, इस पर सरकार का दिशा निर्देश बिल्कुल स्पष्ट है, लेकिन जानकारी के अभाव में सही लोग इसका लाभ नहीं ले पाते हैं. खास कर सोलर लाइट के वितरण में. इसमें स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों और शिक्षा पाने वाली महिलाओं तथा उन्हें शिक्षा देने वाले संस्थानों को प्राथमिकता के आधार पर सोलर लाइट दिया जाना है. महिला छावासों को भी प्राथमिकता के आधार पर सोलर लाइट दी जानी है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए इसमें कोटा भी तय है. इन सब की जानकारी प्रखंड और पंचायत स्तर पर सरकारी मशीनरी द्वारा आम जनता दिये जाने का सरकार का निर्देश भी है. जब लोगों को इसकी जानकारी होगी, तो इस योजनाओं और कार्यक्रमों में होने वाली गड़बड़ियों को रोक सकेंगे. हम यहां उन्हीं योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी दे रहे हैं, ताकि आप इनकी निगरानी कर सकें और जरूरत पड़ने पर सूचना का अधिकार का इस्तेमाल कर योजनाओं के कार्यान्वयन की असलियत को उजागर कर सकें.
आरके नीरद
राष्ट्रीय बायोमास कुक स्टोव योजना
राष्ट्रीय बायोमास कुक स्टोव योजना दो दिसंबर 2009 को केंद्र सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रलय द्वारा शुरू की गयी. इसका प्राथमिक उद्देश्य देश की ऊर्जा की कमी को दूर करना और गरीब वर्गों के लिए स्वच्छ और कुशल ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ाना है. इसके लिए प्रमुख तकनीकी संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास कार्यक्र मों को बढ़ा देने का फैसला हुआ. इसके तहत अत्याधुनिक परीक्षण, प्रमाणीकरण और निगरानी की सुविधाओं को बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया. इन सब का उद्देश्य यही है कि लोगों को गुणवत्तापूर्ण बायोमास कुक स्टोव यानी खाना बनाने वाला चूल्हा मिल सके, जो बायोमास ऊर्जा से चलता है. इसमें तहत व्यावसायिक तौर पर और बेहतर कुक स्टोव की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ उसकी ग्रेडिंग भी की गयी है.
50 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता
परियोजना में बायोमास कुक स्टोव के लिए सरकार ने सब्सिडी का भी प्रावधान किया है. यह स्टोव कह कुल लागत का 50 प्रतिशत तक निर्धारित है.
सौर लालटेन कार्यक्रमकेंद्र सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की एक और योजना है, जिसका नाम है सौर लालटेन कार्यक्रम. इसका मकसद कैरोसिन से जलने वाले लालटेन और बत्ती वाले दीयों के प्रचलन को खत्म करना है. कैरोसिन की मांग को घटा कर तेल के आयात के दबाव को कम करना जरूरी समझा गया. दूसरा के पर्यावरण और मरनव स्वास्थ्य को इनसे भी बड़ा खतरा है. तीसरा कि कैरोसिन की उपलब्धता को सुनिश्चित करना दिन-प्रतिदिन जटिल हो रहा है. चौथा कि प्रकाश के लिए तेल वाले लालटेन और दीयों की जगह यह ज्यादा उपयुक्त और ठोस उपाय है. इसलिए पर्यावरण हितैषी सौर लाइिटंग प्रणाली के उपयोग के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए इस तरह की योजना लागू की गयी है. इसके लिए किसी जीवाश्म इंधन की जरूरत नहीं है और इसमें किसी प्रकार का प्रदूषण भी नहीं होता. साथ ही यह स्वास्थ्य तथा आग के विनाशों से भी हमें सुरिक्षत रखता है. रोशनी की छोटे-मोटी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक विकल्प के रूप में पेश किया जाना.
कौन कर रहा कार्यक्र म को लागू
सौर लालटेन कार्यक्रम केवल राज्य नोडल एजेंसी या विभागों (एसएनएएस ) तथा अक्षय ऊर्जा दुकानों के जरिए ही क्रियान्वित की जानी है. निर्माताओं की दुकान या उनके सहयोगियों द्वारा संचालित दुकान इस कार्यक्र म के अंतर्गत नहीं आते हैं. हां, यह व्यवस्था जरूर की गयी है कि एसएनएएस निर्माताओं को अपनी ओर से इन लालटेनों की मार्केटिंग के लक्ष्य निर्धारित करने से नहीं रोक सकता है. मंत्रलय ने निर्माताओं, उनके सहयोगियों या एनजीओ द्वारा प्रत्यक्ष मार्केटिंग के लिए कोई लक्ष्य तय नहीं किया. लिहाजा खुले बाजार में इस तरह के लालटेन उपलब्ध हैं.
किसे मिलेगा सोलर लालटेन
योजना के तहत सोलर लालटेन का वितरण उन्हीं इलाकों के लोगों के बीच किया जाना है, जहां बिजली नहीं पहुंची है. इसमें विशेष वर्ग का दरजा प्राप्त बिस्तयों को प्राथमिकता दी गयी है. गैर-लाभ वाले संस्थान और संगठन भी इस योजना के लाभुकों के दायरे में आते हैं. यानी भी इस योजना के तहत सौर लालटेन पा सकते हैं.
एक परिवार को एक लालटेन
कार्यक्रम के तहत एक परिवार को एक से अधिक सौर लालटेन नहीं मिल सकती है. एक से अधिक लालटेन पाने के अनुरोध को हर हाल में खारिज कर दिया जाना है.
छात्रओं को प्राथमिकता
कार्यक्रम में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास से भी जोड़ा गया है. अगर बीपीएल परिवार की कोई लड़की 9वीं से 12वीं में से किसी कक्षा की छात्र है, तो उसे मुफ्त में सोलर लालटेन दिया जाना है, लेकिन उसे भी एक ही लालटेन मिलेगा. पूरी स्कूली शिक्षा के दौरान वह दुबारा इस योजना के तहत सोलर लालटेन प्राप्त नहीं कर सकती है. हां, बाजार से पूरी कीमत चुका कर कोई खरीदना चाहे, तो वह खरीद सकता है, लेकिन वह इस योजना का हिस्सा नहीं होगा.
जिला प्रशासन की जबावदेही
बीपीएल परिवार की 9वीं से 12वीं में से किसी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रओं को नि:शुल्क सोलर लालटेन बांटना जिला प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आता है. जिला प्रशासन राज्य नोडल एजेंसी के माध्यम से इस तरह के मामले में सोलर लालटेन का वितरण करायेगा. जिला प्रशासन को इसमें इसलिए जोड़ा गया है, ताकि कार्यक्रम में गड़बड़ी को रोका जा सके. कोई छात्र बीपीएल परिवार से आती है और वह 9वीं से 12वीं तक की किसी कक्षा में पढ़ती है, इसकी पुष्टि जिला प्रशासन सही-सही और आसानी से कर सकता है, इस बात को ध्यान में रख कर ऐसा प्रावधान किया गया है.
लाभ के लिए देने होते हैं साक्ष्य
इस कार्यक्रम का लाभ लेने के लिए आवेदक को कुछ दस्तावेज भी देने होते हैं. इसमें पहचान-पत्र जरूरी है. पहचान-पत्र के रूप में राशन कार्ड, मतदाता पहचान-पत्र या इस तरह के दूसरे दस्तवेज का इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर बीवीएल सूची में होने का लाभ लेना है, तो बीवीएल कार्ड की भी छात्रप्रति देनी होती है.
एससी-एसटी लाभार्थियों के लिए सौर लालटेन में कोटा
सौर लालटेन कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण घटन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति भी हैं. इनके लिए योजना में कोटा तय है. किसी भी जिले में जब लालटेन बंटेगें, तब यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लाभार्थियों को के बीच भी इनका वितरण हो. 15 प्रतिशत सौर लालटेन अनुसूचित जाति और 10 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के बीच बंटना है.
सौर लालटेन योजना में महिलाओं को प्राथमिकता
सौर लालटेन कार्यक्रम में स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने की भी पहल की गयी है. इसके तहत उस संस्थानों को प्राथमिकता के आधार पर सौर लालटेन दिया जाना है, जो महिला और बालिका शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. बालिका व महिला छात्रवास, वयस्क शिक्षा केंद्र तथा ड्वाकरा पर विशेष फोकस किया गया है.