यूपीए सरकार के लिए ”एक्टिव मोड” में सोनिया गांधी, 23 मई को बुलायी गैर एनडीए दलों की बैठक

लोकसभा चुनाव नतीजों की तारीख नजदीक आते ही नयी सरकार के गठन की कोशिशें भी शुरू होगयी हैं. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मतगणना के दिन ही विपक्षी दलों की बैठक का न्योता भेजा है. सूत्रों के अनुसार जेडीएस, एनसीपी, एसपी और बीएसपी के प्रमुख नेताओं को भी इसी प्रकार के न्यौते भेजे गये हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2019 12:12 PM
लोकसभा चुनाव नतीजों की तारीख नजदीक आते ही नयी सरकार के गठन की कोशिशें भी शुरू होगयी हैं. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मतगणना के दिन ही विपक्षी दलों की बैठक का न्योता भेजा है. सूत्रों के अनुसार जेडीएस, एनसीपी, एसपी और बीएसपी के प्रमुख नेताओं को भी इसी प्रकार के न्यौते भेजे गये हैं. बैठक में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को भी बुलाने की कोशिश हो रही है.
सोनिया के खास अहमद पटेल को इन दोनों नेताओं से संपर्क साधने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी चाहती हैं कि कमलनाथ इस अभियान को लीड करें. वे सभी छोटे-बड़े दलों तक कांग्रेस की पहुंच बनाएं और उन्हें यूपीए में शामिल होने का न्यौता दें. द्रमुक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) जैसे सहयोगी दलों को भी बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. इन दोनों दलों के नेताओं एमके स्टालिन और शरद पवार ने बैठक में शामिल होने की पुष्टि भी कर दी है.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू भी बैठक का शिरकत करेंगे. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पाले में करने की कोशिशें की जा रही हैं. राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से सोनिया गांधी खुलकर आगे नहीं आयीं लेकिन ऐसे वक्त में जब चुनाव परिणाम आने की तारीख पास आ गयी है तो वह विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने के लिए सक्रिय हो गयी हैं. हालांकि पिछले साल भी यह गठबंधन बना था लेकिन बाद में बिखर गया था.
संभावना जतायी जा रही है कि अगर उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण सफल रहा तो अखिलेश और मायावती को बड़ी जीत मिल सकती है, लिहाजा यूपीए की नजर अखिलेश और माया पर प्रमुखता से टिकी है. हालांकि, चुनाव से पहले कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन में शामिल नहीं हो सकी थी. माना जा रहा है कि कांग्रेस विपक्षी दलों की बैठक बुलाकर यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि भले ही वह कई राजनीतिक पार्टियों के साथ प्री-पोल गठजोड़ का हिस्सा न हों, लेकिन सभी मोदी के खिलाफ लड़े और एकजुट हैं.

Next Article

Exit mobile version