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PM मोदी ने दोहराया इंदिरा गांधी का इतिहास, पूरब से पश्चिम तक छाया ”अच्छे दिन”
नयी दिल्लीः पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है. नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद मोदी पूर्ण बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले तीसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं. इंदिरा गांधी के बाद […]
नयी दिल्लीः पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है. नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद मोदी पूर्ण बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले तीसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं. इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने अकेले दम पर चुनाव लड़ा और लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की. इस बार भले ही मोदी लहर अदृश्य थी, लेकिन हिंदी हार्टलैंड, पूरब, पश्चिम और दक्षिण में इसका असर दिखा.भारतीय मतदाताओं ने स्थिरता और निरंतरता को चुना है, इससे भी बढ़कर नरेंद्र मोदी को. इस चुनाव ने साबित कर दिया है कि फिलहाल नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाला कोई नहीं है.
यूपी में एसपी-बीएसपी गठबंधन भी भाजपा को नहीं हरा सका. बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी और और ओडिसा में नवीन पटनायक की बीजद ने मोदी की सुनामी में बहने से बमुश्किल से बचाया. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने निराश किया है. अब तो कर्नाटक और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार पर खतरा नजर आने लगा है. एक अकेले पंजाब में कांग्रेस ने मोदी लहर को रोकने में सफलता पायी. लोकसभा चुनाव के दौरान चल रहे अंडरकरेंट को भाजपा छोड़ कोई और नहीं समझ पाया. चुनाव के नतीजे क्या होंगे मोदी इसे लेकर मतदान से पहले ही निश्चिंत थे, जब उन्होंने अपने सलाहकारों के साथ ‘पहले 100 दिन’ की योजना बनायी और विदेशी दौरों के कार्यक्रमों को हरी झंडी दी.
अपने दम पर दिलायी फतह
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अब तक तीन बार कांग्रेस को अपने दम पर बहुमत दिलायी है. तीनों बार कांग्रेस ने 360 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी. पंडित नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1951-52, 1957 और 1962 लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी. वहीं देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तीन बार कांग्रेस पार्टी को 280 से ज्यादा सीटों पर जीत दिलायी है. दो बार कांग्रेस को उनके नेतृत्व में 350 से ज्यादा सीटें मिली है.
लाल बहादुर शास्त्री के बाद प्रधानमंत्री का पद संभालने वाली इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने पहली बार 1967 में चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में इंदिरा के नेतृत्व में कांग्रेस ने 283 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 1971 के चुनाव में कांग्रेस को 353 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं भारत के संसदीय इतिहास सिर्फ एक बार कोई पार्टी 400 पार पहुंची है. 1984 में इंदिरा गांधी के हत्या के बाद हुए चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 414 सीटों पर जीत हासिल की थी.
मोदी के सामने अब ये बड़ी चुनौतियां
मोदी के सामने जियो-स्ट्रेटिजिक संबंध, कृषि संकट एवं वैश्विक आर्थिक मंदी के तौर पर तीन बड़ी चुनौतियां हैं. उम्मीद है कि नयी सरकार के हनीमून परियड में अर्थव्यवस्था की वृद्धि को दोहरे अंक तक पहुंचाने के लिए व्यापक निर्णय लिए जाएंगे. कमजोर विपक्ष के पास सरकार के साथ चलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. आरएसएस के पास भी अब अपनी योजना को आगे बढ़ाने का अवसर है.
नयी मोदी सरकार के लिये चुनौतियां कम नहीं है. विदेश नीति, जीडीपी, राजस्व वृद्धि, रोजगार संकट, महंगाई इत्यादि से भाजपा सरकार को प्रभावी तरीके से निपटना होगा. राष्ट्रीय सुरक्षा और कृषि संकट जैसे कई बड़े मुद्दे भी होंगे जिनसे नई सरकार को निपटना होगा. स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य समस्याओं से निपटने पर भी मुस्तैदी से लगना होगा. सामाजिक मोर्चे पर भी सामंजस्य बिठाए रहने की चुनौती होगी.
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