मिथिलेश झा
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को पहली बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जबर्दस्त टक्कर मिली. बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में 18 सीटें जीतीं. इससे भी अहम यह है कि पार्टी 21 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को वामदल या कांग्रेस से नहीं, बीजेपी से चुनौती मिली. कुछ सीटों को छोड़ दें, तो वर्ष 2014 की तुलना में तृणमूल प्रत्याशियों की जीत का अंतर बहुत हद तक कम हो गया. 21 में मात्र 10 सीटें ऐसी थीं, जहां तृणमूल के प्रत्याशियों की जीत का अंतर इस बार बड़ा हुआ. 11 सीटों पर घटा.
आरामबाग में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार अपरूपा पोद्दार उर्फ आफरीन अली को भाजपा के तपन कुमार रॉय ने जबर्दस्त टक्कर दी. पिछले लोकसभा चुनाव में 3,46,845 मतों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले तृणमूल प्रत्याशी अपरूपा पोद्दार की जीत का अंतर इस बार महज 1,142 वोट का रह गया.
बारासात में काकोली घोष दस्तीदार फिर से चुनाव जीत गयीं, लेकिन उनकी जीत का आंकड़ा छोटा हो गया. 2014 में वह 1,73,141 वोट से जीती थीं, जबकि इस बार भाजपा के मृणाल कांति देबनाथ से वह 1,09,983 मतों से जीतीं. इसी तरह, बर्धमान पूर्व लोकसभा सीट पर सुनील कुमार मंडल की जीत का अंतर 1,14,379 के मुकाबले 89,311 रह गया. सुनील को परेश चंद्र दास ने कड़ी टक्कर दी.
बोलपुर में असित कुमार माल की टक्कर में बीजेपी के रामप्रसाद दास थे. पिछली बार इस सीट से अनुपम हाजरा तृणमूल के टिकट पर 2,36,112 वोटों से जीते थे. इस बार असित कुमार माल यहां से सिर्फ 1,06,402 वोट से जीत पाये. अनुपम हाजरा अब भाजपा में हैं और जादवपुर से चुनाव लड़ रहे थे. हालांकि, उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहीं तृणमूल की मिमी चक्रवर्ती ने उन्हें 2,95,239 वोटों से हरा दिया. इस सीट पर वर्ष 2014 में तृणमूल प्रत्याशी को 1,25,203 वोट से जीत मिली थी.
दमदम, घाटाल और हावड़ा में भी तृणमूल कांग्रेस की जीत का अंतर कम करने में भाजपा कैंडिडेट्स कामयाब रहे. दमदम में सौगत रॉय भाजपा के शमिक भट्टाचार्य के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे. पिछली बार 1,54,934 वोट से जीत दर्ज करने वाले सौगत की जीत का अंतर एक तिहाई रह गया. इस बार वह महज 53,002 मतों से जीते.
घाटाल लोकसभा सीट की बात करें, तो दीपक अधिकारी उर्फ देव ने भाजपा की भारती घोष को 1,07,973 वोट से पराजित किया था. पिछली बार वह 2,60,891 मतों से जीते थे. वहीं, हावड़ा में प्रसून बनर्जी ने रनती देव सेनगुप्ता को 1,03,695 मतों के अंतर से हराया. पिछली बार वह यहां से 1,96,956 वोटों से जीते थे.
कांथी में सिसिर अधिकारी ने भाजपा के डॉ देवाशीष सामंत को 1,11,668 वोट से हराया. पिछली बार तृणमूल ने यह सीट 2,29,490 वोटों के अंतर से जीती थी. कृष्णनगर में तृणमूल की महुआ मोइत्रा ने भाजपा के कल्याण चौबे को 63,218 वोटों से हराया. पिछली बार यहां से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर तापस पाल चुनाव लड़े थे और 71,255 वोटों से जीते थे.
मालदा दक्षिण संसदीय सीट पर भाजपा ने तृणमूल की बजाय कांग्रेस को टक्कर दी. यहां से कांग्रेस के अबु हसन खान चौधरी (डालू) ने जीत दर्ज की. उन्हें श्री रूपा मित्रा चौधरी से कड़ी टक्कर मिली. पिछली बार 1,64,111 मतों के अंतर से इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले अबु हसन खान को इस बार सिर्फ 8,222 वोट से जीत मिली. वहीं, तमलूक में तृणमूल की जीत का अंतर 2,46,481 से घटकर 1,90,165 रह गया. यहां तृणमूल के दिव्येंदु अधिकारी का मुकाबला भाजपा के सिद्धार्थ शंकर नस्कर से था.
उधर, 10 ऐसी भी सीटें रहीं, जहां भाजपा दूसरे नंबर पर रही, लेकिन तृणमूल की जीत का अंतर वर्ष 2014 की तुलना में बढ़ गया. बसीरहाट में नुसरत जहां रूही का मुकाबला बीजेपी के सायंतन बसु से था. वह 3,50,369 वोटों के अंतर से जीतीं. वर्ष 2014 में यहां से इद्रीस अली 1,09,659 वोट से जीते थे. बीरभूम में शताब्दी रॉय की जीत का अंतर 21,661 बढ़ा. उनका मुकाबला दूध कुमार मंडल से था. वर्ष 2014 में शताब्दी 67,263 वोट से जीती थीं, इस बार वह 88,924 मतों से जीती हैं.
इसी तरह, कोलकाता उत्तर सीट पर तृणमूल के बड़े नेता सुदीप कुमार बंद्योपाध्याय ने भाजपा के दिग्गज नेता राहुल सिन्हा को पिछले चुनाव के मुकाबले बड़े अंतर से हराया. सुदीप को 2014 में अपने प्रतिद्वंद्वी से 96,226 वोट ज्यादा मिले थे, जो इस बार बढ़कर 1,27,095 हो गया. मथुरापुर और उलुबेरिया में भी जीत का अंतर बढ़ा. मथुरापुर में चौधरी मोहन जटुआ ने बीजेपी के श्याम प्रसाद हल्दर को 2,03,974 मतों के अंतर से हराया. पिछली बार जटुआ 1,38,768 वोटों से जीते थे.
उलुबेरिया में सजदा अहमद ने 2014 में यहां से तृणमूल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुल्तान अहमद से बड़ी जीत दर्ज की. सुल्तान अहमद 2,01,222 वोटों से जीते थे, जबकि सजदा ने बीजेपी के जॉय बनर्जी को 2,15,359 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया. वहीं, जॉयनगर में प्रतिमा मंडल ने बीजेपी के डॉ अशोक कांडारी को 3,16,775 वोटों से पराजित किया. पिछली बार वह यहां से सिर्फ 1,08,384 वोटों से जीत दर्ज की थी. इस बार उनकी जीत का अंतर करीब तीन गुणा बढ़ गया.
डायमंड हार्बर और जादवपुर संसदीय सीट पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए प्रतिष्ठा की सीट थी. डायमंड हार्बर से उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी चुनाव लड़ रहे थे, तो जादवपुर से मिमी चक्रवर्ती मैदान में थीं. दोनों सीटों पर जीत का अंतर पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ा. डायमंड हार्बर ने अभिषेक ने भाजपा के नीलांजन रॉय को 3,20,594 वोटों से पराजित किया. पिछली बार वह महज 71,298 वोटों से जीते थे.
जादवपुर में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहीं मिमी ने अपने प्रतिद्वंद्वी अनुपम हाजरा को 2,95,239 मतों के अंतर से पराजित किया. पिछली बार इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस का उम्मीदवार 1,25,203 वोटों से जीता था. जंगीपुर में खलील-उर-रहमान ने बीजेपी की माफुजा खातून को 2,45,782 मतों के अंतर से हराया. यह सीट वर्ष 2014 में कांग्रेस के खाते में गयी थी, जहां से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी महज 8,161 वोट से जीत दर्ज कर पाये थे.