लंदन : वैज्ञानिकों ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण गेहूं और धान जैसी महत्वपूर्ण फसलों के उत्पादन पर विपरीत असर पड़ रहा है. कुछ देशों में फसलों के उत्पादन पर इसका ज्यादा बुरा असर पड़ रहा है. विश्व की शीर्ष 10 फसल (जौ, कसावा, मक्का, ऑयल पाम, सरसों, धान, ज्वार, सोयाबीन, गन्ना और गेहूं) संयुक्त रूप से हमारे खेतों में पैदा होने वाली कैलोरी का 83 फीसदी देती हैं.
भविष्य के जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों के उत्पादन में कमी की संभावना पहले से जतायी जा रही है. पत्रिका प्लॉस वन में छपे शोध में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऊर्जा के इन महत्वपूर्ण स्रोतों के उत्पादन पहले ही प्रभावित हो चुके हैं.
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और डेनमार्क के कोपनहेगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मौसम और फसल के आंकड़ों का इस्तेमाल कर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव का आकलन किया. उन्होंने पाया कि जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व की शीर्ष 10 फसलों के उत्पादन में काफी बदलाव आता है. इसमें पाम ऑयल के उत्पादन में जहां 13.4 फीसदी की कमी आई वहीं सोयाबीन के उत्पादन में 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
अमेरिका में मिनेसोटा विश्वविद्यालय के दीपक राय ने कहा, ‘इसमें कुछ को फायदा होता है, तो कुछ को नुकसान होता है और जिन देशों में खाद्य असुरक्षा है, वहां स्थिति और भी खराब है.’ राय ने कहा, ‘ये शोध संकेत देते हैं कि भौगोलिक क्षेत्र और फसलों पर खतरा है. इन शोध से नये सवाल पैदा होते हैं.’
जलवायु परिवर्तन का नकारात्मक असर यूरोप, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में है जबकि लैटिन अमेरिका में सकारात्मक और एशिया, उत्तर तथा मध्य अमेरिका में मिश्रित असर है. अध्ययन में कहा गया है कि खाद्य असुरक्षा वाले करीब आधे देशों में फसल उत्पादन में कमी आ रही है और इसी तरह से पश्चिमी यूरोप के कुछ धनी औद्योगिक देशों में भी खाद्य उत्पादन में कमी आ रही है.