माले : पाकिस्तान पर परोक्ष हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्र प्रायोजित आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया और इससे निबटने के लिए वैश्विक नेताओं से एकजुट होने की अपील की. मालदीव की संसद ‘मजलिस’ को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत और मालदीव के संबंध इतिहास से भी पुराने हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज आपके बीच मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि मालदीव में लोकतंत्र की मजबूती के लिए भारत और हर भारतीय आपके साथ था, है और रहेगा.’ उन्होंने कहा कि आतंकवाद न केवल किसी देश के लिए, बल्कि पूरी सभ्यता के लिए खतरा है.
आतंकवाद को हमारे समय की बड़ी चुनौती बताते हुए मोदी ने सवाल किया, ‘आतंकवादियों के न तो अपने बैंक होते हैं और न ही हथियारों की फैक्टरी. फिर भी उन्हें धन और हथियारों की कभी कमी नहीं होती. कहां से पाते हैं वे यह सब? कौन देता है उन्हें ये सुविधाएं?’
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र प्रायोजित आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है. यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि लोग अभी भी अच्छे आतंकवादी और बुरे आतंकवादी का भेद करने की गलती कर रहे हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पानी अब सिर से ऊपर निकल रहा है. आतंकवाद और कट्टरपंथ से निबटना विश्व के नेतृत्व की सबसे खरी कसौटी है.’
मजलिस को संबोधित करने का न्योता मिलने को सम्मान की बात बताते हुए मोदी ने कहा, ‘मजलिस ने मुझे निमंत्रण देने का निर्णय, सम्माननीय नशीद जी के स्पीकर बनने के बाद अपनी पहली ही बैठक में लिया. इसने हर भारतीय के दिल को छू लिया है और उनका सम्मान और गौरव बढ़ाया है.’
मोदी ने मजलिस को दिया धन्यवाद
संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने ट्विटर के माध्यम से मजलिस के सदस्यों (सांसदों) को धन्यवाद भी दिया. उन्होंने लिखा, ‘मैं आज के कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए मजलिस के सदस्यों को धन्यवाद देता हूं. मेरे संबोधन में हमारे देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों, आतंकवाद के खात्मे की जरूरत, जलवायु परिवर्तन से साथ मिलकर लड़ने की जरूरत और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई.’
उन्होंने दोनों देशों के बीच हुए विभिन्न समझौतों पर भी प्रसन्नता जतायी. मोदी ने कहा, ‘मैं और 1.30 अरब भारतीय आपको शुभेक्षा देते हैं. ईद के त्योहार की खुशियां और उल्लास अभी भी बरकरार है. मैं इस मौके पर आप सभी को और मालदीव की जनता को मुबारकबाद देता हूं.’
उन्होंने कहा कि मालदीव यानी हजार से अधिक द्वीपों की माला, मालदीव हिंद महासागर का ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का एक नायाब नगीना है. उन्होंने कहा कि यह सदन, यह मजलिस, ईंट-पत्थर से बनी सिर्फ एक इमारत नहीं है. यह लोगों का मजमा नहीं है. यह लोकतंत्र की वो ऊर्जा भूमि है, जहां देश की धड़कनें आपके विचारों और आवाज़ में गूंजती हैं. यहां आपके माध्यम से लोगों के सपने और आशाएं सच में बदलते हैं.
आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे
उन्होंने कहा कि मालदीव में आजादी, लोकतंत्र, समृद्धि और शांति के लिए भारत उसके साथ खड़ा है. भारत-मालदीव संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोलेह ने क्षेत्र में और अन्य कहीं भी सभी तरह के आतंकवाद के खिलाफ अपना स्पष्ट रुख जाहिर किया.
एक-दूसरे के सुरक्षा हित का रखेंगे ध्यान
इसमें कहा गया कि दोनों देशों के सुरक्षा हित जुड़े होने को रेखांकित करते हुए उन्होंने क्षेत्र की स्थिरता के लिए एक दूसरे की चिंता और आकांक्षाओं के प्रति विवेकपूर्ण सोच रखने का आश्वासन दोहराया. उन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ किसी भी गतिविधि के लिए अपने-अपने क्षेत्रों का इस्तेमाल नहीं होने देने की बात भी दोहरायी.
इन मुद्दों पर बनी सहमति
वक्तव्य में कहा गया, ‘दोनों नेता हिंद महासागर में शांति और सुरक्षा बनाये रखने के महत्व पर तथा क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में तालमेल मजबूत करने पर भी सहमत हुए.’ मोदी और सोलेह ने समुद्री लूट, आतंकवाद, संगठित अपराध, मादक पदार्थ की तस्करी और मानव तस्करी समेत समान चिंता के मुद्दों पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर रजामंदी जतायी.
उन्होंने आतंकवाद, उग्रवाद और चरमपंथ से मुकाबले के लिए संयुक्त कार्यसमूह बनाने पर भी सहमति जतायी. मोदी दोबारा प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर शनिवार को मालदीव पहुंचे.