भूकंप से बचने को जापान में पानी के अंदर बसेगा शहर, तैरते हुए दिखेंगे खेत
नेशनल कंटेंट सेलप्राकृतिक आपदा और जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए जापान सरकार ने ‘नेक्स्ट टोक्यो 2045 प्रोजेक्ट’ पेश किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत पानी के अंदर शहर बसाने की योजना है. खेत भी तैरते हुए देखे जा सकेंगे. विशेष बात यह है कि भूकंप भी इन बिल्डिंगों और खेतों पर का बाल भी […]
नेशनल कंटेंट सेल
प्राकृतिक आपदा और जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए जापान सरकार ने ‘नेक्स्ट टोक्यो 2045 प्रोजेक्ट’ पेश किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत पानी के अंदर शहर बसाने की योजना है. खेत भी तैरते हुए देखे जा सकेंगे. विशेष बात यह है कि भूकंप भी इन बिल्डिंगों और खेतों पर का बाल भी बांका नही कर पायेगा. कॉन्क्रीट, स्टील और ग्लास के इस्तेमाल से बनी बेलननुमा दीवार इस बिल्डिंगों की सुरक्षा करेगी.
जमीन के भीतर इसकी गहराई कई सौ मीटर तक होगी, ऊपर दिखेगा तो सिर्फ बिल्डिंग का ऊपरी तल. विशालकाय आईना लगाकर सूर्य की रोशनी को बिल्डिंग के अंदर ट्रांसफर किया जायेगा. इसके लिए प्रिज्मैटिक कांच का इस्तेमाल होगा जो दिन भर प्रकाश को एक समान तरीके से बिल्डिंग के अंदर परावर्तित करेगी. साफ हवा के लिए वेंटिलेटर की व्यवस्था भी होगी. सरकार के इस विचार के पीछे का उद्देश्य टोक्यो को 1923 जैसे भूकंप से सुरक्षित बनाना है.
दरअसल, एक सितंबर, 1923 (टोक्यो, जापान) को आयी 8.3 तीव्रता वाले इस भूकंप में भयंकर तबाही मची थी. भूकंप से चारों ओर आग लग गयी थी. पानी के नल फट जाने के कारण आग बुझाने में बहुत दिक्कतें आयी थी. करीब एक लाख लोग मारे गये थे. 40,000 लोगों का आजतक कोई अता-पता नहीं मिला है. आग इतना भयंकर थी कि होंजो और फुकुगावा में एक साथ करीब 30000 लोग जल की मर गये थे. इस भूकंप को ग्रेट कांतो अर्थक्वेक के नाम से जाना जाता है.
स्काइस्क्रैपर बन गया डेप्थस्क्रैपर
गगनचुंबी इमारतों के लिए जिस प्रकार ‘स्काइस्क्रैपर’ का इस्तेमाल किया जाता है, उसी प्रकार समुद्र की गहराई में बनने जा रही मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों के लिए ‘डेप्थस्क्रैपर’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है.
तैरते हुए होगी खेती
यहां बादलों से सीधे पानी बनाये जाने की योजना है. पानी के बीच तैरते हुए खेतों को कभी पानी की दिक्कत नहीं होगी. शहर में रहने वाली 50000 की आबादी को यहां से अनाज की सप्लाइ होगी.
डेप्थस्क्रैपर करेगा भूकंप से रक्षा
1923 मे आये विनाशकारी भूकंप के बाद वहां के वैज्ञानिकों ने इससे बचने के उपाय ढूंढने शुरू कर दिये थे. 1931 में एक अमेरिकी पत्रिका ‘एवरीडे साइंस एंड मेकानिक्स’ ने विनाशकारी भूकंप से बचने के लिए डेप्थस्क्रैपर का आइडिया पेश किया. हैरत की बात यह है कि 88 साल के बाद जापान के वैज्ञानिकों ने इसे स्वीकारा और अब सरकार भी इस पर काम करने जा रही है.