लंदन : जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे और लंदन में प्रदूषण की मार से निबटने के लिए लंदन में एक दिन कारें नहीं चलेंगी. यह फैसला लंदन के मेयर सादिक खान ने लिया है. यह पहला मौका है, जब लंदन सिटी में सड़कों पर कारें नहीं चलेंगी. फैसले के मुताबिक, 22 सितंबर को ब्रिटेन की राजधानी में 12.3 मील (20 किलोमीटर) के दायरे में कार के परिचालन पर रोक रहेगी.
उस दिन लंदन ब्रिज, टावर ब्रिज और लंदन शहर में वायु प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिए सड़कों को बंद कर दिया जायेगा. वायु प्रदूषण की वजह से हर साल 4 लाख बच्चों समेत करीब 20 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है. इस दौरान पैदल चलने, साइकिल चलाने और सार्वजनिक वाहनों के तेमाल को बढ़ावा दिया जायेगा. ‘नुक्कड़ नाटक’ के जरिये भी लोगों को जागरूक किया जायेगा.
यह पहला मौका है, जब किसी मेयर ने लंदन के सिटी सेंटर की सड़कों पर वाहन का परिचालन बंद करने का आदेश दिया है. सादिक खान ने कहा कि 22 सितंबर को लोगों को सड़कों पर पैदल या बाइक से भ्रमण करने का आनंद ले सकेंगे. उन्होंने कहा, ‘मैं लंदन के लोगों से अपील करता हूं कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में सड़कों पर आयें और इसका आनंद लें.’
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22 सितंबर को होने वाले इस इवेंट को काफी समर्थन मिल रहा है. ब्रिटेन स्थित ग्रीनपीस के अरीबा हामिद ने कहा, ‘लंदन में कार फ्री डे का आइडिया अनूठा है. कार्बन उत्सर्जन और वायु प्रदूषण घटाने के लिए पेरिस से बोगोटा तक इस आइडिया पर काम चल रहा है.’ सेंट्रल लंदन में इस दौरान सैकड़ों कार्यक्रमों का आयोजन होगा. 18 संगठन बच्चों के लिए नुक्कड़ नाटक करेंगे. उम्मीद की जा रही है कि इस अभियान से 1.5 लाख लोग जुड़ेंगे.
ज्ञात हो कि इससे पहले सादिक खान ने वायु प्रदूषण से निबटने के लिए ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले कारों पर अतिरिक्त चार्ज लगाने की घोषणा की थी. लंदन में अति निम्न कार्बन उत्सर्जन जोन वाले इलाके में वाहनों को कार्बन उत्सर्जन के मानकों का पालन करना होता है. यात्रा के लिए चार्ज देना होता है. खान ने कहा था कि इस कदम से 2020 तक कार्बन उत्सर्जन में 50 फीसदी की कमी आने की उम्मीद है.
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सादिक का कहना है कि लंदन की हवा घातक हो चुकी है. वह चुपचाप खड़े होकर सब कुछ नहीं देख सकते. इसलिए निरंतर वायु प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए कदम उठा रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिटेन की घातक हवा के कारण हर साल 40,000 लोग समय से पहले मौत के मुंह में समा जाते हैं. सिर्फ लंदन में हर साल 9,000 लोग समय से पहले मर जाते हैं.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि पिछले साल सांसदों की एक संयुक्त जांच रिपोर्ट ने प्रदूषित हवा को ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल’ (नेशनल हेल्थ इमरजेंसी) करार दिया था. सरकार की स्वच्छ वायु योजना को नुकसानदेह बताया था. योजना को हाइकोर्ट ने तीन बार यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह गैरकानूनी है.
वाहनों की वजह से जहरीली हुई लंदन की 50 फीसदी से ज्यादा हवा
लंदन की 50 फीसदी से ज्यादा हवा वाहनों की वजह से जहरीली हो गयी है. ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन सर्वे की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि लंदन के लोगों को पता ही नहीं कि कार और वैन की वजह से हवा में सबसे ज्यादा जहर घुल रहा है.