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चिंता का सबब बना महासमुद्रों में बढ़ रहा प्लास्टिक कचरा, बैंकॉक डिक्लेरेशन पर साइन कर सकते हैं आसियान के नेता

बैंकॉक : महासागरों में प्लास्टिक अपशिष्ट तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन ‘आसियान’ की क्षेत्रीय बैठक के दौरान सदस्य देश कोई समझौता कर सकते हैं. ‘महासागर संरक्षण रिपोर्ट 2017′ के अनुसार, हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा महासागरों में गिरता है, जिसमें आधे से ज्यादा […]

बैंकॉक : महासागरों में प्लास्टिक अपशिष्ट तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन ‘आसियान’ की क्षेत्रीय बैठक के दौरान सदस्य देश कोई समझौता कर सकते हैं. ‘महासागर संरक्षण रिपोर्ट 2017′ के अनुसार, हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा महासागरों में गिरता है, जिसमें आधे से ज्यादा कचरा एशिया के पांच देशों चीन, इंडोनेशिया, फिलिपीन, वियतनाम और थाइलैंड से जाता है.

इसे भी देखें : शिक्षा विभाग की बैठक में प्लास्टिक के वाटर बोतल पर लगाया गया बैन

आसियान नेताओं की इस हफ्ते के आखिर में एक बैठक होनी है, जिसमें समुद्री कचरे से निपटने के लिए ‘बैंकॉक डिक्लेरेशन’ पर हस्ताक्षर होने की संभावना है. एएफपी को इस घोषणा पत्र का मसौदे प्राप्त हुआ है. इसके मुताबिक, यह अपनी तरह का पहला समझौता है, जो समुद्र में कचरे को आने से रोकने और इसमें कमी लाने का वादा करता है, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का मनना है कि यह समझौता अधिक समय तक नहीं चल पायेगा.

पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘ग्रीनपीस’ के थाइलैंड के कार्यकर्ता तारा बुआकामर्सी कहते हैं कि अगर हम एकल इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक में निर्माण के स्तर में ही कमी नहीं लाते, तो यह ‘बैंकॉक डिक्लेरेशन’ सफल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि समुद्री अपशिष्ट घोषणा पत्र को अपना दायरा बड़ा करते हुए इसमें प्लास्टिक आयात पर प्रतिबंध लगाने जैसे मुद्दों को शामिल करना चाहिए.

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