भारत के साथ बेहतर संबंधों की दौड़ में पिछड़ रहा ब्रिटेन : ब्रिटिश संसदीय रिपोर्ट

लंदन : ब्रिटिश संसदीय जांच रिपोर्ट ने सोमवार को चेताया कि ब्रिटेन न सिर्फ भारत के साथ बेहतर संबंधों की दौड़ में पिछड़ रहा है, बल्कि वह दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत और प्रभाव के मुताबिक अपनी रणनीतियों में बदलाव करने में भी असफल रहा है. ब्रिटेन-भारत सप्ताह 2019 की शुरुआत से पहले ब्रिटिश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 24, 2019 2:24 PM

लंदन : ब्रिटिश संसदीय जांच रिपोर्ट ने सोमवार को चेताया कि ब्रिटेन न सिर्फ भारत के साथ बेहतर संबंधों की दौड़ में पिछड़ रहा है, बल्कि वह दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत और प्रभाव के मुताबिक अपनी रणनीतियों में बदलाव करने में भी असफल रहा है. ब्रिटेन-भारत सप्ताह 2019 की शुरुआत से पहले ब्रिटिश संसद में पहले ‘भारत दिवस’ अवसर पर ‘बिल्डिंग ब्रिजेज : रीअवेकनिंग यूके-इंडिया टाइज’ नाम से यह रिपोर्ट आयी है.

दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से बेहतर बनाने का मायने रखने वाली इस रिपोर्ट में भारतीय पर्यटकों, छात्रों और पेशेवरों के लिए बेहतर वीजा और आव्रजन नीति बनाकर संबंधों में सुधार लाने को कहा गया है. रिपोर्ट में ब्रिटेन पर आरोप लगाया गया है कि वह द्विपक्षीय संबंधों के अवसर गंवा रहा है.

संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उभरते भारत के साथ बेहतर संबंधों की वैश्विक दौड़ में ब्रिटेन पिछड़ रहा है. भारत के साथ ब्रिटिश संबंधों की हालिया कहानी गंवाये गये अवसर की गाथा है.’ उसमें कहा गया है, ‘भारत के साथ संबंधों में बेहतरी के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे, खासतौर से उसे भारतीयों के लिए ब्रिटेन की यात्रा, यहां काम करना और पढ़ाई करना आसान बनाना होगा.’

वीजा मामले में हो रही हैं परेशानियां

वीजा के मामले में, रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जैस गैर-लोकतांत्रिक देश के मुकाबले भारत को ज्यादा कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है. संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी आव्रजन नीतियों के पक्ष में कोई तर्क नहीं दिया जा सकता है, जिनके कारण भारतीय छात्रों और पर्यटकों का आकर्षण देश के प्रति खत्म हो रहा है. छात्र और पर्यटक ना सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं, बल्कि उनके जरिये दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंध भी विकसित होते हैं.

नयी दिल्ली को नहीं जा रहा सही संदेश

संसदीय रिपोर्ट में हालांकि यह माना गया है कि सभी लिहाज से ब्रिटेन इस द्विपक्षीय संबंध से लाभ लेने की स्थिति में है, लेकिन उसने चेतावनी भी दी है कि दोनों देशों अपनी पूर्ण क्षमताओं का प्रयोग इसलिए नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि नयी दिल्ली को सही संदेश नहीं पहुंच रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में जब ब्रिटेन यूरोपीय संघ छोड़ने की तैयारियां कर रहा है, अब संबंधों में सुधार का वक्त आ गया है. हम आधुनिक साझेदारी के लिए ऐतिहासिक संबंधों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.

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