<figure> <img alt="राहुल गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/15A25/production/_107731688_hi054154827.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>राहुल गांधी अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं, उन्होंने बुधवार को चार पन्नों की चिट्ठी सार्वजनिक करते हुए यह साफ़ कर दिया.</p><p>इससे अब तक अख़बारों और समाचार चैनलों पर जो बातें सूत्रों के हवाले से चल रही थीं, उसकी पुष्टि हो गई कि राहुल गांधी ने इस्तीफ़ा दे दिया है और वो उसे वापस न लेने पर अडिग हैं.</p><p>राहुल गांधी ने अपना इस्तीफ़ा सार्वजनिक इसलिए किया क्योंकि यह फ़लसफ़ा ख़त्म ही नहीं हो रहा था. उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कह दिया था कि वह इस्तीफ़ा दे रहे हैं. लेकिन पार्टी के बहुत से नेतागण बार-बार उनसे पद पर बने रहने का आग्रह कर रहे थे.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48813900?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कांग्रेस में इस्तीफ़ों की झड़ी के कारण क्या हैं</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48835493?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आरिफ़ मोहम्मद ख़ान को कांग्रेस पर इतना ग़ुस्सा क्यों आता है?</a></li> </ul><figure> <img alt="राहुल गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/10C05/production/_107731686_hi020816038.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>अब कार्यसमिति को तय करना होगा अगला क़दम</h3><p>लेकिन राहुल ने अपना मन बना लिया था. अब जब ये बात सार्वजनिक हो गई है तो कांग्रेस पार्टी के पास कोई उपाय नहीं है सिवाय इसके कि वो नया नेता चुनें. </p><p>वह नेता किस प्रक्रिया से चुना जाएगा, वह आने वाले समय में पता चल जाएगा. लेकिन कांग्रेस का संविधान यह कहता है कि ऐसी स्थिति में कांग्रेस का सबसे वरिष्ठ महासचिव अस्थायी तौर पर अध्यक्ष का काम-काम संभाल लेता है.</p><p>कांग्रेस में मोतीलाल वोहरा सबसे वरिष्ठ महासचिव हैं. हो सकता है कि वो जल्द ही पार्टी कार्यसमिति की बैठक बुलाएं और उसमें ये तय हो कि पार्टी का अगला क़दम क्या होगा.</p><p>राहुल गांधी ने चार पन्नों की अपनी चिट्ठी में लिखा है कि हम अपने प्रतिद्वंद्वियों को तब तक नहीं हरा सकते जब तक हम सत्ता की चाहत न छोड़ दें और एक बड़ी विचारधारा की लड़ाई लड़ें.</p><p>यहां राहुल का इशारा पार्टी नेताओं के लिए भी है और अपने लिए भी है. बहुत से लोग मानते हैं और मेरी व्यक्तिगत राय भी यही है कि जब उन्होंने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया था तो उनका यह दायित्व भी था कि वो अपना पद तब छोड़ते, जब उनका उत्तराधिकारी मनोनीत हो जाता. भले ही वो उस प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका न निभाते लेकिन कम से कम एक उत्प्रेरक की तरह वो प्रक्रिया शुरू कराते और उसे अंजाम तक पहुंचाते.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48766960?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नरेंद्र मोदी कांग्रेस को हथियाना चाहते हैं?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48759643?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी ने कहा कांग्रेस इतनी ऊंची चली गई है कि उसे ज़मीन दिखती ही नहीं</a></li> </ul><figure> <img alt="राहुल गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/BDE5/production/_107731684_hi054194711.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><h3>शिष्टता और विवेक का सवाल</h3><p>लेकिन वस्तुस्थिति अब ये है कि नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य नए नेतृत्व के चुनाव में सक्रिय भूमिका नहीं निभाएगा. ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है कि नया नेतृत्व सर्वसम्मति से चुना जाएगा और पार्टी को एकजुट रख पाएगा?</p><p>ये बड़ा सवाल है और इसका जवाब राहुल गांधी को देना चाहिए था.</p><p>राजनीति में हार और जीत लगी रहती है. हार का दायित्व भी नेतागण लेते हैं. लेकिन उसमें भी एक शिष्टता और विवेक होना चाहिए जो इस तरह पद छोड़ जाने में नहीं है.</p><p>अगर यह मान लिया जाए कि राहुल को मनाने की कोशिशें नाकाम रहेंगी तो यह तय है कि अध्यक्ष के तौर पर उनका संक्षिप्त कार्यकाल ख़त्म हो गया है. यह बात तो माननी पड़ेगी कि उनकी अगुवाई में पार्टी हाल ही में तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव जीती. साथ ही यह भी याद रखना पड़ेगा कि 2019 लोकसभा चुनावों में पार्टी की बड़ी हार हुई.</p><p>लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के दो-तीन बड़े कारण थे. उनमें से एक यह भी था कि बीजेपी ने बालाकोट प्रकरण के बाद नैरेटिव अपने पक्ष में कर लिया. वहीं कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर जो सवाल उठाए गए, वो जनता-जनार्दन के गले से नहीं उतरे.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48854633?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">राहुल ने इस्तीफ़े को किया सार्वजनिक</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48841686?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आख़िर इस्तीफ़े पर क्यों अड़े हैं राहुल गांधी </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48529334?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ख़ुद को बिखरने से बचा पाएगी कांग्रेस </a></li> </ul><figure> <img alt="मोतीलाल वोहरा" src="https://c.files.bbci.co.uk/258D/production/_107731690_hi055062216.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>यह बात राहुल को ख़ुद सोचनी चाहिए था. क्या इसमें उनकी चूक नहीं है? जो उस वक़्त पार्टी का नैरेटिव बना था, उसे बनाने में मुख्य योगदान तो पार्टी अध्यक्ष का ही होता है. उन्होंने अपनी ग़लती मानी है और त्यागपत्र दिया है. लेकिन पद छोड़ने से पहले उन्हें पार्टी को ऐसी जगह स्थापित करना चाहिए था, जहां पार्टी के पास एक नेता होता और रोज़मर्ऱा का काम जारी रहता और एक नए उद्देश्य से पार्टी आगे बढ़ती. लेकिन किसी बदलाव की प्रक्रिया को शुरू किए बिना बीच में छोड़कर चले गए.</p><p>मैं समझता हूं कि यह पार्टी के हित में नहीं है और आने वाले कुछ महीनों में पार्टी को चुनावों का सामना करना है.</p><p>हालांकि इस बात से मेरी सहमति नहीं है कि राहुल गांधी के साथ एक नाकाम कांग्रेस अध्यक्ष की तख़्ती लगा देनी चाहिए.</p><p>राजनीति में वक़्त बदलता है. कभी कभी बहुत जल्द और कभी कभी इसके पीछे एक लंबी जद्दोजहद होती है. कभी किसी नेता को नगण्य नहीं मानना चाहिए. कई बार एक झटके में बदलाव होते हैं और हमने इतिहास में ऐसा कई बार देखा है.</p><p><em>(बीबीसी संवाददाता कुलदीप मिश्र से बातचीत पर आधारित)</em></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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राहुल गांधी कांग्रेस को मंझधार में छोड़ गए हैं: नज़रिया
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