काबुलः बालाकोट में भारतीय वायुसेना की ओर से की गई एयरस्ट्राइक के बाद से जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों में दहशत है. इसी दहशत के कारण उन्होंने अब अपना ठिकाना बदलना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा के आतंकियों ने अफगानिस्तान में सक्रिय हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान जैसे संगठनों से हाथ मिला लिया है.सुरक्षा एजेंजियों को भी इस बाबत इनपुट मिला है.
बताया जा रहा है कि जैश और लश्कर दोनों अपने आतंकी कैंपों को अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब शिफ्ट कर रहे हैं. 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले के बाद 26 फरवरी को पाकिस्तान सीमा में आतंकी कैंपों के साथ साथ बालाकोट में एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया गया था. सूत्रों का कहना है कि फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई से बचाने के लिए आतंकी संगठन अपने कैंपों को अफगानिस्तान में शिफ्ट कर रहे हैं.
दुनियाभर में आतंकवाद की फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने इस साल माना है कि पाकिस्तान आतंक को बढ़ावा देने वाले संगठनों को रोकने में नाकाम साबित रहा है. भारत चाहता है कि एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट सूची में डाले, ताकि इसका सीधा असर वहां की अर्थव्यवस्था पर पड़े, लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो सका.
लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव और दुनिया भर में बन रही नकारात्मक छवि के चलते पाकिस्तान अपनी सीमा क्षेत्र से हटाकर आतंकियों को तालिबान प्रभावित अफगानिस्तान की सीमा में शिफ्ट कर रहा है.जैश और लश्कर के आतंकियों के अफगानिस्तान में शिफ्टिंग को लेकर काबुल स्थित भारतीय दूतावास यहां की सरकार को कई बार अलर्ट कर चुका है.
आतंकी संगठन काबुल से भारतीय दूतावास को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. सूत्रों का कहना है कि इसी साल हक्कानी नेटवर्क ने जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को अफगानिस्तान में आकर रहने को भी कह चुका है.