नयी दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान रविवार को तीन दिन के दौरे पर अमेरिका पहुंचे. यहां वे अफगानिस्तान के साथ शांति प्रयासों सहित पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था और आतंकवाद पर बातचीत करेंगे. आज यानी सोमवार को इमरान खान का व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ वार्ता प्रस्तावित है.
अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण से इमरान खान के अमेरिकी दौरे को अहम माना जा रहा है और पाकिस्तानी नागरिक करीब से इस पर अपनी नजरें बनाये हुये हैं लेकिन ये दौरा किन्हीं और वजहों से सुर्खियों में आ गया है जो पाकिस्तानी नागरिकों सहित प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए भी शर्मिंदगी भरा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चर्चा ये भी है कि अमेरिका, पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्ता के लिए तैयार नहीं था, लेकिन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान के आग्रह पर दोनों के बीच वार्ता का माहौल तैयार किया. अमेरिका की इमरान खान के प्रति उदासीनता को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.
कतर एयरलाइन्स के विमान से अमेरिका पहुंचे इमरान
दरअसल कल इमरान खान पहले तो निजी विमान की बजाय कतर एयरलाइंस के विमान से वाशिंगटन पहुंचे. वहां एयरपोर्ट पर पाक प्रतिनिधिमंडल को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा क्योंकि प्रोटोकॉल के मुताबिक उन्हें रिसीव करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के कैबिनेट का कोई मंत्री तो छोड़िए कोई उच्चाधिकारी तक मौजूद नहीं था. इमरान खान सहित पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई के चीफ फैज हमीद को अमेरिका में पहले से मौजूद विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने रिसीव किया. इसके बाद किसी तरह के काफिले की बजाय पाकिस्तान के पीएम मेट्रो के जरिये अमेरिका में मौजूद पाकिस्तानी राजदूत के आवास तक पहुंचे.
विपक्षी नेताओं ने की इमरान की तीखी आलोचना
इस फजीहत के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान विपक्षी पार्टियों समेत आलोचकों के निशाने पर आ गये हैं. इनका मानना है कि इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की साख अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गिरी है. पूर्व राजनयिकों ने भी इसकी तीखी भर्त्सना की है. उनका मानना है कि इस दौरे से इमरान खान को कुछ भी हासिल नहीं होगा. राजनयिकों की राय में अमेरिका ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए ऐसा कदम उठाया है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज शरीफ ने एक ट्वीट किया है जिसमें नवाज शरीफ और् इमरान खान के अमेरिकी दौरों की तुलना की गयी है. उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें देखा जा सकता है कि नवाज शरीफ, पाकिस्तानी एयरफोर्स के विशेष विमान से एयरपोर्ट पर उतर रहे हैं और अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल उनके स्वागत के लिए खड़ा है. नवाज शरीफ के लिए रेड कार्पेट बिछाया गया है और अमेरिकी सेना उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दे रही है. वहीं इमरान खान कतर एयरलाइंस के सार्वजनिक विमान से उतरे जहां उनका स्वागत विदेश मंत्री शाह महमदू कुरैशी ने किया. इसके बाद मेट्रो में यात्रा करते हुये उनकी तस्वीरों को भी साझा किया गया है.
पिछले कुछ दिनों में अमेरिका ने दिखाया कड़ा रुख
बता दें कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया था और ब्रिटेन तथा फ्रांस के साथ मिलकर आंतकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद को ब्लैक लिस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था. इसके अलावा पिछले साल डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 1.3 बिलियन यूएस डॉलर की सहायता राशि को रोकने का फैसला किया था. डोनाल्ड ट्रंप ने तब कहा था कि ये रोक तब तक जारी रहेगी जब तक पाकिस्तान अपनी धरती का इस्तेमाल आतंक के लिए होने देता रहेगा. अमेरिका के कड़े रूख का ही नतीजा था शायद जब कुछ दिन पहले पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा चीफ हाफिज सईद को गिरफ्तार करने की घोषणा की थी. भारत ने इस संबंध में कहा था कि हाफिज पर यह कार्रवाई केवल दिखावा है जिसके जरिये वो अमेरिका को खुश करना चाहता है. हाफिज पर कार्रवाई का ढोंग पाकिस्तान पहले भी कई बार कर चुका है.
बलोच-सिंधियों के विरोध का करना पड़ा सामना
गौरतलब है कि पाकिस्तान के पीएम को केवल अमेरिका की ओर से ही फजीहत का सामना नहीं करना पड़ा बल्कि अमेरिका में रह रहे बलोच और सिंधी समुदाय के लोगों के कड़े विरोध का भी सामना इन्हें करना पड़ा. वाशिंगटन में पाकिस्तानी मूल के लोगों को संबोधित करने के दौरान इमरान खान को बलोच प्रदर्शनकारियों के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा. यही नहीं, सिंधी और बलोच समुदाय के लोगों ने फैसला किया है कि इमरान खान के पूरे दौरे के दौरान अमेरिका की सड़कों पर पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया जायेगा.
हालांकि इस अपमान के बाद भी पाकिस्तान को उम्मीद है कि अमेरिका गंभीर आर्थिक संकट से उबरने में उसकी सहायता करेगा क्योंकि इरान के खिलाफ संघर्ष, अफगानिस्तान में जारी गतिरोध सहित चीन के साथ व्यापारिक प्रतिद्वंदिता में पाकिस्तान ही एकमात्र एशियाई देश है जो अमेरिकी हितों को साधने में डोनाल्ड ट्रंप की मदद कर सकता है.