<figure> <img alt="क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/B712/production/_107966864_dc231c5d-6edf-460f-b347-ae5e6616482b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Thinkstock</footer> </figure><p>क्या मज़ेदार बात है जब कोई आदमी घर में रहने वाली किसी नारी, पुरुष या बच्चे की बेदर्दी से पिटाई करता है तो उस पर हिंसा का पर्चा कट सकता है और अदालत उसे कैद या ज़ुर्माने की सजा भी दे सकती है.</p><p>जिसकी पिटाई हुई हो वो सरकार से शरण और सुरक्षा की मांग भी कर सकता है. कोई हमसाया, कोई कर्मचारी और कोई क़ानून अभियुक्त की बात नहीं सुनता कि ये हमारा घरेलू मामला है और मैं अपने घरवालों को पीटूं या कत्ल करूं, तुम्हें इससे क्या? </p><p>ऐसे मौकों पर क़ानून ये दलील पेश करता है कि माना ये तुम्हारे घर पर रहते हैं मगर ये कोई घरेलू मामला नहीं बल्कि एक इंसान के हाथों दूसरे इंसान को नुकसान पहुंचाने का मसला है इसलिए इसकी सजा बराबर मिलेगी. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48985672?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तान में जिस पर अन्याय के आरोप, वो अब न्याय के पुरोधा</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48904226?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तान में रणजीत सिंह मंज़ूर तो भगत सिंह क्यों नहीं?</a></li> </ul><p>घर में रहने वाले इंसान तो रहे एक तरफ़, आप अपनी पालतू गाय, गधे या बिल्ली को भी पीटें या जान से मार डालें तब भी क़ानून आपकी बात नहीं सुनता कि जज साहब ये मेरी गाय, गधा या बिल्ली है, मैं इसके साथ जो चाहे करूं, आपको क्या तकलीफ़ है, आप अपने काम से काम रखें. </p><p>इंसान और जानवर तो रहे एक तरफ़ आप बिना इजाजत एक पेड़ तक नहीं काट सकते. भले आप लाख चीखते रहें कि ये तुलसी, पीपल या वट कितना ही कीमती या पुराना सही लेकिन है तो मेरी ही ज़मीन पर, मैं इसके साथ जो चाहे करूं.</p><p>मगर जिस कायदे क़ानून को तोड़ने से एक आम व्यक्ति से पूछताछ हो सकती है वैसा ही अपराध अगर कोई सरकार या देश करे तो उससे पूछताछ का कोई व्यापक तरीका नहीं. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48417484?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तान की किस पार्टी जैसे हैं कांग्रेस के हालात</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48249267?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी जी ने सच्ची सच्ची बोलकर क्या ग़लत किया?</a></li> </ul><figure> <img alt="प्रकृति" src="https://c.files.bbci.co.uk/4246/production/_107966961_89b165c2-e975-46c2-9445-34e1e36ea4c0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>जो सरकारें पत्नी पर हाथ उठाने या गाय, बिल्ली, पेड़ को नुकसान पहुंचाने पर ये दलील नहीं मानतीं कि ये मेरी संपत्ति है, इसके साथ मैं जो जी चाहे करूं जब इन्हीं सरकारों को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने, कमज़ोर समुदायों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण नीतियों या किसी इंसानी गिरोह के नरसंहार या आप्रवासियों या शरणार्थियों को ख़ौफ़जदा करने के वाकयों में अंतरराष्ट्रीय कायदे-क़ानून याद दिलाए जाएं तो तुरंत जवाब मिलता है कि ये हमारा घरेलू मामला है भाई, हम जैसे चाहें निपटें, आप कौन हैं बीच में टांग अड़ाने वाले. </p><p>आप ख़ुद कौन सा दूध के धुले हैं जो हमें क़ानून, नैतिकता और ज़िम्मेदारियां निभाने का भाषण दे रहे हैं. </p><p>फिर अक्सर देश या अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अपनी इज्जत अपने हाथ का सोचकर चुप हो जाती हैं और ईधर-उधर देखने लगती हैं. कभी सोचा है कि जिन अपराधों पर सरकारें अपने ही देशवासियों को कटघरे में लाने से नहीं चूकतीं, उनसे कई गुना ज़्यादा गंभीर जुर्म करके यही सरकारें कैसे साफ बच निकलती हैं. </p><p>तो फिर ये कहना क्यों ठीक न होगा कि क़ानून वो हथियार है जिसे ताकतवर लोग या देश, कमज़ोर लोगों या देशों को काबू में रखने के लिए बनाते हैं. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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जघन्य अपराधों से कैसे बच निकलते हैं देश: वुसअत का ब्लॉग
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