इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जबरन धर्म परिवर्तन को सोमवार को ‘गैर इस्लामिक’ बताते हुए कहा कि इस्लामी इतिहास में दूसरों का जबरन धर्म परिवर्तन की कोई मिसाल नहीं है. मीडिया खबरों से यह जानकारी मिली है.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक दिवस पर इस्लामाबाद में ऐवान-ए-सदर (राष्ट्रपति भवन) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि वह पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके उपासना स्थलों को विकसित करने की शपथ लेते हैं. डॉन की खबर के मुताबिक, खान ने कहा कि पैगंबर ने खुद भी अल्पसंख्यकों को धार्मिक स्वतंत्रता दी थी और उनके उपासना स्थलों को सुरक्षा प्रदान की थी. उन्होंने कहा, तो हम किसी को जबरन धर्म परिवर्तन कराने को कैसे अपने हाथ में ले सकते हैं. चाहे (गैर मुस्लिम) लड़कियों से शादी करके या फिर बंदूक के दम या किसी को उसके धर्म की वजह से मारने की (धमकी देकर). खान ने कहा, ये सारी चीजें गैर-इस्लामिक हैं. अगर अल्लाह ने पैंगबरों को अपना विश्वास किसी पर थोपने की शक्ति नहीं दी तो फिर हम (ऐसा करने वाले) कौन होते हैं?
उन्होंने कहा कि पैगंबरों (संदेशवाहक) का कर्तव्य सिर्फ अल्लाह के संदेश को फैलाना था. खान ने कहा कि उनकी सरकार बाबा गुरु नानक की 550वीं जयंती पर सिख समुदाय के लिए करतारपुर गलियारा खोलने को लेकर प्रतिबद्ध है. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब अप्रैल में ही पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने अपनी सालाना रिपोर्ट में हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और शादी पर चिंता जतायी थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि दक्षिणी सिंध प्रांत में पिछले साल 1,000 ऐसे मामले सामने आये थे.