नयी दिल्ली: पब्लिक पॉलिसी के क्षेत्र में युवाओं के लिए करियर की संभावनाएं काफी बढ़ गयीं हैं. राजग की सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान से शुरू की गयी योजनाओं को इस कार्यकाल में जारी रखी. इन योजनाओं में शामिल है डिजिटल योजना, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसी योजनाएं शामिल हैं. युवाओं के लिए इन योजनाओं ने करियर के नए दरवाजे खोले हैं. आज पब्लिक पॉलिसी विशेषज्ञ निजी, सरकारी, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिल कर कई तरह से नीति-निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं.
किन विषयों का करना पड़ता है अध्ययन
पब्लिक पॉलिसी में विशेषज्ञ बनने के लिए कानून, सामाजिक विज्ञान, राजनैतिक विज्ञान, मनोविज्ञान, इतिहास सहित और भी कई विषयों के अध्ययन की जरूरत पड़ती है. विषय की जटिलता को समझते हुए पब्लिक पॉलिसी पर कई तरह के कोर्स देश के कई संस्थानों में चल रहे हैं. इसमें अध्ययन करने वाले युवा देश में मौजूद चुनौतियों से परिचित होते हैं. इससे युवा पुरानी आर्थिक नीतियों, पर्यावरण, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों को समझते हुए नयी योजनाओं के निर्माण में कुशल बनता जाता है.
इन पाठ्यक्रमों का उठा सकते हैं लाभ
हमारी शिक्षा व्यवस्था का पब्लिक पॉलिसी की पढ़ाई पर बहुत देर बाद ध्यान गया है. हालांकि आज पब्लिक पॉलिसी पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री स्तर के कोर्स कई संस्थानों में कराए जा रहे हैं. अधिकतर संस्थान इसमें दो वर्षीय मास्टर्स इन पब्लिक पॉलिसी कोर्स कराते हैं. मास्टर इन पब्लिक पॉलिसी एंड पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन भी एक कोर्स है. किसी भी विषय से ग्रेजुएट छात्र इस कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं. कुछ संस्थानों में मेरिट तो कुछ में प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला दिया जाता है.
इसमें पीएचडी करने की सुविधा भी संस्थानों में मौजूद है. आज इसमें डिग्री और डिप्लोमा कोर्स करने के बाद छात्र कई सरकारी व निजी संस्थानों को अपनी सेवाएं देने के योग्य हो जाता है. कुछ संस्थान छात्र को कॉलेज से ही प्लेसमेंट की सुविधाएं दे रहे हैं. .
जहां तक सिलेबस की बात है तो कोर्स के दौरान लॉ, गवर्नेंस, पब्लिक पॉलिसी मेकिंग, स्टैटिस्टिकल डेटा एनालिसिस, इकोनॉमिक्स ऑफ पब्लिक पॉलिसी, एकेडेमिक राइटिंग, क्वालिटेटिव रिसर्च आदि का अध्ययन दूसरे विषयों के साथ कराया जाता है. इनके अलावा कोर्स के दौरान मैनेजमेंट स्किल्स, डेमोक्रेटिक वैल्यूज के महत्व आदि पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाता है. इसमें मेधावी युवाओं को फेलोशिप भी दी जाती है. .
पब्लिक सेक्टर में विश्वलेषात्मक सोच
कई विषयों की उपयोगिता होने के कारण हर संबंधित विषय पर मजबूत पकड़ होनी चाहिए. समस्याओं और चुनौतियों को समझने व उनके समाधान को तलाश करने का धैर्य होना चाहिए. देश में व्याप्त सामाजिक और आर्थिक विषमताओं पर पैनी नजर और उनके कारणों तक पहुंचने का जज्बा होना चाहिए. विश्लेषणात्मक सोच होनी चाहिए. लीक से हटकर कुछ नया कर गुजरने का साहस चाहिए. इसमें अकादमिक रुझान आगे बढ़ने में सहायक होगा.
कोर्स के बाद कहां मिलेगा नौकरी का मौका
इस विषय में प्रशिक्षण के बाद मुख्य रूप से केंद्र और राज्य सरकारों की नीति निर्माण से जुड़ी संस्थाओं, स्थानीय निकायों, बड़े उद्योगों, बैंकिंग सेक्टर, रेलवे, डिफेन्स व निजी क्षेत्र से संबंधित संगठनों आदि में नौकरी के अवसर मिल सकते हैं.
इनके दायित्व के अनुरूप नौकरी का दायरा होता है. इसलिए अनुभव के साथ इनकी सैलरी और भत्ते भी काफी आकर्षक होते हैं. इसमें विशेषज्ञ युवाओं को पॉलिसी एनालिस्ट, पब्लिक अफेयर्स मैनेजर, रिसर्च एसोसिएट, स्टैटिस्टिशियन आदि रूपों में मौकेमिलते हैं. सरकारी संस्थान समय-समय पर इसमें विशेषज्ञों के लिए रिक्तियां निकालते हैं.
संस्थान जहां से होती है इसकी पढ़ाई
- मुंबई विश्वविद्यालय.
- इग्नू, दिल्ली .
- महात्मा ज्योति राव फुले यूनिवर्सिटी,जयपुर .
- नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु .
- सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू.
- जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली