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राजनीति विज्ञान: समाजशास्त्र में खुल रही हैं करियर की नई राहें, इन संस्थानों में लें दाखिला

नयी दिल्ली: हम और आप अक्सर सुनते हैं कि राजनीति नहीं करनी चाहिए. राजनीति अच्छी चीज नहीं होती. ऐसा कहते हुए शायद हम अच्छी तरह नहीं जानते कि राजनीति वास्तव में क्या है. जिसके आधार पर देशों का निर्माण होता है, नीतियां बनायी जाती हैं, दो देशों के बीच संबंधों की रुपरेखा की इसी के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2019 10:20 AM

नयी दिल्ली: हम और आप अक्सर सुनते हैं कि राजनीति नहीं करनी चाहिए. राजनीति अच्छी चीज नहीं होती. ऐसा कहते हुए शायद हम अच्छी तरह नहीं जानते कि राजनीति वास्तव में क्या है. जिसके आधार पर देशों का निर्माण होता है, नीतियां बनायी जाती हैं, दो देशों के बीच संबंधों की रुपरेखा की इसी के तहत बनाई जाती है. राजनीति विज्ञान इसलिए एक विषय के तौर पर काफी पॉपुलर है और इस विषय में करियर तलाशने के भी कई आयाम हैं.

यह विषय समाजशास्त्र का एक हिस्सा है. इसके अंतर्गत प्रशासन की विभिन्न प्रणालियों और दुनिया भर में मौजूद राजनैतिक तंत्रों और उनकी नीतियों को पढ़ाया जाता है. इसमें अध्यापन-कार्य से लेकर शोध, चुनाव और कानून से जुड़े कार्यक्षेत्रों में काम किया जा सकता है. इस समय राजनीति विज्ञान के जानकार युवाओं की पॉलिटिकल व इंटेलिजेंस एनालिस्ट या कंसल्टेंट्स के तौर पर सेवाएं ली जा रही हैं.

कहां मिल सकता है रोजगार का अवसर

स्कूल और कॉलेज में अध्यापन और शोध कार्यसहित अन्य क्षेत्रों में मौके होने के साथ ही हाल के वर्षों में कुछ नये करियर विकल्प भी उभरे हैं.

पॉलिटिकल एनालिस्ट (राजनैतिक विश्लेषक): राजनीति विज्ञान में पारंगत अनुभवी विशेषज्ञों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण करियर कहा जा सकता है. इनका काम मुख्य रूप से राजनैतिक निर्णयों/सरकारी नीतियों आदि पर समीक्षात्मक टिप्पणी करना और उनकी कमियों को उजागर करना है. ये बतौर विशेषज्ञ, पॉलिटिकल पार्टियों की नीतियों और चुनावी घोषणाओं पर भी अपने विचार देते हैं.

सोशल मीडिया मैनेजर: आम जनता के बीच जनमत तैयार करने या किसी खास राजनैतिक दल के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करने जैसे कार्यों को बखूबी अंजाम देने में इस विषय की पृष्ठभूमि वाले लोगों को काफी उपयोगी माना जाता है. यही कारणहै कि सोशल मीडिया से जुड़ी नौकरी पाने में राजनीति शास्त्र के जानकार को ज्यादा परेशानी नहीं होती है. वर्तमान में जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर इसके सर्वोत्तम उदाहरण हैं.

पॉलिटिकल कंसल्टेंट्स (राजनैतिक सलाहकार): इनका काम चुनावी दंगल में प्रत्याशियों के लिए अधिकाधिक मत पाने की योजना तैयार करना और उन्हें सफलता के साथ लागू करना होता है. यह समझ जनता के साथ लंबे समय से संपर्क में रहने के बाद विकसित होती है. सामाजिक और आर्थिक स्थितियों का अच्छा जानकार होना इस संदर्भ में महत्वपूर्ण कहा जा सकता है.

वकील के तौर पर करियर: राजनीति शास्त्र की पृष्ठभूमि वाले युवाओं के लिए एलएलबी करना सही रहता है. इनके लिए मुकदमों की बारीकियों को समझना आसान होता है. वहीं जनसंचार के क्षेत्र में ऐसे सफल पत्रकारों की कमी नहीं है, जिनके पास राजनीति विज्ञान की डिग्री है.

  • लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वुमेन, नयी दिल्ली
  • लोयोला कॉलेज, चेन्नई
  • सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई
  • बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
  • दिल्ली विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली
  • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली

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