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‘चीन बड़ी ताक़त बनकर संतुष्ट नहीं, वो दुनिया पर राज करना चाहता है’

<p>चीन ने 1980 के दशक में अपने नए आर्थिक मॉडल की नींव रखी, जिसमें पूंजीवाद और समाजवाद, दोनों का मिश्रण था. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी सरकार ने फैसला किया कि वो इसमें विदेश से आए नए विचारों को भी तरजीह देंगे. </p><p>ये चीन के सर्वोच्च नेता माओ त्सेतुंग की मौत के बाद के साल थे. […]

<p>चीन ने 1980 के दशक में अपने नए आर्थिक मॉडल की नींव रखी, जिसमें पूंजीवाद और समाजवाद, दोनों का मिश्रण था. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी सरकार ने फैसला किया कि वो इसमें विदेश से आए नए विचारों को भी तरजीह देंगे. </p><p>ये चीन के सर्वोच्च नेता माओ त्सेतुंग की मौत के बाद के साल थे. </p><p>चीन सोच रहा था कि वो किस दिशा में आगे बढ़े और कैसे देश में, ख़ासकर ग्रामीण इलाकों में फैली ग़रीबी से निजात पाए. </p><p>देश के नए आर्थिक मॉडल को आकार देने के लिए जिन अर्थशास्त्रियों ने अपना सहयोग दिया, उनमें हावर्ड यूनिवर्सिटी और कोरवाइनस यूनिवर्सिटी ऑफ बुडापेस्ट के प्रोफेसर रहे यानोश कोरनॉय भी शामिल थे. </p><p>हंगरी में जन्मे ये अर्थशास्त्री अब 91 वर्ष के हैं. उन्होंने अपनी किताब – &quot;द रोड टू अ फ्री इकोनॉमी&quot; में अपने देश की अर्थव्यवस्था के बारे में विस्तार से चर्चा की है.</p><p>चार दशक पहले यानोश कोरनॉय ने समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं में उपभोक्ता सामानों, हाउसिंग, संसाधनों या मज़दूरों की कमी को समझने में अहम भूमिका निभाई.</p><p>और अपनी इसी समझ के साथ वो चीन पहुंचे, जहां उन्हें एक लेक्चर देने के लिए बुलाया गया था. </p><p>उस वक्त को याद करते हुए कोरनॉय कहते हैं, &quot;चीन की पीपुल्स रिपब्लिक के स्टेट काउंसिल के एक सदस्य जांग जिन-फू पूरे वक्त इस लेक्चर के नोट्स ले रहे थे. लेकिन डिबेट को मॉडरेट करने के अलावा उनके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला. चीनी अर्थशास्त्री भी वहां आए थे और उन्होंने भी कोई चर्चा नहीं की.&quot; </p><h1>व्यापक विरासत</h1><p>कोरनॉय के विचारों का स्वागत किया गया. </p><p>चीन में कई सालों तक उनका काम अकादमिक कामों, लेखों और आधिकारिक भाषणों में झलकता रहा. </p><p>एक अर्थशास्त्री और शिक्षक के तौर पर एक लंबे करियर के बाद और गहन लेखन कार्य के बाद उन्होंने पढ़ाना छोड़ दिया और अब हंगरी में रहते हैं. </p><p>लेकिन हाल में फाइनेंशियल टाइम्स में छपे एक खुले खत में कोरनॉय ने पश्चिमी अर्थशास्त्रियों को उस &quot;बुरे सपने&quot; के लिए ज़िम्मेदार ठहराया, जो राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व वाला चीनी आर्थिक और सामाजिक मॉडल बन गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि ये चीज़े करने का &quot;स्टालिनवादी संस्मरण&quot; जैसा तरीका है. </p><p>कोरनॉय ने चीन में कैदियों के साथ बुरे व्यवहार की निंदा की और कहा कि देश में फिर से फांसी की सज़ा बहुत आम हो गई है. </p><p>80 के दशक में चीन के सुधारों में सहायक रहे प्रोफेसर लिखते हैं, &quot;हममें से कई अब भी इस बात की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हैं कि हमने चीन के राक्षस के पुनर्जीवन का विरोध नहीं किया था और सलाहकार के तौर पर सक्रिय भूमिका निभाई.&quot; </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48812843?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अमरीका-चीन के बीच ट्रेड वॉर की बर्फ पिघली</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48706919?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कौन देगा उत्तर कोरिया को खाद्य सहायता?</a></li> </ul><p>बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में अर्थशास्त्री ने कहा कि ये &quot;राक्षस&quot; धीरे-धीरे सामने आया और अब हम साफ़ तौर पर देख सकते हैं कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था किस दिशा में बढ़ रही है. &quot;जब सत्ता में नई कट्टरपंथी सरकार आ गई है या चीन में कानून बदल दिया गया है, ताकि शी जिनपिंग पूरी ज़िंदगी सत्ता में बने रह सकें.&quot; </p><h1>अतीत में वापसी</h1><p>प्रोफ़ेसर के मुताबिक जिस एक चीज़ ने चीन को और भी ज़्यादा ख़तरनाक बना दिया है, वो उसके नेताओं की वो घोषणा है कि वो पुरानी एकदलीय व्यवस्था की ओर लौट रहे हैं. उनका नारा ही उनकी बात की वकालत करता है, &quot;लॉन्ग लिव मार्क्स पार्टी, एंगल्स, लेनिन, स्टालिन, माओ और शी!&quot; </p><p>हमें जिस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है, वो है प्रक्रिया की गतिशीलता और ये सकारात्मक है या नकारात्मक. अगर कोई नेतृत्व बहुत क्रूर है तो वो अपने मन का कुछ भी कर सकता है. चीन दुनिया का नेतृत्व करना चाहता है.&quot;</p><p>&quot;चीन एक प्रमुख शक्ति बनकर संतुष्ट नहीं रहेगा. उसके नेता दुनिया पर अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं.&quot; </p><figure> <img alt="चीन" src="https://c.files.bbci.co.uk/9715/production/_108177683_dc393b1e-8c2f-43bc-a55a-31cde0adc001.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>प्रोफेसर यानोश कोरनॉय का मानना है कि जिन पश्चिमी अर्थशास्त्रियों ने चीन की अर्थव्यवस्था का नया मॉडल खड़ा करने में मदद की, वो सभी आज की &quot;स्थिर तानाशाही&quot; के लिए ज़िम्मेदार हैं. </p><p>वो पूछते हैं, &quot;परिणामों पर विचार करने के बाद लगता है कि जो कुछ भी पश्चिमी सलाहकारों के योगदान से हुआ, उससे बहुत कुछ अच्छा भी हुआ और बहुत कुछ नुकसान भी हुआ. क्या उस नुकसान के लिए हम ज़िम्मेदार हैं?&quot; </p><p>कोरनॉय मानते हैं कि हालांकि उनके इरादे अच्छे थे और वो नहीं जानते थे कि चीन का विकास किस रास्ते पर बढ़ने वाला है. </p><p>और हालांकि हम अतीत के उद्हारणों से इतिहास का अंदाज़ा नहीं लगा सकते. वो कहते हैं, &quot;ये समझने के लिए हम पीछे देख सकते हैं कि चीन किस तरह का सर्वोच्च नेता बनना चाहता था.&quot; </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48843178?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">किम जोंग-उन को ट्रंप इतनी तवज्जो क्यों दे रहे </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48801703?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दलाई लामा ने क्यों कहा महिला उत्तराधिकारी संभव, पर वो आकर्षक हो </a></li> </ul><figure> <img alt="चीन" src="https://c.files.bbci.co.uk/E4DB/production/_108178585_0d11ac82-f2c6-4e1e-b01e-7f954a1e20d5.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>वो कहते हैं, &quot;सोचिए अगर एक दिन चीन अपनी सेना को इकट्ठा कर ले, टैंक वाले कुछ युद्धक जहाज़, तोपें और पैदल सेना लेकर ताइवान पर आक्रमण कर दे.&quot;</p><p>वो पूछते हैं, &quot;तो पश्चिमी दुनिया क्या प्रतिक्रिया देगी? क्या दूसरे देश अपना सैन्य बेड़ा भेजेंगे? और क्या चीनी नेता वैसे ही पीछे हट जाएंगे, जैसे 1962 में क्यूबा में मिसाइल संकट के वक्त ख्रुश्चेव हटे थे.&quot; </p><p>&quot;जहां तक पारंपरिक सैन्य संघर्ष की बात है, चीन अपनी बड़ी आबादी के साथ फायदे में है.&quot;</p><p>कोरनॉय हाल के सालों में चीनी तकनीक के विकास की ओर भी इशारा करते हैं.</p><p>वो कहते हैं, &quot;आज की हाई-टेक दुनिया में ऐसे कई दृश्य और अदृश्य माध्यम हैं, जिनके ज़रिए एक देश दूसरे देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है. चीन ने इस क्षेत्र में काफी तरक्की की है. इसे वो और बेहतर कर सकता है.&quot; </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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