अनुच्छेद 370: क्या कह रहे हैं कश्मीरी- ग्राउंड रिपोर्ट
<figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/AA20/production/_108225534_gettyimages-1160015923.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मैंने जैसे ही ये ख़बर सुनी, मुझे दो बार टॉयलेट जाना पड़ा- ये थी प्रतिक्रिया कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक मुस्लिम नेता की. वो अनुच्छेद 370 पर भारत सरकार के फ़ैसले के ऐलान से कुछ क्षण पहले काफ़ी नर्वस थे.</p><p>बीबीसी से उन्होंने बताया, […]
<figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/AA20/production/_108225534_gettyimages-1160015923.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मैंने जैसे ही ये ख़बर सुनी, मुझे दो बार टॉयलेट जाना पड़ा- ये थी प्रतिक्रिया कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक मुस्लिम नेता की. वो अनुच्छेद 370 पर भारत सरकार के फ़ैसले के ऐलान से कुछ क्षण पहले काफ़ी नर्वस थे.</p><p>बीबीसी से उन्होंने बताया, "मैं सदमे में हूँ. सभी कश्मीरी इस क़दर सदमे में हैं कि वो समझ नहीं पा रहे हैं कि ये सब कैसे हो गया. ऐसा लगता है कि कुछ समय बाद लावा फटने वाला है."</p><p>संसद में गृह मंत्री अमित शाह की अनुच्छेद 370 पर घोषणा से कुछ दिन पहले कश्मीर में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं. </p><p>लेकिन जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने का फ़ैसला किया जाएगा, इसकी उम्मीद कम ही लोगों को थी.</p><p>घाटी में बाहर से शांति है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिंसा की कुछ वारदातों को छोड़ कर सब जगह शांति है.</p><p>संविधान के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ज़फ़र शाह ने बीबीसी से कहा कि भारत सरकार का फ़ैसला असंवैधानिक है. </p><p>उन्होंने कहा, "मेरे विचार में ये फ़ैसला संविधान के ख़िलाफ़ है. 35-ए का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है. ऐसे में इस फ़ैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकती है."</p><p>ज़फ़र शाह के अनुसार ये फ़ैसला काफ़ी चौंकाने वाला है लेकिन इस फ़ैसले को कश्मीर की आने वाली पीढ़ियाँ नहीं भूलेंगी. पुलिस अधिकारी ये भी स्वीकार करते हैं कि लोगों का ग़ुस्सा हिंसात्मक रूप ले सकता है.</p><figure> <img alt="श्रीनगर" src="https://c.files.bbci.co.uk/34F0/production/_108225531_88df32cc-8cae-430c-8913-5966e37a8e9b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>राशिद अली दवा की एक दुकान चलाते हैं. वो कहते हैं, "पूरी घाटी को एक खुला जेल बना दिया गया है. नेताओं को नज़रबंद कर दिया गया है. हर जगह पुलिस और सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है. अभी कर्फ़्यू हर जगह है. ऐसे में लोगों का घरों से निकलना मुश्किल है. जब ये सब हटेगा तो लोग सड़क पर आएँगे."</p><p>जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के फ़ैसले पर घाटी के लोगों का कहना था कि जहाँ भारत में तेलंगाना जैसे नए राज्य बनाए जा रहे हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीना जा रहा है.</p><p>मंगलवार को मैंने दिन भर श्रीनगर के कई मोहल्लों का दौरा किया. चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. बैरिकेड हर बड़ी सड़क और अहम इमारतों के बाहर लगाए गए हैं.</p><p>श्रीनगर किसी वॉर ज़ोन से अलग नहीं दिख रहा है. दुकानें और बाज़ार बंद हैं. स्कूल और कॉलेज भी बंद हैं. लोगों ने कुछ दिनों के लिए अपने घरों में राशन और ज़रूरत के दूसरे सामानों का इंतज़ाम कर लिया है, लेकिन अगर कुछ दिनों तक दुकानें नहीं खुलीं, तो नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.</p><p>टेलिफ़ोन लाइन, मोबाइल कनेक्शन और ब्रॉड बैंड सेवाएँ बंद कर दी गई हैं. हम जैसे दिल्ली से आए पत्रकार बड़ी मुश्किल से एक इलाक़े से दूसरे इलाक़े में जा पा रहे हैं.</p><p>एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभी कुछ दिनों के लिए ना तो कर्फ़्यू में ढील दी जा सकती है और ना ही फ़ोन लाइन और मोबाइल फ़ोन की सुविधाएँ बहाल की जा सकती हैं.</p><p>शहर के बस अड्डे पर सैकड़ों की संख्या में वो लोग फँसे हैं, जो दूसरे राज्यों से आए हैं या फिर वो कश्मीरी हैं, जो घाटी से बाहर जाना चाहते हैं.</p><p>मंगलवार की सुबह छह बजे से सैकड़ों की संख्या में यात्री अपना सामान लिए खड़े बसों का इंतज़ार करते नज़र आए. पुलिस उन्हें कंट्रोल तो कर रही थी लेकिन बसों की कमी के कारण वो परेशान थे.</p><figure> <img alt="श्रीनगर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12A36/production/_108224367_dd50f093-e785-4e15-a626-a406639ccc11.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>बिहार से आए मज़दूर क़ाफ़िले में बस के इंतज़ार में एक जगह से दूसरी जगह जाते दिखाई दिए. उन्होंने बताया कि वो दो दिनों से घाटी से निकलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वो अब तक यहाँ फँसे हुए हैं. </p><p>एक ने कहा, "हमने दो दिनों से कुछ खाया नहीं है, घर पर फ़ोन नहीं कर पाए, क्योंकि मोबाइल फ़ोन नहीं चल रहे हैं. हम परेशान हैं."</p><p>स्थानीय लोग खुल कर बोलने से कतरा रहे हैं. लेकिन जो बोलने की हिम्मत जुटा रहे हैं, वो सरकार के फ़ैसले से नाराज़ हैं.</p><p>एयरपोर्ट के निकट सुरक्षाकर्मियों के बीच एक कश्मीरी युवा ने बग़ैर किसी ख़ौफ़ के कहा कि वो इस फ़ैसले को नहीं मानते हैं. उनका दावा था कि मिलिटेंसी को देखते हुए ग़ैर-कश्मीरी यहाँ आकर बसने या जायदाद ख़रीदने की हिम्मत नहीं करेंगे.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>