शुरूआती इलाज़ भी ‘नहीं रोक सकता एड्स’
जेम्स गैलाघर स्वास्थ्य संपादक, बीबीसी न्यूज़ वेबसाइट एक नए शोध से पता चला है कि एचआईवी शरीर में बहुत तेज़ी से अपनी जगह बना लेता है. यह नई खोज इस उम्मीद को झटका देने वाली है कि शुरुआती चरण में एचआईवी का इलाज़ शुरू कर देने पर एड्स के ख़तरे को टाला जा सकता है. […]
एक नए शोध से पता चला है कि एचआईवी शरीर में बहुत तेज़ी से अपनी जगह बना लेता है.
यह नई खोज इस उम्मीद को झटका देने वाली है कि शुरुआती चरण में एचआईवी का इलाज़ शुरू कर देने पर एड्स के ख़तरे को टाला जा सकता है.
‘नेचर’ जर्नल में प्रकाशित इस शोध का कहना है कि खून में एचआईवी आने से पहले भी शरीर में वायरस अन्य स्थानों पर इकट्ठा रहते हैं.
वायरस आँत और मस्तिष्क की कोशिकाओं में जमा रहते हैं. एचआईवी के इलाज़ में छुपे हुए ये वायरस सबसे बड़े बाधक हैं.
वापस आ गए वायरस
विशेषज्ञों ने इसे "एहतियाती" और "असधारण" खोज बताया है.
एंटी रेट्रो वायरल दवाइयां एचआईवी को खून में आने से रोकती है जिससे मरीज एक सामान्य जीवन जी पाता है.
लेकिन जैसे ही मरीज दवाइयां लेना बंद करता है वायरस अपने जमा ठिकानों से बाहर आना शुरू कर देते हैं.
अमरीका के मिसीसिपी राज्य में एक बच्ची के बारे में लगा था कि जन्म के कुछ घंटे बाद ही इलाज़ करने की वजह से वह एचआईवी से मुक्त हो गई है लेकिन चार साल बाद वायरस के लक्षण फिर से वापस दिखाई देने लगे.
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