जिब्राल्टर से छूटे ईरानी जहाज़ के पीछे पड़ा अमरीका
<figure> <img alt="ग्रेस-1" src="https://c.files.bbci.co.uk/C91C/production/_108348415_f55f0fd5-b098-4df2-8bff-ccaf34fb07cc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> <figcaption>ग्रेस-1 जिब्राल्टर की खाड़ी में है जिसमें 2.1 मिलियन बैरल तेल है</figcaption> </figure><p>अमरीकी क़ानून विभाग ने जिब्राल्टर में हिरासत में लिए गए ईरानी तेल टैंकर को क़ब्ज़े में लेने का वारंट जारी किया है. एक दिन पहले ही जिब्राल्टर के एक जज ने तेल टैंकर को छोड़ने […]
<figure> <img alt="ग्रेस-1" src="https://c.files.bbci.co.uk/C91C/production/_108348415_f55f0fd5-b098-4df2-8bff-ccaf34fb07cc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> <figcaption>ग्रेस-1 जिब्राल्टर की खाड़ी में है जिसमें 2.1 मिलियन बैरल तेल है</figcaption> </figure><p>अमरीकी क़ानून विभाग ने जिब्राल्टर में हिरासत में लिए गए ईरानी तेल टैंकर को क़ब्ज़े में लेने का वारंट जारी किया है. एक दिन पहले ही जिब्राल्टर के एक जज ने तेल टैंकर को छोड़ने के आदेश दिए थे.</p><p>ग्रेस-1 सुपर टैंकर को 4 जुलाई को हिरासत में लिया गया था. इस टैंकर में 20 लाख बैरल तेल है और कथित तौर पर यह तेल सीरिया जा रहा था.</p><p>गुरुवार को अमरीका ने आख़िरी मिनट में क़ानूनी तौर पर तेल टैंकर ज़ब्त करने की अपील की थी जिसे जिब्राल्टर ने ख़ारिज कर दिया था. ईरान पहले भी कह चुका है कि ग्रेस-1 को क़ब्ज़े में लेना ‘ग़ैर-क़ानूनी पाबंदी’ है.</p><p>ग्रेस-1 को क़ब्ज़े में लिए जाने के दो सप्ताह बाद 19 जुलाई को ईरान ने होर्मूज़ की खाड़ी में ब्रिटेन के झंडे लगे स्टेना इम्पेरो नामक जहाज़ को क़ब्ज़े में ले लिया था. हालांकि, ईरान ने दावा किया था कि जहाज़ ने ‘अंतरराष्ट्रीय समुद्री क़ानून’ का उल्लंघन किया था.</p><p>ईरान की इस कार्रवाई को उसके बदले की कार्रवाई माना जा रहा था.</p><h1>अमरीका ने क्या कहा?</h1><p>वॉशिंगटन में शुक्रवार को एक फ़ेडरल कोर्ट ने वॉरंट जारी करते हुए कहा कि ‘अमरीका के मार्शल सेवा और दूसरे क़ानूनी प्रवर्तन अधिकारी इस काम के लिए अधिकृत हैं. इस आदेश में कहा गया था कि टैंकर और उसमें मौजूद तेल टैंकर को ज़ब्त किया जाए.</p><p>इस आदेश में कहा गया है कि ईरानी कंपनी पैराडाइज़ ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी एलएलसी से जुड़े अमरीकी बैंक के एक अज्ञात अकाउंट से 9.95 लाख डॉलर भी ज़ब्त किए जाएं.</p><p>क़ानून विभाग ने कहा है कि जहाज़ और कंपनी अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम, बैंक धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्त पोषण जैसी गतिविधियों में शामिल रहा है.</p><p>सरकारी वकील जेसी लियू ने कहा, "सबके सामने काम कर रही इन कंपनियों के एक नेटवर्क ने कथित तौर पर इन जैसे जहाज़ों की माल ढुलाई के समर्थन में लाख़ों डॉलर ख़र्च किए."</p><p>उन्होंने कहा कि इसमें जो भी पक्ष शामिल हैं उनके ईरान के इस्लामिक रेवोल्युशनरी गार्ड सैनिकों से संबंध हैं. इस्लामिक रेवोल्युशनरी गार्ड के अमरीका विदेशी आतंकी संगठन मानता है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49124265?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध का तेल बाज़ार पर क्या है असर?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49074449?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ईरान में CIA के जासूसों को मिली मौत की सज़ा</a></li> </ul><figure> <img alt="ग्रेस-1" src="https://c.files.bbci.co.uk/1173C/production/_108348417_tv055867570.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><h1>जिब्राल्टर में क्या हुआ?</h1><p>जिब्राल्टर की सरकार ने कहा था कि उसे ईरान ने भरोसा दिलाया है कि ग्रेस-1 उन देशों में नहीं जाएगा जिन पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध लागू है. उन देशों की सूची में सीरिया भी है.</p><p>इस ब्रिटिश क्षेत्र के मुख्य मंत्री फ़ेबियन पिकार्डो ने कहा, "हमने सीरिया में असद शासन को 14 अरब डॉलर के कच्चे तेल से वंचित कर दिया है."</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49062264?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ईरान ने अगर होर्मूज़ को बंद किया तो क्या होगा </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49006746?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अमरीका से तनाव पर क्या सोचते हैं ईरानी?</a></li> </ul><p>टैंकर छोड़े जाने के आदेश के बाद पिकार्डो ने बीबीसी से कहा था कि जहाज़ ‘आज या कल में’ यहां से जा सकता है. हालांकि, अमरीकी वॉरंट पर न ही ब्रिटेन और न ही जिब्राल्टर ने कोई प्रतिक्रिया दी है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>