अमरीका का कहना है कि उसने लीबिया की राजधानी त्रिपोली स्थित अपने दूतावास के कर्मचारियों को वहां से अस्थायी तौर पर हटा दिया है. अमरीका ने सुरक्षा चिंताओं की इसकी वजह बताया है.
एक दिन पहले ही लीबिया के अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि त्रिपोली हवाई अड्डे पर विरोधी लड़ाकों के बीच लड़ाई जारी रही तो देश के टुकड़े हो सकते हैं.
विदेश मंत्री जॉन कैरी का कहना है कि त्रिपोली में उनके कर्मचारियों के लिए ‘ख़तरा’ है.
उनका कहना है कि हटाए गए कर्मचारियों में मरीन गार्ड्स भी शामिल हैं जो दूतावास की सुरक्षा का ज़िम्मा संभाले हुए थे.
मरीन गार्ड्स को ट्यूनीशिया भेजा गया है.
लीबिया में वर्ष 2011 से ही अस्थिरता है जहां कई इलाक़ों पर लड़ाकों का नियंत्रण है.
बीबीसी संवाददाता का विश्लेषण
राजधानी त्रिपोली में मौजूद बीबीसी संवाददाता राणा जावेद का कहना है कि देश में कहीं सेना की मौजूदगी नहीं है और बीते दो वर्ष में देश की केंद्रीय सरकार जहां कमज़ोर पड़ी है वहीं लड़ाके पहले से अधिक ताक़तवर हो गए हैं.
हथियारबंद समूह पूरे देश में फैले हुए हैं. लीबिया के हालात पश्चिमी देशों के लिए चिंता की बात रही है.
लीबिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने राजनीति और सेना से जुड़े लोगों को एक सात बातचीत की टेबल पर लाने का प्रयास किया था जो विफल हो गया.
बेनग़ाज़ी में सितम्बर 2012 में अमरीकी दूतावास पर हमला हो चुका है जिसमें उसके राजदूत क्रिस्टोफर स्टीवंस और तीन अन्य अमरीकी मारे गए थे..
इस्लामिस्ट लीबिया रेवॉल्यूशनरी ऑपरेशंस रूम के सदस्य हवाई अड्डे पर क़ब्ज़ा करने का प्रयास कर रहे हैं.
साल 2011 में कर्नल ग़द्दाफ़ी को सत्ता से हटाए जाने के बाद से ही यहां ज़िंटान लड़ाकों का नियंत्रण रहा है.
बीबीसी संवाददाता के मुताबिक, साल 2011 में सक्रिय हुए हथियारबंद समूहों को निरस्त्र करने में सरकार विफल रही है.
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