अब गज़ा नहीं लौटना चाहते अब्दुल रहमान

अतुल चंद्रा लखनऊ से, बीबीसी हिन्दी डॉटकॉम के लिए लखनऊ से क़रीब 55 किलोमीटर दूर दौलतपुर गांव के अब्दुर रहमान गज़ा से मुश्किलें झेलते हुए घर लौटे हैं. 35 साल के अब्दुर रहमान ने मलीहाबाद तहसील के इस छोटे से गांव को बेहतर आमदनी के लिए छोड़ा था, लेकिन उन्हें दो साल काफ़ी मुश्किल में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2014 8:29 AM
अब गज़ा नहीं लौटना चाहते अब्दुल रहमान 2

लखनऊ से क़रीब 55 किलोमीटर दूर दौलतपुर गांव के अब्दुर रहमान गज़ा से मुश्किलें झेलते हुए घर लौटे हैं.

35 साल के अब्दुर रहमान ने मलीहाबाद तहसील के इस छोटे से गांव को बेहतर आमदनी के लिए छोड़ा था, लेकिन उन्हें दो साल काफ़ी मुश्किल में बिताने पड़े.

अब्दुर रहमान ग़ज़ा में महिलाओं के नकाब सिलने का काम करते थे.

गज़ा के हालात के बारे में अब्दुर रहमान कहते हैं, “खाना ठीक से मिलता नहीं था. पैसे मिलते नहीं थे. 15-16 घंटे काम करना पड़ता था और रोज़ हो रही बमबारी में जान को ख़तरा अलग रहता था."

अब्दुर रहमान बताते हैं कि इज़राइली हमलों का डर इस कदर था कि वह जिस व्यक्ति के यहां काम करते थे वह इन्हें बाहर निकलने की इजाज़त नहीं देते थे.

सहानुभूति

हालांकि अब्दुर रहमान के मन में फ़लस्तीनियों के लिए सहानुभूति है.

वह कहते हैं, "इज़राइल फ़लीस्तीनियों पर बहुत ज़्यादा ज़ुल्म कर रहा है. जिस दिन हम वहां से चले, तब तक 509 लोग मारे जा चुके थे और 2,000 से ऊपर ज़ख़्मी थे."

"फ़लीस्तीनियों को बहुत ज़्यादा मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं. न उनको बिजली मिल पाती है, न पानी और बाहर गोलाबारी."

अब्दुर रहमान फ़रवरी में मुंबई गए थे. उन्हें वीज़ा के इंतज़ार में वहां एक महीना रहना पड़ा.

आख़िर मार्च 2012 में वह मुंबई से क़तर रवाना हुए पर अप्रैल 2012 में उन्हें गज़ा पहुंचा दिया गया, जहां वह तीन अन्य भारतीयों के साथ रहते थे.

धोखाधड़ी

हालांकि उन्हें एजेंट की धोखाधड़ी का भी शिकार होना पड़ा. अब्दुर रहमान का आरोप है कि एजेंट ने उनसे वादा किया था कि उनकी तनख्वाह के 22,000 रुपए हर महीने उनके घर पहुंचा दिए जाएंगे पर मिले सिर्फ़ 13,000 और वह भी 12-13 महीने बाद.

उन्हें गज़ा में ज़बरदस्त तंगी झेलनी पड़ी. डेढ़ साल तक उन्हें पैसा नहीं मिला.

अब्दुर रहमान के पिता माशूक अली बताते हैं, "बात करना मुश्किल होता था. पैसे न होने से वह घर पर मिस्ड कॉल देता था, फिर उसकी पत्नी और मां फ़ोन करते थे."

अब्दुर रहमान अब गज़ा वापस नहीं जाना चाहते.

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