अनुच्छेद 370 के बाद माओवादी छापामार अमित शाह के निशाने पर?

<figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/1A40/production/_108502760_0e597631-e308-47a8-8211-bce6e7e7567a.jpg" height="351" width="624" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>क्या जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 ख़त्म करने के बाद अब केंद्र सरकार और ख़ास तौर पर गृह मंत्री अमित शाह के निशाने पर मध्य और पूर्वी भारत में सक्रिय माओवादी छापामार हैं? </p><p>राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में इस सवाल को लेकर बहस चल रही है क्योंकि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2019 10:48 PM

<figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/1A40/production/_108502760_0e597631-e308-47a8-8211-bce6e7e7567a.jpg" height="351" width="624" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>क्या जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 ख़त्म करने के बाद अब केंद्र सरकार और ख़ास तौर पर गृह मंत्री अमित शाह के निशाने पर मध्य और पूर्वी भारत में सक्रिय माओवादी छापामार हैं? </p><p>राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में इस सवाल को लेकर बहस चल रही है क्योंकि अगर गृह मंत्रालय के आंकड़ों को देखा जाए तो साल 2014 से लेकर साल 2018 तक जहां जम्मू और कश्मीर में आम नागरिक, सुरक्षा बलों के जवान और चरमपंथियों को मिलाकर कुल 1315 लोग मारे गए, वहीं इसी अंतराल में नक्सल प्रभावित इलाक़ों में ये संख्या 2056 बताई गई है. </p><p>ये आंकड़े चौकाने वाले हैं क्योंकि फ़िलहाल सबका ध्यान जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के ख़त्म किए जाने पर लगा हुआ है. </p><p>गृह मंत्री बनने के बाद अमित शाह ने सोमवार को पहली बार जो बैठक बुलाई तो वो सिर्फ़ और सिर्फ़ नक्सल समस्या और उसके समाधान को लेकर बुलाई गई. </p><p>बैठक में दस राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय सुरक्षा बलों के महानिदेशकों को भी आमंत्रित किया गया था. </p><p>हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस बैठक में शामिल नहीं हो सके और उनकी जगह उनके राज्य के पुलिस महानिदेशकों ने बैठक में शिरकत की. </p><h1>माओवाद प्रभावित इलाक़े</h1><p>आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ तीनों मुख्यमंत्रियों की ग़ैरहाज़री पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहते हैं कि जहां महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में हाल ही में बड़ा नक्सली हमला हुआ था और तेलंगाना हमेशा से ही माओवादियों का गढ़ रहा है, इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों का बैठक में नहीं आना अपने आप में चिंता का विषय है. </p><p>सरकारी सूत्र कहते हैं कि फडणवीस महाराष्ट्र में हो रहे चुनावों को लेकर काफ़ी व्यस्त हैं. </p><p>बैठक को लकर कोई आधिकारिक बयान फ़ौरन तो जारी नहीं किया गया, मगर इसमें शामिल कुछ अधिकारियों का कहना था कि ज़ोर इस बात पर दिया गया कि माओवाद प्रभावित इलाक़ों में विकास में कैसे तेज़ी लाई जा सकती है और छापामार युद्ध से किस तरह निपटा जा सकता है. </p><p>केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के महानिदेशक रह चुके प्रकाश सिंह ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि इससे पहले भी बैठकें होती रहीं हैं मगर उन्होंने स्वीकार किया कि गृह मंत्रालय के आंकड़ों को देखने से ज़रूर लगेगा कि नक्सल प्रभावित इलाक़ों में हिंसा ज़्यादा है.</p><p>वो कहते हैं, &quot;मगर ये बात भी सच है कि अगर आप सालाना आंकड़ों के हिसाब से देखें तो नक्सली हमलों की घटनाओं में गिरावट ज़रूर आई है.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39764504?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कैसे माओवादियों के जाल में फँस गए जवान</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46069079?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">माओवादियों ने साहू की मौत पर भेजी चिट्ठी</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-38037212?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">छत्तीसगढ़: मुठभेड़ में ‘5 माओवादी मारे गए'</a></p><figure> <img alt="नक्सल" src="https://c.files.bbci.co.uk/8F70/production/_108502763_50f4ce5f-fb2e-47d1-ba73-da95072b3849.jpg" height="351" width="624" /> <footer>AFP</footer> </figure><h1>वामपंथी विचाधारा </h1><p>वैसे जुलाई में ही संसद में एक संसद सदस्य के प्रश्न का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा था कि भौगोलिक रूप से माओवादियों के प्रभाव वाले इलाक़े ‘सिकुड़’ रहे हैं. </p><p>उनका ये भी कहना था कि अब सिर्फ़ 60 ज़िले ही ऐसे बचे हैं जहाँ माओवादियों का प्रभाव है और उनमे से भी सिर्फ 10 ऐसे ज़िले हैं जहां सबसे ज़्यादा हिंसा दर्ज की गई है. </p><p>मगर प्रकाश सिंह कहते हैं कि ये मान लेना सही नहीं है कि सरकार ने माओवादियों को दबा दिया है या उनके प्रभाव को ख़त्म करने में कामियाबी हासिल की है.</p><p>उन्हें लगता है, &quot;ऐसा दो बार पहले भी हो चुका है 60 और 70 के दशक में जब वामपंथी विचाधारा से जुड़े कई लोग अलग हो गए और अपनी पार्टियां बना लीं. लेकिन तभी कोंडपल्ली सिथरामैय्यह ने पीपल्स वार ग्रुप बना लिया.&quot;</p><p>वो ये भी कहते हैं कि 2004 में जब माओवादी कन्युनिस्ट सेंटर और पीडब्लूजी का विलय हुआ तो माओवादियों का पहले से भी ज़्यादा सैन्यीकरण हुआ है.</p><p>जानकार मानते हैं कि माओवादी पूरी तरह से पीछे नहीं हटे हैं क्योंकि जंगलों और सुदूर अंचलों में जो आर्थिक और सामजिक हालात हैं वो उन्हें और भी ज़्यादा मज़बूत कर रहे हैं. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-42944533?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या माओवादियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-43893280?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गढ़चिरौली में क्यों कमज़ोर हुआ माओवादी अभियान</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46365681?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गणपति की जगह बने नए माओवादी प्रमुख कौन हैं?</a></p><figure> <img alt="पुलिस" src="https://c.files.bbci.co.uk/DD90/production/_108502765_98b21cb4-6941-4c59-b69d-f3a94db411fe.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>आदिवासियों को संविधान से मिले हक़</h1><p>लेकिन अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के अध्यक्ष मनीष कुंजाम को लगता है कि अनुच्छेद 370 ख़त्म करने के बाद अब सरकार आदिवासियों को संविधान द्वारा प्रदान किए गए अधिकारों पर हाथ डालना चाहती है. </p><p>मिसाल के तौर पर वो कहते हैं कि आठ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर सभी की ये चिंता थी कि माओवादियों के नाम पर कहीं इन अधिकारों को न छीन लिया जाए. </p><p>उनका इशारा संविधान की पांचवीं अनुसूची और ‘पंचायती राज एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट’ की तरफ़ था. </p><p>कुंजाम कहते हैं, &quot;इन प्रावधानों की वजह से आदिवासियों की ग्राम सभाओं और पंचायतों को कई अधिकार मिले हुए हैं जिसकी वजह से बड़ी-बड़ी कंपनियों को इन इलाक़ों से खनिज सम्पदा लूटना तो चाहती हैं मगर उनके सामने क़ानूनी अड़चनें आ रहीं हैं.&quot;</p><p>वैसे उनका आरोप है कि वन अधिकार अधिनियम को भी लचर बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है ताकि बड़े पैमाने पर आदिवासियों का विस्थापन हो. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-37970765?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’कमर टूट जाएगी माओवादियों की'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-43251921?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">छत्तीसगढ़: मुठभेड़ में 10 माओवादियों की मौत</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39692972?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">माओवादी हमले में सीआरपीएफ़ के 25 जवान मारे गए</a></p><h1>अतिरिक्त सुरक्षा बल</h1><p>मनीष कुंजाम ने नियमगिरि और बैलाडीला में लोह अयस्क की खदान के विरोध में आदिवासियों के प्रदर्शन का हवाला भी दिया. </p><p>लेकिन बैठक में मौजूद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मानना है कि चर्चा विकास और पुलिस के आधुनिकीकरण पर की गई. </p><p>साथ ही माओवाद प्रभावित ज़िलों के विकास के लिए अतिरिक्त धनराशि मुहैया कराने पर भी चर्चा की गई. इस पर भी चर्चा हुई कि किस तरह माओवाद प्रभावित राज्यों की पुलिस के बीच आपस का समन्वय बेहतर किया जा सके. </p><p>उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने केंद्र से अतिरिक्त सुरक्षा बलों की मांग की है. </p><p>जहाँ तक छापामार युद्ध का सवाल है तो बघेल कहते हैं कि केंद्रीय सुरक्षा बलों को इसके प्रशिक्षण का अभाव है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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