बीएसएफ़ डीजी के फ़ेयरवेल डिनर पर विवाद क्यों

<p>सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ़) के एक हिस्से में थोड़ा ग़ुस्सा और थोड़ी निराशा है.</p><p>इसकी वजह है बीएसएफ़ के डीजी का फ़ेयरवेल डिनर, जिसमें कमांडेंट और सेकेंड इन चार्ज रैंक के 15 आला अधिकारियों के साथ डिप्टी और असिस्टेंट कमांडेंट रैंक के अधिकारियों को उनके ‘ओहदे के मुक़ाबले कमतर’ कामों में लगाया गया.</p><p>इनमें से अधिकतर अधिकारियों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 27, 2019 10:40 PM

<p>सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ़) के एक हिस्से में थोड़ा ग़ुस्सा और थोड़ी निराशा है.</p><p>इसकी वजह है बीएसएफ़ के डीजी का फ़ेयरवेल डिनर, जिसमें कमांडेंट और सेकेंड इन चार्ज रैंक के 15 आला अधिकारियों के साथ डिप्टी और असिस्टेंट कमांडेंट रैंक के अधिकारियों को उनके ‘ओहदे के मुक़ाबले कमतर’ कामों में लगाया गया.</p><p>इनमें से अधिकतर अधिकारियों को बीएसएफ़ में 20 वर्ष से अधिक का अनुभव है जो 100 से भी अधिक जवानों की यूनिट्स का नेतृत्व करते हैं.</p><p>डीजी के फ़ेयरवेल से पहले बीएसएफ़ के इंस्पेक्टर जनरल की मंज़ूरी से 22 अगस्त 2019 को एक नोट जारी किया गया था.</p><p>इस नोट का मक़सद ये सुनिश्चित करना था कि बीएसएफ़ के डीजी का फ़ेयरवेल अच्छी तरह से हो.</p><p>लेकिन ये नोट लीक हो गया. इस नोट में कहा गया है.</p> <ul> <li>दो कमांडेंट सहित पांच अधिकारी ‘रिसेप्शन कमेटी’ में होंगे जिनका काम आला अधिकारियों/महिला मेहमानों की अगवानी करना होगा.</li> <li>तीन अधिकारियों को ‘बार कमेटी’ में रखा गया जिनकी ज़िम्मेदारी बार में अधिकारियों की ‘भीड़ जमा होने से रोकना और आला अधिकारियों के साथ मेहमानों को ड्रिंक देना’ होगी. </li> <li>चार अधिकारियों को ‘स्नैक्स एंड डिनर कमेटी’ में रखा गया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि मेहमानों तक स्नैक्स, ड्रिंक, सूप और डिनर नियमित अंतराल पर पहुंचता रहे.</li> <li>तीन अधिकारियों को ‘सिटिंग अरैंजमेंट कमेटी’ में रखा गया, ये सुनिश्चित करने के लिए कि आला अधिकारी और मेहमान को अपनी जगह पर बैठाया जाए और वेटर उनके पास जाते रहें.</li> <li>इसके अलावा एक अधिकारी को ‘महिला मेहमानों के लिए स्नैक्स एंड ड्रिंक्स की ज़िम्मेदारी’ दी गई है.</li> </ul><p>बीएसएफ़ के डीजी का फ़ेयरवेल डिनर राजधानी दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाक़े में बीएसएफ़ ऑफ़िसर्स मेस में 31 अगस्त को तय किया गया है.</p><p>नोट में आगे लिखा है, ”इन सभी कमेटियों के तमाम सदस्यों से आग्रह है कि वे निर्धारित स्थान पर आयोजन से दो घंटे पहले पहुंचें जहां उन्हें आईजी नई दिल्ली फ्रंटियर ब्रीफ़ करेंगे. आग्रह किया जाता है कि तमाम सदस्य पूरे आयोजन के दौरान मौजूद रहें और अपना काम सतर्कता से करें.”</p><p>बीएसएफ़ के एक अधिकारी ने नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ”फ़ेयरवेल डिनर में 15 अधिकारियों को लगाने की क्या तुक है. ये काम तो केटरिंग कंपनी बेहतर तरीक़े से कर सकती है. ये हमारा अपमान है. हमने फ़ोर्स देश की सेवा करने के लिए ज्वाइन की थी या आला अधिकारियों के ईगो का ध्यान रखने के लिए.”</p><p>एक अन्य अधिकारी का कहना है, ”अधिकारियों ने पहले भी इस तरह के आयोजन किए हैं, लेकिन इस नोट में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल और कार्यों का ज़िक्र किया गया है, उससे हालात बहुत ख़राब होने का पता चलता है.”</p><p><strong>'</strong><strong>पुराने विवाद</strong><strong>'</strong></p><p>इस बारे में जब बीएसएफ़ डीजी रजनीकांत मिश्रा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ”इस फ़ेयरवेल डिनर की मेज़बानी अधिकारी ही करते हैं, मैं अतिथि हूं लेकिन सच कहूं तो अभी तक मुझे निमंत्रण नहीं मिला है. हम रिटायर होने वाले अपने हर अधिकारी के लिए इसी तरह पार्टी देते हैं.”</p><p>जब उनसे बीएसएफ़ के अधिकारियों की आपत्ति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है. लेकिन यदि ये सत्य है तो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. बात ये भी है कि बीएसएफ़ अधिकारी, आईपीएस अधिकारी को पंसद नहीं करते और इस तरह पुराने विवादों को निपटाया जाता है.”</p><p>बीएसएफ़ डीजी रजनीकांत मिश्रा, भारतीय पुलिस सेवा के उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी हैं जो 30 सितंबर 2018 से बीएसएफ़ डीजी के पद पर हैं. वो 31 अगस्त 2019 को रिटायर हो रहे हैं.</p><p>इस बारे में जब बीएसएफ़ के प्रवक्ता से संपर्क किया गया तो उन्होंने कुछ कहने से मना कर दिया.</p><p>हालांकि बीएसएफ़ से एडिशनल डीजी पद से रिटायर हुए एसके सूद ने माना कि अधिकारियों को उनके ‘ओहदे के मुक़ाबले कमतर’ कामों में लगाया गया.</p><p>उन्होंने कहा, ”निज़ामुद्दीन की मेस में इस आयोजन के लिए जवानो और अधिकारियों को लगाने की कोई ज़रूरत नहीं होनी चाहिए. ये कोई अच्छा विचार नहीं है और इससे सही संदेश भी नहीं जाता.”</p><p>सीमा सुरक्षाबल में लगभग दो लाख 65 हज़ार जवान और अधिकारी हैं जिनकी ज़िम्मेदारी पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगने वाली सीमाओं की रक्षा करना है. इसके अलावा आंतरिक सुरक्षा के कुछ मामलों में भी उनकी सेवाएं ली जाती हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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