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क्या मोदी ने पाकिस्तान के भीतर कश्मीर पर बहस बदल दी

<figure> <img alt="इमरान ख़ान" src="https://c.files.bbci.co.uk/9F80/production/_108523804_9425101f-0308-423c-ba3e-db27e185eca3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>फ़्रांस में जी-7 देशों की बैठक से अलग अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात हुई. इससे पहले पिछले महीने के आख़िरी हफ़्ते में वॉशिंगटन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाक़ात हुई थी. </p><p>इमरान और ट्रंप जब […]

<figure> <img alt="इमरान ख़ान" src="https://c.files.bbci.co.uk/9F80/production/_108523804_9425101f-0308-423c-ba3e-db27e185eca3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>फ़्रांस में जी-7 देशों की बैठक से अलग अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात हुई. इससे पहले पिछले महीने के आख़िरी हफ़्ते में वॉशिंगटन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाक़ात हुई थी. </p><p>इमरान और ट्रंप जब मिले थे तब भारत ने कश्मीर की स्वायत्तता ख़त्म नहीं की थी. उस वक़्त इमरान ख़ान के लिए पाकिस्तान के लिए फंड जुटाना ज़्यादा अहम था. </p><p>इमरान से मुलाक़ात में ही ट्रंप ने कह दिया था कि पीएम मोदी ने जापान में उनके सामने कश्मीर मामले में मध्यस्थ बनने की पेशकश थी. हालांकि भारत ने इसे तत्काल ही ख़ारिज कर दिया था. </p><p>इमरान ख़ान अमरीका से लौटे तो उन्होंने कहा था कि ऐसा लग रहा मानो वो वर्ल्ड कप जीतकर आए हैं. कहा जा रहा था कि ट्रंप ने मध्यस्थता की बात कहकर पाकिस्तान की लाइन का समर्थन कर दिया है. </p><p>इमरान ख़ान को अमरीका से लौटे मुश्किल से नौ दिन ही हुए थे कि भारत ने जम्मू-कश्मीर को मिली संवैधानिक स्वायत्तता ख़त्म करने की घोषणा कर दी. </p><p>भारत की यह घोषणा इमरान ख़ान के लिए अप्रत्याशित थी. जहां वो ट्रंप की मध्यस्थता के बयान को अपनी जीत की तरह देख रहे थे, वहीं पीएम मोदी ने स्वायत्तता ही ख़त्म कर दी. </p><p>इमरान ख़ान और ट्रंप की मुलाक़ात के ठीक एक महीने बाद फ़्रांस के बियारित्ज़ में मोदी और ट्रंप मिले. </p><p>इमरान ख़ान के साथ ट्रंप ने मुलाक़ात के दौरान कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कही थी लेकिन फ़्रांस में मोदी से मिले तो कहा कि कश्मीर का मसला भारत-पाकिस्तान मिलकर सुलझा लेंगे. </p><figure> <img alt="पाकिस्तान" src="https://c.files.bbci.co.uk/183E6/production/_108520399_gettyimages-1161801634.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मोदी और ट्रंप की इस मुलाक़ात के बाद प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि &quot;दुनिया कश्मीर पर साथ दे या न दे, पाकिस्तान इसके लिए आख़िरी दम तक लड़ेगा.&quot;</p><p>पाकिस्तान कश्मीर पर भारत सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपनी बात हर मंच पर कह रहा है लेकिन उसे कहीं उस तरह से कामयाबी नहीं मिली. </p><p>इसी दौरे में मोदी की मुलाक़ात फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी हुई थी. मैक्रों ने भी कहा कि भारत और पाकिस्तान आपस में इस मुद्दे को सुलझा लेंगे. मैक्रों से मिलने के बाद मोदी संयुक्त अरब अमीरात गए थे. यूएई ने पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ़ ज़ायेद’ से नवाज़ा. </p><p>यूएई में मोदी को मिले बड़े सम्मान को लेकर पाकिस्तान में तीखी प्रतिक्रिया आई. पाकिस्तानी सीनेट के चेयरमैन ने तो यूएई के अपने दौरे तक को रद्द कर दिया. हालांकि बाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी सामने आए और कहा कि &quot;डिप्लोमैसी धर्म से अलग होती है&quot;. </p><h3>कश्मीर नहीं बन सका बड़ा मुद्दा?</h3><p>ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि क्या कश्मीर पर पाकिस्तान दुनिया भर के नेताओं का ध्यान खींच पाया है, जिसकी वो लगातार कोशिश कर रहा है. </p><p>अमरीका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक़्क़ानी ने ट्वीटर पर लिखा है कि &quot;ट्रंप अब कह रहे हैं कि भारत-पाकिस्तान कश्मीर समस्या को आपस में सुलझा लेंगे तो क्या मध्यस्थता वाली बात यूं ही थी?&quot; </p><p><a href="https://twitter.com/husainhaqqani/status/1166045337007677440">https://twitter.com/husainhaqqani/status/1166045337007677440</a></p><p>जी-7 देशों की बैठक में भी कश्मीर कोई मुद्दा नहीं रहा. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि जी-7 की बैठक में ईरान और चीन से ट्रेड वॉर अहम मुद्दे थे. फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बैठक में अचानक ईरान के विदेश मंत्री जव्वाद ज़रीफ़ को बुला लिया था. </p><p>यूरोप के देश चाहते हैं कि ईरान से अमरीका परमाणु क़रार नहीं तोड़े. ट्रंप ने इस कोशिश को ख़ारिज भी नहीं किया और उन्होंने कहा कि वो ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाक़ात कर सकते हैं. </p><p>चीन के साथ जारी ट्रेड वॉर पर भी ट्रंप बातचीत करने के लिए तैयार हैं लेकिन कश्मीर को लेकर इस मंच पर कोई चर्चा नहीं हुई.</p><figure> <img alt="पाकिस्तान" src="https://c.files.bbci.co.uk/8CB6/production/_108522063_gettyimages-1162037242.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कश्मीर पर पीएम मोदी ने ट्रंप के सामने ही कहा कि &quot;यह द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष को कष्ट नहीं दिया जाएगा.&quot; </p><p>राष्ट्रपति ट्रंप ने भी इस बात का समर्थन करते हुए कहा कि दोनों पड़ोसी देश आपस में इस समस्या को सुलझा सकते हैं. </p><p>कई लोग मानते हैं कि भारत ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बाँटकर चीन और पाकिस्तान दोनों से कश्मीर के मसले पर अलग-अलग डील करने की सहुलियत हासिल कर ली है. </p><p>फ़रवरी में बालाकोट में भारत की एयरस्ट्राइक और अगस्त में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने को लोग मोदी सरकार की पाकिस्तान के साथ दशकों से चली आ रही नीतियों में परिवर्तन के तौर पर देख रहे हैं. </p><figure> <img alt="नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/DAD6/production/_108522065_gettyimages-1160029569.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>नाराज़ चल रहा है पाकिस्तान </h3><p>ट्रंप और मोदी की मुलाक़ात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा कि &quot;दोनों नेताओं ने कारोबार और ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर बात की लेकिन कश्मीर पर कोई बात नहीं हुई.&quot;</p><p>मोदी ने ट्रंप के साथ जो साझा बयान दिया उससे यही लगता है कि वो पाकिस्तान से संवाद को आगे बढ़ाना चाहते हैं. मोदी ने कहा कि &quot;भारत और पाकिस्तान दोनों पहले एक ही देश थे और साथ मिलकर मुद्दों को सुलझा लेंगे.&quot;</p><p>भारत के पूर्व विदेश सचिव श्याम शरण ने हिन्दुस्तान टाइम्स में लिखा है कि &quot;अब पाकिस्तान के लिए बातचीत करना आसान नहीं होगा. दिलचस्प है कि इससे पहले पाकिस्तान बातचीत की पेशकश करता था और भारत ख़ारिज कर देता था. अब इमरान ख़ान कह रहे हैं कि भारत से बातचीत का कोई मतलब नहीं है.&quot;</p><p>पाकिस्तान, भारत प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठा रहा है लेकिन ट्रंप के लिए मानवाधिकार से पहले व्यापारिक रिश्ता अहम है. </p><p>ट्रंप का इस मामले में रुख़ बिल्कुल स्पष्ट है. सऊदी के जाने-माने पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की तुर्की स्थित सऊदी के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई और सऊदी ने इस हत्या को क़बूल भी किया, फिर भी ट्रंप ने कुछ नहीं किया. </p><p>उन्होंने साफ़ कहा कि उनके लिए कारोबार पहले है. ट्रंप ने कहा था, &quot;मैं नहीं चाहूंगा सऊदी से 110 अरब डॉलर का हथियार सौदा रद्द कर दूं. यह अब तक का सबसे बड़ा सौदा है. इसे रूस और चीन दोनों लपकने के लिए तैयार हैं.&quot;</p><figure> <img alt="इमरान ख़ान" src="https://c.files.bbci.co.uk/128F6/production/_108522067_gettyimages-1077065040.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मोदी सरकार के फ़ैसले से पाकिस्तान की सत्ता में बेचैनी तो है ही विपक्षी पार्टियां और पूर्व राजनयिक भी इमरान ख़ान को घेर रहे हैं. </p><p>पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टी पाकिस्तान पीपल्स के चेयरमैन बिलावल ज़रदारी भुट्टो ने 26 अगस्त को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि इमरान ख़ान समझ नहीं पा रहे हैं कि वो कश्मीर पर अब करें क्या. </p><p>बिलावल ने यहां तक कह दिया कि &quot;पाकिस्तान पहले श्रीनगर लेने की बात करता था अब मुज़फ़्फ़राबाद बचाने की बात कर रहा है.&quot;</p><p>बिलावल ने कहा, &quot;इमरान ख़ान अपने मुल्क में विपक्षी पार्टियों से लड़ रहे हैं. वो मोदी से नहीं लड़ पा रहे हैं. इमरान ख़ान ने कश्मीर की सौदेबाज़ी की है. वो ख़ुद कहते थे कि मोदी चुनाव जीतेंगे तो कश्मीर का मसला हल होगा. क्या यही हल हुआ है? ये कश्मीर की सौदेबाज़ी है. मुस्लिम देशों में भी मोदी को अवॉर्ड दिया जा रहा है. क्या ये हमारी विदेश नीति की नाकामी नहीं है? आपको सब कुछ पहले से पता था फिर भी कुछ नहीं किया.&quot;</p><p><a href="https://twitter.com/MediaCellPPP/status/1165982570884083713">https://twitter.com/MediaCellPPP/status/1165982570884083713</a></p><p>बिलावल ने कहा, &quot;पहले पाकिस्तान की कश्मीर नीति होती थी कि हम श्रीनगर भारत से छीन लेंगे अब इमरान ख़ान की नाकामी के कारण ये बात हो रही है कि हम मुज़फ़्फ़राबाद को कैसे बचाएंगे. हमारी विदेश नीति की ये नाकामी है.&quot; </p><p>पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार <a href="https://epaper.dawn.com/DetailNews.php?StoryText=28_08_2019_008_005">डॉन </a>ने अपने संपादकीय में लिखा है कि &quot;दुर्भाग्य से इमरान ख़ान और पाकिस्तान दुनिया को समझाने में नाकाम रहे कि भारत कश्मीर में क्रूरता कर रहा है.&quot;</p><figure> <img alt="मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/17716/production/_108522069_gettyimages-1157311443.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>डॉन ने लिखा है, &quot;यहां तक कि हमारे घनिष्ठ मुस्लिम देश भी मोदी के स्वागत में लगे हैं. मुस्लिम देश कश्मीर में भारत के एकतरफ़ा फ़ैसले के बाद भी ऐसा कर रहे हैं. हालांकि ट्रंप ने पहले कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कही लेकिन अब वो भी मोदी के साथ हो गए.&quot; </p><p>डॉन ने संपादकीय में लिखा है, &quot;अंतरराष्ट्रीय मीडिया में कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात सामने लाई जा रही है तब भी भारत अंतरराष्ट्रीय आलोचना को मैनेज करने में सफल रहा. इसका सीधा कारण यही है कि पाकिस्तान कश्मीर को ठीक से प्रोजेक्ट करने में नाकाम रह. दूसरा कारण यह है कि भारत आर्थिक रूप से ताक़तवर देश है. दुख इस बात की है कि दुनिया व्यावहारिक राजनीति पर ज़्यादा भरोसा कर रही है और नैतिकता जैसी कोई बात नहीं है.” </p><p><a href="https://twitter.com/newsonepk/status/1165680196080545792">https://twitter.com/newsonepk/status/1165680196080545792</a></p><p>भारत में पाकिस्तान के उचायुक्त रहे अब्दुल बासित ने भी पाकिस्तान में एक टीवी प्रोग्राम में कश्मीर पर इमरान ख़ान की नीतियों की आलोचना की है. </p><p>बासित ने कहा है कि कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान मुस्लिम देशों का भी समर्थन नहीं जुटा पाया. </p><p>बासित कहते हैं, &quot;यूएई ने मोदी साहब को जो ‘ऑर्डर ऑफ़ ज़ायेद’ दिया इसका फ़ैसला अचानक से नहीं हुआ. इसकी प्रक्रिया बहुत पहले ही शुरू हो गई थी. मोदी साहब बहुत चालाक हैं. उन्होंने जो वक़्त चुना वो उनके लिए बहुत ही मुफ़ीद है. ये पहले से तय था कि पाँच अगस्त को कश्मीर का संवैधानिक दर्जा ख़त्म करेंगे और फिर यूएई और बहरीन जाएंगे. वहां उनको अवॉर्ड मिलने थे और पाकिस्तान को मौक़ा ही न मिले कि वो मुस्लिम देशों का समर्थन हासिल कर सके.&quot;</p><p>अब्दुल बासित ने उस टीवी प्रोग्राम में कहा कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) की बैठक में पहली बार भारत को आमंत्रित किया गया और तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज वहां पहुंची थीं. </p><p>बासित कहते हैं, &quot;ऐसा संयुक्त अरब अमीरात ने ही करवाया. जब आप सोए हुए रहते हैं और कोई एकाएक जगाता है तो नींद खुलती है. आप सोए रहेंगे तो ऐसा होगा ही. फिर आप कहते रहें कि यूएई ने मोदी को अवॉर्ड दिया.&quot;</p><p>चीन एक तरफ़ हॉन्गकॉन्ग में हो रहे प्रदर्शन और दूसरी तरफ़ अमरीका के साथ ट्रेड वॉर से जूझ रहा है. अमरीका के लिए भी ईरान संकट और चीन ज़्यादा अहम हैं. पाकिस्तान की वित्तीय हालत बहुत ही ख़राब है और वो किसी तरह ख़ुद को डिफॉल्टर होने से बचा पाया है. भारत के भीतर भी विपक्ष पूरी तरह निष्प्रभावी है. ऐसे में मोदी सरकार ने कश्मीर से 370 ख़त्म करने का फ़ैसला किया. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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